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उधारी के डीजल से चल रही बिहार के सीओ की सरकारी गाड़ी, नौकरी के डर से पैसे नहीं मांगते अफसर

अंचलाधिकारी उधारी के डीजल पर सरकारी गाड़ी की सवारी कर रहे हैं। साल भर से ईंधन मद का भुगतान अनियमित है। नतीजा पेट्रोल पंप मालिक ने सारण जिला के एक सीओ को उधार में डीजल देने से मना कर दिया।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Sat, 20 Nov 2021 05:22 PM (IST)Updated: Sat, 20 Nov 2021 05:22 PM (IST)
उधारी के डीजल से चल रही बिहार के सीओ की सरकारी गाड़ी, नौकरी के डर से पैसे नहीं मांगते अफसर
सीओ की गाड़ी उधारी के डीजल से जल रही है। सांकेतिक तस्वीर।

राज्य ब्यूरो, पटना: अंचलों में तैनात अधिसंख्य सीओ (अंचलाधिकारी) उधारी के डीजल पर सरकारी गाड़ी की सवारी कर रहे हैं। साल भर से ईंधन मद का भुगतान अनियमित है। नतीजा: पेट्रोल पंप मालिक ने सारण जिला के एक सीओ को उधार में डीजल देने से मना कर दिया। वह अपने भाई की गाड़ी से मौका मुआयना करने जा रहे हैं। डर है, ईंधन की मांग लिखित तौर पर करेंगे तो निलंबित कर दिए जाएंगे। 

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यह हाल सिर्फ एक सीओ का नहीं है। ज्यादा इसी हाल से गुजर रहे हैं। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग जिलों को इस मद का आवंटन भेज देता है। यह जिले की मर्जी है कि अंचलों को समय पर रुपया दे या न दे। कई अंचलों में साल भर से ईंधन मद में भुगतान नहीं हुआ है। पहले के वर्षों में भी कभी 10 हजार तो कभी 12 हजार रुपये इस मद में भेज दिए जाते हैं। अंचलों में ज्यादा पुरानी सूमो गाड़ी है। इसमें डीजल की खपत अधिक होती है। जाहिर है, गाड़ी के रख रखाव का खर्च भी सीओ को खुद उठाना पड़ता है। आम तौर पर यह काम कर्मचारियों के माथे पर रहता है। 


रोज दौरा करना होता है

सीओ का मूल काम भू राजस्व प्रबंधन का है। विवादों के निबटारे के लिए लगातार क्षेत्र भ्रमण करना होता है। म्यूटेशन, दखल देहानी, अतिक्रमण मुक्ति अभियान, पर्चे वाली जमीन पर पर्चाधारी को कब्जा दिलाने जैसे कार्यों के लिए उन्हें रोज कहीं न कहीं निकलना पड़ता है। इसके अलावा विधि व्यवस्था की भी जिम्मेवारी संभालनी होती है। मोटे तौर पर रोज आठ से 10 लीटर डीजल की जरूरत पड़ती है। कार्य दिवस के हिसाब से हर महीने कम से कम 25 हजार रुपया का खर्च बैठता है। 

दैनिक मजदूरी पर ड्राइवर

अवकाश ग्रहण करने वाले अंचलों में नियमित ड्राइवरों की नियुक्ति नहीं हो रही है। दो सौ से अधिक अंचलों में दैनिक मजदूरी पर ड्राइवर काम करते हैं। इन्हें महीने में 26 दिन का भुगतान किया जाता है। कुशल मजदूरों के लिए तय प्रतिदिन चार सौ एक रुपये की दर से महीने में साढ़े 10 हजार के करीब भुगतान मिलता है। ड्राइवरों के वेतन मद की राशि भी अनियमित है। 

क्या बोले मंत्री


यह गंभीर विषय है, लेकिन अबतक मेरे संज्ञान में नहीं आया है। हम कोशिश करेंगे कि ईंधन मद में मिलने वाली राशि का हर महीने भुगतान हो। सीओ अपने क्षेत्र में भ्रमण नहीं करेंगे तो सरकारी काम कैसे होगा। 

रामसूरत कुमार, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री। 


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