बिहार दिवस : अलका याज्ञनिक के तरानों पर सारी रात झूमा पटना
मंगलवार को बिहार दिवस के मौके पर गांधी मैदान में आयोजित सांस्कृतिक शाम को रंगीन बनाने मशहूर सिंगर अलका याज्ञनिक पहुंची थीं। उन्होंने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां देकर उपस्थित जनसमूह का दिल जीत लिया।
पटना। वसंत की शाम सुरों की संगत से जवां हो उठी थी। हौले-हौले बहती बसंती हवा, खुला आसमां, खिला हुआ चमकता चांद और मंच पर आवाज से जादू बिखेरती हुईं गायिका अलका याज्ञनिक। वसंत की शाम अपने-आप में पूरी तरह मुकम्मल थी।
मंगलवार को बिहार दिवस के मौके पर गांधी मैदान में आयोजित सांस्कृतिक शाम को रंगीन बनाने मशहूर सिंगर अलका याज्ञनिक पहुंची थीं। शाम के आठ बजते ही मुख्य स्टेज की सारे लाइटें बुझती हैं। बैक स्टेज से फिल्म 'कुछ-कुछ होता है' का टाइटल ट्रैक कोई गुनगुना रहा होता है।
लोगों को इस जादूई आवाज को पहचाते देर नहीं लगती। तालियों की गरगराहट से सुरों की मल्लिका मंच पर आती हैं। मंच की सारे लाइटें जलती हैं और 'तुम पास आए, यूं मुस्कुराए, कुछ-कुछ होता है' गीत अलका की मधुर आवाज में पूर होता है।
जब अलका बोलीं कैसन बानी रूउरा
फिल्म कुछ-कुछ होता है का टाइटल ट्रैक गाने के बाद अलका याज्ञनिक पटनाइट्स से मुखातिब हुईं। बोलीं 'नमस्कार पटना..' उधर से भी जोर से नमस्कार की आवाज आई। फिर बोली 'कैसन बानी रूउरा' अपनी बोली में अलका की आवाज सुन सभी झूम उठे। फिर भीड़ से उन्होंने पूछा 'रूउरा का सुनब।' इसके बाद उन्होंने अगला नगमा पेश किया 'गजब का दिन, सोचो जरा, ये दीवनापन देखो जरा' गाकर सभी को दीवाना बना दिया।
जरा तस्वीर से निकलकर सामने तू आ
वसंत की रूहानी शाम को अलका याज्ञनिक रूहानी नगमों से और भी हसीन बना रहीं थीं। दर्शक दीर्घा में युवाओं की महफिल थी। लिहाजा गीत में 'किसी रोज उनसे मुलाकात होगी, जरा तस्वीर से तू निकलकर तू सामने आ' इस गाने तो युवाओं के दिल के तार को झंकृत कर किया। इस गीत के हर बोल के साथ युवा भी संगत कर रहे थे। हाथ हिलाकर उनका अभिवादन भी।
इसके बाद अलका ने 90 के एक से बढ़कर एक चुनिंदा ट्रैक पेश किया। ' लाल दुपट्टा उड़ गया मेरे हवा के झोंको से' गीत पर तो युवाओं ने रूमाल लहराकर उनका अभिवादन किया।