बिहार चुनाव 2020ः पांच साल की मेहनत से बेहतर भविष्य की उम्मीद, मांझी, पप्पू और सहनी के लिए नतीजे अहम
हिंदूस्तानी आवाम मोर्चा विकासशील इंसान पार्टी और जन अधिकार पार्टी के लिए 2020 विधानसभा चुनाव के नतीजे बेहद अहम होने जा रहे हैं। इनमें दो ऐसी पार्टियां हैं जो बड़े दलों के सहयोगियों के रूप में चुनाव मैदान में थी तो तीसरे दल ने अपने बूते चुनाव लड़ा।
पटना, जेएनएन। बिहार के तीन छोटे और क्षेत्रिय दलों के लिए 2020 विधानसभा के नतीजे बेहद अहम होने जा रहे हैं। ये दल हैं हिंदूस्तानी आवाम मोर्चा, विकासशील इंसान पार्टी और जन अधिकार पार्टी। इनमें दो ऐसी पार्टियां हैं जो बड़े दलों के सहयोगियों के रूप में चुनाव मैदान में थी तो तीसरे दल ने अपने बूते चुनाव लड़ा। इन तीनों पार्टियों में समान बात यह है कि तीनों ही पिछले पांच वर्षों से बिहार में अपनी जमीन तैयार करने की कोशिश में जुटी हैं पर सफलता ने अब तक इनके कदम नहीं चूमे हैं।
सक्रियता रही कितनी कारगार, चलेगा पता
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा पांच साल पहले अस्तित्व में आया था। इसके सुप्रीमो रहे जीतन राम मांझी विगत पांच वर्षों से लगातार पार्टी को बिहार में एक मुकाम देने की कोशिश में हैं। कुछ ऐसा ही हाल मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी और पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी का है। सहनी 2015 में राजनीति में सक्रिय जरूर हुए लेकिन उनकी चुनावी राजनीति महज एक वर्ष ही पुरानी है। 2020 विधानसभा चुनाव के पहले उन्होंने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी तीन सीटों पर जोर आजमाइश जरूर की पर संसद तक पहुंच नहीं पाए। पप्पू यादव ने 2015 के चुनाव में जाप बनाई और इसके संरक्षक के रूप में अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे। परन्तु जाप अपना खाता भी नहीं खोल सकी।
सबको बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद
इस बार इन पार्टियों के प्रमुखों को अपनी पांच की मेहनत से बेहतर भविष्य की उम्मीद है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा ने जदयू के कोटे की सात सीटों किस्मत आजमाई तो मुकेश सहनी ने भाजपा के कोटे की 11 सीटें पर। अलबत्ता पप्पू यादव जरूर अपने बूते 158 सीटों पर लड़ाई लड़ रहे थे। मांझी को उम्मीद है कि इस बार उन्हें कम से कम छह सीटें जरूर मिलेंगी। वहीं सहनी को भी भाजपा के सहयोग से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है। उम्मीद और इंतजार की घडिय़ां बस अब समाप्त होने को हैं। 10 नवंबर को तय होगा कि जनता ने लगातार पांच साल मेहनत कर मुकाम हासिल की कोशिश में जुटी पार्टियों को अपना भरोसा दिया या फिर बीते चुनाव की तरह इनकी किस्मत खुलने से पहले ही उस पर ताला जड़ दिया।