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स्कूलों में अतिरिक्त क्लास रूम निर्माण से शिक्षा व्यवस्था में जगी सुधार की उम्मीद

Bihar Education News सरकार बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए सभी प्रकार के आवश्यक कदम उठा रही है। अब शिक्षकों से यह अपेक्षा होगी कि वे पठन-पाठन पर ही अपना ध्यान केंद्रित करें। सरकार को भी चाहिए कि शिक्षकों को कम से कम गैर शैक्षणिक कार्यो में लगाए।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 17 Sep 2021 03:46 PM (IST)Updated: Fri, 17 Sep 2021 03:46 PM (IST)
स्कूलों में अतिरिक्त क्लास रूम निर्माण से शिक्षा व्यवस्था में जगी सुधार की उम्मीद
स्कूलों में अतिरिक्त क्लास रूम निर्माण से शिक्षा व्यवस्था में जगी सुधार की उम्मीद। फाइल

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Education News विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति और क्लास रूम बनाने का फैसला राज्य सरकार की प्रतिबद्धता का परिचायक है। सूबे के 1483 स्कूलों में 2750 अतिरिक्त क्लास रूम के निर्माण और 2950 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में उपस्करों की खरीदारी के लिए राशि जारी की गई है। इससे पूर्व राज्य के प्राथमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में 45,852 प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापकों को नियुक्त करने के प्रस्ताव को कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार राज्य सरकार की मंशा रही है। इसी के तहत सभी विद्यालयों में बेहतर प्रशासन व प्रबंधन के लिए प्रधान शिक्षक और प्रधानाध्यापक का नया संवर्ग बनाया गया है। उम्मीद की जा रही है कि इन फैसलों से स्कूलों की व्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा, साथ ही शिक्षा की गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

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इसकी सराहना होनी चाहिए कि सरकार बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए हर जरूरी कदम उठा रही है। उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सभी पंचायतों में हाईस्कूल स्थापित किए गए हैं। सहायक शिक्षकों की भी नियुक्तियां की जा रही हैं। अब शिक्षकों का दायित्व है कि वे बच्चों को पढ़ाने पर ध्यान दें। कोरोना के चलते पढ़ाई का जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई कैसे हो, इसपर विचार करें। शिक्षकों को ही बच्चों को अगली कक्षाओं के लिए तैयार करना होगा। शिक्षक अनावश्यक आंदोलन से बचें। शिक्षकों के आचरण और व्यवहार से ही बच्चे सीखते हैं। बच्चों के मन में जो बातें बैठ जाती हैं वह जल्दी खत्म नहीं होतीं। लिहाजा, शिक्षकों से अपेक्षा होगी कि वे पठन-पाठन पर ही अपना ध्यान केंद्रित करें। विद्यालयों को राजनीति का अखाड़ा नहीं बनने दें।

हालांकि इसकी भी अनदेखी नहीं की जा सकती कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्यो में लगाने से बच्चों की पढ़ाई बाधित होती है। एक तो कोरोना की वजह से पहले ही महीनों स्कूल बंद रहे, इधर पंचायत चुनाव में शिक्षकों की तैनाती से भी पढ़ाई पर असर पड़ने लगा है। सरकार को भी चाहिए कि शिक्षकों को कम से कम गैर शैक्षणिक कार्यो में लगाए।


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