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बिहार में चार सीटों पर सिमट गई थी कांग्रेस, फिर से मुख्‍य पार्टी बनाएंगे राज्‍य प्रभारी भक्‍त चरण दास

कांग्रेस को राज्य की मुख्य पार्टी बनाने का कांग्रेसियों का संकल्प दो हफ्ते के दौरे पर बिहार में हैं राज्‍य प्रभारी नेताओं को ताकीद खुले दिल से सभी कांग्रेसजनों से करें संवाद प्रखंड से पंचायत तक किसानों के समर्थन में करें रैली

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Tue, 26 Jan 2021 02:15 PM (IST)Updated: Wed, 27 Jan 2021 08:36 AM (IST)
बिहार में चार सीटों पर सिमट गई थी कांग्रेस, फिर से मुख्‍य पार्टी बनाएंगे राज्‍य प्रभारी भक्‍त चरण दास
बिहार में कांग्रेस को पुराने दिन लौटने की आस। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, राज्य ब्यूरो। Bihar Politics: आजादी के बाद से लंबे दौर तक बिहार की राजनीति में कांग्रेस (Bihar Congress) का मुख्‍य रोल रहा। लेकिन लालू यादव के उदय के बाद बिहार में कांग्रेस की बुरी गत होते चली गई। अब लालू की पार्टी राजद का ही सहारा लेकर कांग्रेस फिर से जिंदा हो रही है तो पार्टी में पुरानी दिनों को वापस लाने की हसरत जगने लगी है। अपने दूसरे दौरे पर पटना आए बिहार कांग्रेस के प्रभारी भक्त चरण दास ने पार्टी नेताओं के साथ मिलकर संकल्प लिया कि हर हाल में कांग्रेस को बिहार की मुख्य पार्टी बनाएंगे। फि‍लहाल कांग्रेस बिहार में चौथे नंबर की राजनीतिक पार्टी है। यह कहना जितना आसान है, करना उससे कहीं अधिक मुश्किल होगा। क्‍योंकि इसके लिए कांग्रेस को उस राजद को भी पीछे छोड़ना होगा, जिसकी बैशाखी के सहारे फिलहाल पार्टी खड़ी हो रही है।

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जानें किस तरह बिहार में सिमटती गई कांग्रेस

फिलहाल 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में कांग्रेस के पास केवल 19 सीटें हैं। ये सीटें कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़कर हासिल की हैं। बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में पार्टी को 10 फीसद से भी कम मत मिले हैं। 2015 के चुनाव में बिहार कांग्रेस को 27 सीटें हासिल हुई थीं। 1995 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के लिए यह आंकड़ा सबसे बड़ा है। 95 में कांग्रेस को बिहार में 29 सीटें मिली थीं। इसी चुनाव से बिहार में कांग्रेस के पतन का दौर शुरू हुआ। इससे पहले 1990 के चुनाव में कांग्रेस को 71 सीटें मिलीं। इसके उलट 2005 में केवल 10 सीटों पर ही कांग्रेस सिमट गई। 2010 का बिहार विधानसभा चुनाव कांग्रेस के लिए सबसे शर्मनाक रहा। इस चुनाव में कांग्रेस को केवल 4 सीटें ही हासिल हुईं। 1985 के चुनाव में कांग्रेस ने अविभाजित बिहार (झारखंड सहित) में 196 सीटें हासिल कर सरकार बनाई थी। इससे पहले कई चुनावों में बिहार में कांग्रेस की सीटें 200 से भी अधिक रही हैं।

पहले दौरे में हुए थे परेशान, इस बार दो हफ्ते का कार्यक्रम

बिहार प्रभारी बनाए जाने के बाद प्रदेश के पहले दौर में भक्‍त चरण दास को काफी प्रतिकूल हालात का सामना करना पड़ा था। सदाकत आश्रम स्थित प्रदेश कार्यालय में उनकी मौजूदगी में लगातार दो दिन खूब हंगामा हुआ। नेतृत्‍व के बुलावे पर विधानसभा चुनाव में टिकट और पार्टी से पैसा लेने वाले कई उम्‍मीदवार बैठक में आए तक नहीं। इस बार दो सप्ताह के दौरे पर बिहार आए दास 27 जनवरी से जिलों का दौरा करेंगे और पार्टी की कमजोरी से लेकर उसकी बेहतरी तक पर नेताओं से बात करेंगे।

गौरवशाली अतीत को वापस लाने की अपील

पटना पहुंचने पर सोमवार को दास ने कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में नेताओं के साथ बैठक की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि बिहार का अतीत बेहद गौरवशाली रहा है। मौलाना मजहरूल हक, देशरत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. श्रीकृष्ण सिंह के साथ ही महात्मा गांधी का उल्लेख करते हुए कहा कि इन सभी महापुरूषों ने देश के साथ ही बिहार के विकास के लिए अपना अमूल्य योगदान दिया है। कांग्रेस की उस पुरानी प्रतिष्ठा को बिहार में फिर से जीवित करना है।

जिलों में जाकर फीडबैक लेंगे राज्‍य प्रभारी

दास ने कहा नेताओं को सभी से खुले दिल से मिलने की आदत डालनी होगी। यदि पार्टी के किसी नेता-कार्यकर्ता को परेशानी है तो यह पार्टी की परेशानी समझी जाएगी। जिसका सब मिलकर निदान करेंगे। उन्होंने कहा आज से लेकर पांच फरवरी तक वे बिहार में हैं। इस दौरान उनका जिलास्तर पर संगठन को मजबूत करने का अभियान चलेगा। जिसमें वे जिलों में जाकर पार्टी नेताओं से बातचीत कर कमजोरी से लेकर संगठन की मजबूती पर फीडबैक लेंगे। दास ने नेताओं से कहा कि वे किसानों के समर्थन में सभी जिलों, प्रखंड पंचायत में रैली करें।


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