Bihar Coronavirus News: बिहार में कांग्रेस की सियासी नाव को पार लगाएगा कोरोना
बिहार में कांग्रेस के लिए कोरोना ही सियासी नाव की पतवार बन गया है। राहुल गांधी पहले ही ट्वीट कर नेताओं को राह दिखा चुके हैं।
सुनील राज, पटना। बिहार में इस वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर संशय जारी है। कोरोना काल में एक ओर जहां चुनाव आयोग समय पर चुनाव कराने के लिए कमर कसे हुए है। दूसरी ओर कई ऐसे विरोधी सियासी दल भी हैं जो चाहते हैं चुनाव टाले जाएं। फैसला जो भी हो, लेकिन कांग्रेस के लिए कोरोना ही सियासी नाव की पतवार बन गया है।
तीन दिनों तक मैराथन बैठक
सरकार द्वारा इस महीने 16 जुलाई से किए गए लॉकडाउन के बाद से कांग्रेस की गतिविधियां ठप पड़ गई थी। हालांकि इसी महीने सात से नौ जुलाई को राज्यसभा सांसद और बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने तीन दिनों तक मैराथन बैठक कर पार्टी नेताओं को चुनाव से जुड़ी कई जिम्मेदारियां सौंपी। पार्टी के बुजुर्ग नेताओं को जिलों का प्रभारी बना दिया। हिदायत दी गई कि फील्ड में जाएं और कांग्रेस की जमीनी मजबूती का आकलन कर गोपनीय रिपोर्ट आलाकमान को दें।
एक साथ दो बंदिशें-पहली उम्र दूसरा लॉकडाउन
पार्टी के बुजुर्ग नेता पटना छोड़ क्षेत्र में जा पाते कि लॉकडाउन ने उनके पांवों में जंजीरें पहना दीं। एक साथ दो बंदिशें। पहली तो उम्र दूसरा लॉकडाउन। कांग्रेसियों के लिए यह मुश्किल समय है। कोई राह नहीं नजर आ रही थी तभी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के एक ट्वीट ने कांग्रेसियों को नई राह सुझा दी है। राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में कोरोना को लेकर प्रदेश की नीतीश सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। अब कांग्रेस कोरोना को मुद्दा बना रही है। राहुल के ट्वीट के बाद आज पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा ने कोरोना का हवाला देकर तीन अगस्त से प्रस्तावित बिहार विधान मंडल का सत्र स्थगित करने की मांग उठा दी है।
स्थानीय लोगों को सरकार की नाकामी बताएं
मिश्रा ने कहा है कि मुश्किल समय है। सरकार को दूसरे तमाम काम रद कर कोरोना से लड़ाई पर अपना ध्यान लगाना चाहिए। इसके पहले वे चुनाव कराने को लेकर सर्वदलीय राय बनाने की बात कह चुके हैं। कांग्रेस सूत्र बताते हैं कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की ओर से जिलों को ऐसे निर्देश दिए गए हैं कि स्थानीय नेता कोरोना को लेकर सरकार पर हमलावर हो जाएं। जिलाध्यक्ष ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को कोरोना में सरकार की नाकामी बताएं। दूसरी ओर सोशल मीडिया विंग को हिदायत दी गई है कि वह सोशल साइट्स पर कोरोना को नियंत्रित करने में सरकार कैसे विफल हुई है इसे उजागर करें। कांग्रेस अपने मकसद में कितना सफल होगी यह बहस का मुद्दा हो सकता है, परन्तु इतना तो तय है कि चुनाव काल में ठंडी पड़ी कांग्रेस ने कोरोना को सियासी पतवार बनाने का फैसला कर लिया है।