CoronaVirus को ले बिहार से राहत भरी खबर: एक लाख सैंपल में 5% पॉजिटिव, केवल .04% आबादी संक्रमित
CoronaVirus को लेकर राहत भरी खबर है। बिहार में आबादी व जांच में मिले मरीजों के आंकड़े बता रहे हैं कि यहां बीमारी नियंत्रण में है। हालांकि जांच की गति भी बढ़ाने की जरूरत है।
पटना, जागरण टीम। CoronaVirus Bihar: बिहार में तेजी से पांव पसारते कोरोना के बीच राहत भरी खबर भी है। पिछले साढ़े तीन महीने में कोरोना के करीब पांच हजार मामले (Cases) मिले हैं, पर राज्य की 12.50 करोड़ की आबादी (Population) में यह संख्या करीब .04 फीसद ही है। एक और गुड न्यूज यह है कि स्वास्थ्य विभाग ने सात मार्च से आठ जून के बीच जिन 1,02,318 संक्रमण के संदिग्धों के सैंपल की जांच की है, उनमें केवल 5.05 फीसद को ही कोरोना पॉजिटिव (Corona Positive) पाया गया है। यह भी गौरतलब है कि संक्रमण के तीन महीने बाद भी राज्य में केवल ढ़ाई-तीन हजार जांच ही हो रही है और यहां रोजाना सौ से ढ़ाई सौ नए मामले मिल रहे हैं।
22 मार्च को मिला पहला मामला, अब तक मिले 5247
बिहार में कोरोना ने 22 मार्च को एक मौत के साथ एंट्री की थी। पटना के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में मुंगेर के एक युवक की मौत हुई थी। मौत के बाद उसकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर हड़कम्प मच गया था। इसके बाद संक्रमितों की संख्या धीरे-धीरे बढती रही, लेकिन तीन मई से प्रवासी श्रमिकों के आने के साथ आंकड़े विस्फोटक हो गए। राज्य में मंगलवार तक मिले कुल 5455 कोरोना संक्रमितों में आधे से अधिक प्रवासी श्रमिक ही हैं।
नए मरीजों की तुलना में अधिक हो रहे स्वस्थ
राज्य में अभी तक के आंकड़ों पर नजर डालेें तो अब तक मिले 5455 मरीजों में 2542 स्वस्थ हो चुके हैं। यह संख्या कुल संक्रमितों की करीब-करीब आधी है। ताजा स्थिति पर नजर डालें तो सोमवार को मिले कुल मरीजों से अधिक स्वस्थ हुए। स्वास्थ्य विभाग के सचिव लोकेश कुमार सिंह के अनुसार सोमवार को कोरोना के 105 नए मरीज मिले। जबकि, 24 घंटे में महामारी की चपेट में रहे 137 मरीज स्वस्थ भी हो गए। स्पष्ट है, नए मरीजों की तुलना में अधिक संख्या में लोग स्वस्थ हो रहे हैं।
मौत के मामले में देश में 14वें पायदान पर बिहार
संक्रमण के शिकार लोगों की मौत के मामलों में भी राज्य की स्थिति अन्य राज्यों की तुलना में ठीक है। राज्य में अब तक 32 लोगों की मौत हुई है, जिनमें अधिकांश विभिन्न गंभीर बीमारियों से ग्रस्त थे। कोरोना से मौत के मामले में बिहार देश में 14वें पायदान पर है।
जांच केंद्रों के बढ़ने के साथ बढ़ी जांच की भी गति
उक्त आंकड़े राहत देते हैं, लेकिन हमें यह भी नहीं भूलना चाहिए कि बिहार में प्रतिदिन सौ से ढ़ाई सौ नए मामले मिल रहे हैं। राज्य में सात जांच केंद्र आरटीपीसीआर ( रिजर्व ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमरेस चेन रिएक्शन) जांच कर रहे तो छह अस्पतालों में ट्रू-नेट पद्धति से जांच की जा रही है। आरटीपीसीआर व ट्रू-नेट कोरोना संक्रमण की जांच की पद्धतियां हैं। इसके अलावा पटना के निजी जांच केंद्र सेन डागोनेस्टिक में भी कोरोना की जाच शुरू की गई है। राज्य में जांच केंद्रों के बढ़ने के साथ जांच की गति भी बढ़ी है। अप्रैल में रोजाना औसत जांच पांच सौ से एक हजार थी, जो बढ़कर मई में ढ़ाई हजार तो जून में साढ़े तीन हजार हो चुकी है।
प्रति 10 लाख आबादी पर जांच में 13वां स्थान
जांच की गति तो बढ़ी है, पर इसे और बढ़ाने की जरूरत है। प्रति 10 लाख की आबादी पर आंकड़ों को देखें तो जांच के मामले में बिहार 13वें स्थान पर है। राज्य में 10 लाख की आबादी पर केवल 313 सैंपल की जांच की गई है। यह आंकड़ा पश्चिम बंगाल के 543, तेलंगाना के 518 तथा उत्तर प्रदेश के 601 जांच से पीछे है। प्रति 10 लाख की आबादी पर देखें देश में सर्वाधिक संक्रमित महाराष्ट्र में 1846 जांच हो रहे हैं। जबकि, दिल्ली में 5335 जांच हो रहे हैं।
आंकड़े की राहत, पर जांच के लक्ष्य व उपलब्धि में फासला
स्पष्ट है, संक्रमण के आंकड़े भले ही राहत दें, यह भी तथ्य है कि बिहार में कोरोना संक्रमण के तीन महीने बाद तक केवल एक लाख से कुछ अधिक जांच हो सके हैं। कोरोना संक्रमण के तीन महीने में इसका औसत रोजाना 1012 जांच का है। यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा घोषित प्रतिदिन 10 हजार जांच के लक्ष्य का केवल 10 फीसद ही है।