Bihar CoronaVirus Update: कोरोना को लेकर राहत भरी खबर, संक्रमण से बचा रही कीड़े मारने की दवा
Bihar CoronaVirus Update पेट के कीड़े मारने व फाइलेरिया की दवा आइवरमेक्टिन कोरोना संक्रमण को रोकने में भी कारगर पाई गई है। हालांकि इसे डॉक्टर के परामर्श के बिना लेना घातक है।
पटना, पवन कुमार मिश्र। Bihar CoronaVirus Update: कोरोना संक्रमण की रोकथाम और उसके उपचार में परजीवी कीड़ों को मारने वाली दवा आइवरमेक्टिन (Ivermectin) काफी प्रभावी साबित हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना संक्रमितों के उपचार में लगे स्वास्थ्यकर्मियों को बचाव के लिए यह दवा दी तो पंजाब सरकार ने भी संक्रमितों के उपचार में इसे शामिल कर लिया। हाल ही में पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (PMCH) ने भी कोरोना संक्रमितों के उपचार में इसे शामिल कर लिया है। दवा पर ऑस्ट्रेलिया (Australia), इटली (Italy) और बांग्लादेश (Bangladesh) में शोध चल रहा है। हालांकि, आइवरमेक्टिन के दुष्प्रभावों को देखते हुए बिना डॉक्टरी परामर्श इसे नहीं लेने की सलाह दी गई है।
फाइलेरिया की बीमारी में भी दी जाती यह दवा
बताते चलें कि आइवरमेक्टिन टैबलेट काली मक्खी के काटने से होने वाली रिवर ब्लाइंडनेस, गोल कृमि से छोटी आंत में होने वाले संक्रमण एस्कारियासिस और फाइलेरिया जैसे रोगों के इलाज में काम आती है। देश में फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली तीन दवाओं में यह भी एक है।
कम करती संक्रमण की आशंका, कम होते वायरस
पीएमसीएच के कोरोना नोडल पदाधिकारी डॉ. पूर्णानंद झा ने बताया कि दिल्ली-मध्यप्रदेश में हुए दवा परीक्षण में पाया गया कि कोरोना संक्रमितों के सीधे संपर्क में आने वाले डॉक्टरों व स्वास्थ्यकर्मियों या अन्य लोगों को यदि पहले, 7वें और 30वें दिन रात में खाना खाने के दो घंटे बाद 12 एमजी की आइवरमेक्टिन की गोली दी जाए तो इससे संक्रमण की आशंका काफी कम हो जाती है। इसके बाद हर माह एक-एक गोली लेने से काफी हद तक कोरोना से बचा जा सकता है। वहीं, कोरोना पॉजिटिव मरीजों को तीन दिन लगातार रात का खाना खाने के दो घंटे बाद आइवरमेक्टिन 12 एमजी टैबलेट के साथ पांच दिन सुबह-शाम डॉक्सीसाइक्लिन दवा देने पर अच्छे परिणाम निकले हैं। यह दवा न केवल वायरस को शरीर के जरूरी अंगों तक पहुंचने से रोकती है, बल्कि उन्हें संख्या नहीं बढ़ाने देती है।
गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं नहीं देनी है दवा
यह दवा उन लोगों को दी जाएगी जो हल्के लक्षण दिखने के तुरंत बाद भर्ती होंगे। जिन संक्रमितों को सांस लेने में तकलीफ थी, तीन दिनों में उनका भी वायरस लोड कई गुना कम देखा गया है। गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं को ये दवा नहीं दी जानी चाहिए। आइवरमेक्टिन एचआइवी, इनफ्लुएंजा, डेंगू और जीका वायरस में भी यह दवा प्रभावी पाई गई है।