बिहार चुनाव 2020ः एक्जिट पोल से सरकार के चहेते नौकरशाहों की बढ़ी बेचैनी, हकीकत भांपने को परिक्रमा शुरू
एक्जिट पोल से सियासी रणनीतिकारों ही नहीं नौकरशाहों की भी बेचैनी बढ़ गई है। खासकर डेढ़ दशक से सरकार के चहेतों में खलबली है। इसमें भी नवरत्नों के बीच जबरदस्त पैनिक माहौल है। हालांकि नौकरशाही के एक खेमे को अभी भी भरोसा है कि फिर एनडीए की सरकार ही बनेगी।
पटना, जेएनएन। सत्रहवीं विधानसभा चुनाव को लेकर आए एक्जिट पोल से सियासी रणनीतिकारों ही नहीं, नौकरशाहों की भी बेचैनी बढ़ गई है। खासकर डेढ़ दशक से सरकार के चहेतों में खलबली है। इसमें भी नवरत्नों के बीच जबरदस्त पैनिक माहौल है। हालांकि, नौकरशाही के एक खेमे को अभी भी भरोसा है कि फिर एनडीए की सरकार ही बनेगी। एक्जिट पोल के परिणाम पिछले कई चुनावों में हवा हवाई साबित हुए हैं। खासकर 2019 के लोकसभा और 2015 के विधानसभा चुनाव में एक्जिट पोल की हवा निकल गई थी।
जमीनी हकीकत टटोलने को मची होड़
उधर, सत्ता परिवर्तन की आशंका से बेचैन जिलों से लेकर शासन में तैनात दर्जनों अधिकारियों के बीच जमीनी हकीकत टटोलने की होड़ मची रही। मोबाइल घनघनाते रहे। आइएएस व आइपीएस ही नहीं, आइएफएस व बासा के अधिकारी हकीकत भांपने में दिनभर व्यस्त रहे। शासन के आला अधिकारियों में जिलाधिकारियों से लेकर एसडीओ और एसएसपी-एसपी से लेकर एसडीपीओ व थानेदार तक की नब्ज टटोलने की बेकरारी दिखी।
बड़े प्रशासनिक फेरबदल की चर्चा भी शुरू
अहम यह है कि महत्वपूर्ण पदों पर से विदाई के साथ ही बड़े प्रशासनिक फेरबदल की चर्चा भी शुरू हो गई है। खासकर महागठबंधन नेताओं को अहमियत नहीं देने वाले अफसरों को डर सताने लगा है। सत्ता परिवर्तन की सुगबुगाहट से नवरत्न आइएएस व आइपीएस लॉबी हलकान-परेशान है।
पने-अपने आकाओं के यहां लगने लगी परिक्रमा
दिलचस्प बात यह है कि अभी से भयभीत नौकरशाह अपने-अपने आकाओं के यहां परिक्रमा शुरू कर दिए हैं। वैसे माना जा रहा है कि अगर सत्ता परिवर्तन हुआ तो देर-सबेर नौकरशाही में बड़ा बदलाव होना निश्चित है। इसका फायदा सीधे तौर पर किन अधिकारियों को मिलेगा और कौन किनारे किए जाएंगे यह समय बताएगा। हां, इतना जरूर है कि मलाईदार पदों तैनात अफसरों को हाशिए पर जरूर भेजा जाएगा। कईयों ने अभी से केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए जगह बनाने की कवायद तेज कर दी है।