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बिहार दिवस: दुनिया काे दंग करती है बिहार की लाजवाब विरासत, पढ़ें राज्‍यपाल का विशेष आलेख

Bihar Day 2021 बिहार की समृद्ध विरासत किसी भी दंग कर सकती है और करती है। प्रदेश के राज्‍यपाल फागू चौहान ने बिहार के गौरवमयी अतीत और वर्त्‍तमान को सहेजते हुए एक खास आलेख जागरण के लिए लिखा है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Mon, 22 Mar 2021 10:04 AM (IST)Updated: Mon, 22 Mar 2021 12:58 PM (IST)
बिहार दिवस: दुनिया काे दंग करती है बिहार की लाजवाब विरासत, पढ़ें राज्‍यपाल का विशेष आलेख
बिहार के राज्‍यपाल फागू चौहान। फाइल फोटो

पटना। बिहार के लिए 22 मार्च का दिन बेहद खास है। इसी दिन बिहार को बंगाल से अलग कर राज्‍य का दर्जा दिया गया। हर बिहारी को इस का गर्व रहता है। बिहार दिवस के मौके पर राज्‍यपाल फागू चौहान ने दैनिक जागरण के पाठकों के लिए विशेष आलेख लिखा है। इसमें उन्‍होंने बिहार के ऐतिहासिक और सांस्‍कृतिक गौरव को नई पीढ़ी के सामने रखने का काम किया है। हम यहां राज्‍यपाल का पूरा आलेख ठीक उन्‍हीं के शब्‍दों में आपके लिए प्रस्‍तुत कर रहे हैं...

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बिहारवासियों के लिए गौरवबोध का दिवस

'बिहार दिवस' बिहार के ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक गौरव-बोध का पावन दिन है। 22 मार्च, 1912 को बिहार पृथक राज्य के रूप में स्वतंत्र अस्तित्व में आया, इसी कारण इस दिन 'बिहार दिवस' का आयोजन पूरे देश एवं दुनिया में बिहारवंशी करते हैं। यह अत्यन्त प्रसन्नता की बात है कि बिहार सरकार अपने गौरवशाली इतिहास एवं अपने महापुरूषों को याद करने तथा बिहार के सतत विकास हेतु संकल्पित होने के लिए वर्ष 2009 से लगातार 'बिहार दिवस' का आयोजन कर रही है।

विदेहराज जनक से लेकर सम्राट अशोक तक की परंपरा का साक्षी

वैदिक और पौराणिक काल से बिहार अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक वैभव के लिए प्रसिद्ध रहा है। विदेहराज जनक, महर्षि विश्वामित्र, महान नीतिज्ञ चाणक्य, सम्राट चन्द्रगुप्त एवं सम्राट अशोक की यह गौरवशाली भूमि है। महान विद्वानों, तत्व-चिंतकों एवं दार्शनिकों का संबंध बिहार से रहा है। ऐतिहासिक, सांस्कृतिक  एवं राजनीतिक दृष्टि से भी यह भूमि अत्यंत वैभवशाली रही है। धार्मिक रूप में भी बिहार की विशिष्ट पहचान रही है। यह भूमि जगतजननी मां जानकी, महात्मा बुद्ध, तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी और गुरू गोविन्द सिंह जी महाराज की पावन धरती है। यहां सूफी संतों की वाणी भी गूंजी है, जिससे धार्मिक सद्भावना और सामाजिक बंधुता विकसित होने के सुअवसर मिले हैं।

विश्‍व के तीन प्राचीन विश्‍वविद्यालयों में दो बिहार के

विश्व के प्राचीनतम एवं अत्यंत समृद्ध तीन विश्वविद्यालयों में से दो नालंदा विश्वविद्यालय एवं विक्रमशिला विश्वविद्यालय बिहार में ही थे। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने इस क्षेत्र की यात्रा की और इसकी गौरवशाली सांस्कृतिक और सामाजिक परंपरा का उल्लेख अपने यात्रा-वृत्तांत में किया। विश्व के महान एवं श्रेष्ठ गणितज्ञ आर्यभट्ट बिहार के ही थे।

स्‍वतंत्रता संग्राम में बिहार ने बढ़-चढ़कर निभाई भ‍ूमिका

बिहार स्वतंत्रता-संग्राम के अप्रतिम योद्धा बाबू वीर कुंवर सिंह जी की भी जन्मभूमि है। आजादी की लड़ाई में उनके नेतृत्व में बिहारवासियों ने अग्रणी भूमिका निभायी। हजारों लोगों ने अपने प्राण न्योछावर किये। देशरत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, लोकनायक जयप्रकाश नारायण, मौलाना मजहरूल हक, स्वामी सहजानन्द सरस्वती, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह, बाबू अनुग्रह नारायण सिंह एवं जननायक कर्पूरी ठाकुर जैसी अनगिनत विभूतियों की जन्मभूमि एवं कर्मभूमि बिहार की पावन धरती रही है।

दशरथ मांझी और विद्यापति की विरासत

कई वर्षों तक लगातार पर्वत काटकर लोक-कल्याण के लिए सहज और सुगम मार्ग बनाने वाले 'माउंटेन मैन' (पर्वत-पुरूष) के नाम से विख्यात स्व.दशरथ मांझी की यह भूमि परम वंदनीय है। कला, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में बिहार का योगदान भी महत्वपूर्ण रहा है। आदिकवि वाल्मीकि और कवि-कोकिल विद्यापति बिहार के ही सपूत हैं। अनगिनत महान बिहारी साहित्यक-सांस्कृतिक  विभूतियां मां भारती के भव्य मंदिर का अनुपम शृंगार हैं।

कोविड का सामना करने में बिहार अव्‍वल

'कोविड-19' के खतरों से सावधानी के क्रम में इस बार भी 'बिहार दिवस' से जुड़े कार्यक्रम वर्चुअल रूप में ही आयोजित हो रहे हैं। अपने यशस्वी माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 'कोविड-19' का सामना भारत ने काफी  तत्परता और निपुणतापूर्वक किया है। दुनिया के 71 से भी अधिक देशों में अपने यहां बनी कोविड-वैक्सीन भेजकर भारत ने विश्व मानवता के कल्याण का काम किया है। बिहार में भी 'कोविड-19' नियंत्रित करने के सरकारी प्रयासों के परिणाम संतोषजनक रहे हैं। बिहार में कोविड की 'रिकवरी-रेट' राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है। आशा है, राज्य कोविड-टीकाकरण में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन करेगा।

सभी बिहारवासियों को दीं शुभकामनाएं

'बिहार दिवस' के आयोजन का मुख्य उद्देश्य आम जनता में अपनी संस्कृति, जीवंत परम्परा एवं अपने महापुरूषों के प्रति सम्मान तथा कृतज्ञता का भाव जगाना होता है। इनसे भावी जीवन के लिए प्रेरणा भी मिलती है। ऐसे अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम बिहारवासी अपने राज्य को विकसित राज्य के रूप में प्रतिष्ठित करेंगे और इसके नव-निर्माण में भरपूर योगदान देंगे। मैं 'बिहार दिवस' के पावन अवसर पर सभी बिहारवासियों एवं प्रवासी बिहारियों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं तथा बिहार की समग्र प्रगति की मंगलकामना करता हूं।

- फागू चौहान, राज्‍यपाल, बिहार


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