Bihar Election 2020 Big Fight: राजद की शरण में आनंद मोहन की लवली, क्या सहरसा की जनता का मिलेगा आशीर्वाद
Bihar Election 2020 Big Fight लवली आनंद जल्दी-जल्दी पार्टियां बदलती रही हैं। इस बार वह राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। अब तक सात बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि जीत सिर्फ एक बार 1994 में मिली।
पटना, जेएनएन। Bihar Election 2020 बिहार विधानसभा चुनाव- 2020 बहुचर्चित बाहुबली बिहार पीपुल्स पार्टी (बीपीपा) के संस्थापक आनंद मोहन के लिए भी खास है। हालांकि, वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। इस समय भागलपुर जेल में गोपालगंज के डीएम जी कृष्णैया हत्याकांड में सजा काट रहे हैं। उनकी पत्नी लवली आनंद सहरसा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं। इस कारण सहरसा विधानसभा क्षेत्र पर बिहार की राजनीति की निगाहें टिकी हैं।
भाजपा प्रत्याशी आलोक रंजन झा और राजद प्रत्याशी लवली आनंद
लालू का विरोध कर 1994 में पहुंचीं संसद, अब उनकी पार्टी की शरण में
बिहार की राजनीति में जब लालू प्रसाद यादव का उदय हुआ तो अगड़ों-पिछड़ों की राजनीति तेज हुई। 1990 के दशक में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के विरोध के बल पर आनंद मोहन ने अपनी पहचान बनाई। बिहार पीपुल्स पार्टी नाम से एक नई पार्टी बनाई। आनंद मोहन ने 1994 में वैशाली लोकसभा उपचुनाव में बीपीपा के टिकट पर अपनी पत्नी लवली आनंद को चुनाव लड़ाया। चुनाव जीतने के बाद बिहार की राजनीति में पति आनंद मोहन के साथ ही लवली आनंद का भी सितारा बुलंद हो गया। हालांकि, 1994 के बाद लवली आनंद कभी चुनाव नहीं जीत पाई। अबकी बार राजद के टिकट पर सहरसा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रही हैं।
हर चुनाव में पार्टी बदलने का रिकॉर्ड
लवली आनंद जल्दी-जल्दी पार्टियां बदलती रही हैं। इस बार वह राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं। अब तक सात बार लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ चुकी हैं। हालांकि, जीत सिर्फ एक बार 1994 में मिली। लवली आनंद कांग्रेस, जदयू और हम से भी भाग्य आजमा चुकी हैं। अबकी बार उन्हें काफी उम्मीद है। राजद के वोट बैंक यादव और मुस्लिम के साथ ही खुद के सजातीय मतों पर भरोसा है। जेल में बंद लवली के पति आनंद मोहन भी चाहते हैं कि उनकी पत्नी की जीत हो। इससे उन्हें कानूनी लड़ाई में मदद मिलेगी।
लवली के खिलाफ भाजपा से आलोक रंजन झा
सहरसा विधानसभा सीट पर लवली आनंद के खिलाफ भाजपा ने आलोक रंजन झा को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा के पूर्व विधायक किशोर कुमार टिकट नहीं मिलने पर बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। इससे सहरसा का चुनावी समीकरण दिलचस्प हो गया है।