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Bihar CoronaVirus Alert: काेविड-19 की दूसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक,10 गुना बढ़ा संक्रमण, जानें लक्षण

पिछले साल एक प्रतिशत बच्‍चों में कोविड-19 संक्रमण पाया गया। इस बार यह आंकड़ा 10 फीसद के आसपास है। एम्स में कोरोना संक्रमित 124 बच्चे भर्ती हैं। पिछले एक सप्ताह में तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। पटना एम्स जल्द हेल्पलाइन नंबर जारी करेगा ।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 13 Apr 2021 07:57 PM (IST)Updated: Tue, 13 Apr 2021 08:19 PM (IST)
Bihar CoronaVirus Alert: काेविड-19 की दूसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक,10 गुना बढ़ा संक्रमण, जानें लक्षण
बच्‍चों में ये लक्षण मिले तो हल्‍के में ना लें, सांकेतिक तस्‍वीर।

पटना, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर बच्चों के लिए खतरनाक है। पिछले साल कुल संक्रमित मामलों में 15 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या एक प्रतिशत से भी कम थी। वहीं, इस बार यह आंकड़ा 10 फीसद के आसपास है। पिछले एक सप्ताह में 15 साल से कम उम्र के तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। पटना में सोमवार को कुल 1197 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव थी, जिसमें इसमें 24 साल से कम उम्र वालों की संख्या 242 (20 फीसद) है। सबसे अधिक संख्या 25 से 49 आयु वर्ग वालों की है। इनकी भागीदारी लगभग 53 फीसद है। 50 से 74 आयु वर्ग वाले लगभग 25 फीसद हैं। 75 से अधिक आयु वर्ग वाले सबसे कम पॉजिटिव हो रहे हैं। इनकी भागीदारी दो फीसद से थोड़ी अधिक है।

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संक्रमण दर बढऩे की वजह लापरवाही

एम्स, पीएमसीएच, एनएसमसीएच के कोरोना नोडल पदाधिकारियों के अनुसार दूसरी लहर में बच्चों का संक्रमण दर बढऩे की सबसे बड़ी वजह एहतियात नहीं बरतना है। बुजुर्ग का संक्रमण दर एहतियात बरतने के कारण नहीं बढ़ा है। पटना की सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी सिंह ने बताया कि  इस बच्चे बाहर खेलने-कूदने व अन्य कार्य के लिए जा रहे हैं। यह संक्रमण दर बढऩे का प्रमुख कारण है। पहली लहर में बच्चों को अभिभावक ख्याल रख रहे थे। इस बार इसमें नरमी देखी जा रही है।

बच्चों की तकलीफ को हल्के में नहीं लें :

एम्स, पटना के शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉ. लोकेश तिवारी ने बताया कि एम्स में फिलहाल कोरोना संक्रमित 124 बच्चे भर्ती हैं। किसी तरह की तकलीफ दिखने पर तत्काल चिकित्सक से सलाह लें।

यह हैं बच्चों में कोरोना के लक्षण

- शुरुआती लक्षण में फीवर, कफ, हाथ-पैर ठंडा होना, सुस्ती, पेशाब कम आना प्रमुख है। सांस तेज चलने, बुखार होने पर इंतजार नहीं करना चाहिए। तुरंत जांच और इलाज शुरू कराएं। त्वचा पर चकत्ते, दाने, खून का थक्का बनना भी लक्षण है। इन्हें गंभीरता से लें। कुछ मामलों में ब्रेन, फेफड़े, किडनी में भी थक्का जमने की शिकायत मिली है। एम्स में भी एक बच्चे के ब्रेन में थक्का बन गया था। काफी मेहनत के बाद उसे बचाया जा सका है। पीडियाट्रीक मल्टी सिस्टम इंफ्लेनेट्री सिंड्रोम (पीएमआइएस) में कई ऑर्गन फेल हो जाते हैं। इससे  हार्ट, फेफड़ा, किडनी, ब्रेन और हीमेटोलॉजिकल सिस्टम काम करना बंद कर देता है। एम्स में ऐसे दो केस पहुंचे हैं। दोनों को सुरक्षित बचा लिया गया है। इन क्रिटिकल मामलों में मौत की दर 70 फीसद है।

ऐसे करें बचाव :

एम्स, पटना के शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉ. लोकेश तिवारी की सलाह है कि

- परिवार में किसी के पॉजिटिव होने के बाद बच्चों को आइसोलेट करें।

- पॉजिटिव सदस्य के कमरे व आसपास में बच्चों को नहीं जाने दें।

- बहुत जरूरी हो तभी बच्चों को घर से बाहर जाने की अनुमति दें।

- मास्क, सैनिटाइजर आदि का उपयोग मानक के अनुरूप हो।

- बच्चों को लक्षण बताने के लिए प्रोत्साहित करें।

पटना एम्स में बच्चों के लिए जल्द खुलेगा कोविड हेल्पलाइन :

बच्चों में संक्रमण दर बढऩे के कारण हेल्पलाइन खोलने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। जल्द ही अभिभावक व बच्चे इसका लाभ ले पाएंगे। गूगल फॉर्म के माध्यम से प्रश्न मांगे जाएंगे।


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