Bihar Chunav 2020: राघोपुर ने लड़ी मुख्यमंत्री की लड़ाई, एग्जिट पोल में तेजस्वी की बढ़त से खुशी की लहर
Bihar Chunav 2020 राघोपुर विधानसभा के 53 वर्षों के चुनावी इतिहास में यहां अब तक यदुवंशी ही चुनाव जीतते रहे हैं। इलाके ने मुख्यमंत्री के रूप में 1995 में पहली बार लालू प्रसाद को बतौर मुख्यमंत्री अपना विधायक चुना।
हाजीपुर [ रवि शंकर शुक्ला ]। बिहार विधानसभा चुनाव-2020 के एग्जिट पोल में राजद महागठबंधन की बढ़त से राघोपुर विधानसभा क्षेत्र में खुशी की लहर दाैड़ गई है। राघोपुर से ही राजद महागठबंधन के सीएम फेस तेजस्वी यादव ने विधानसभा का चुनाव लड़ा है। यहां विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में 3 नवंबर को मतदान हुआ था। सीधे कहें तो यहां मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए लड़ाई हुई। राजद प्रत्याशी तेजस्वी मुख्यमंत्री प्रत्याशी के रूप में मतदाताओं के बीच थे। एग्जिट पोल से राघोपुर गदगद है। तेजस्वी अगर मुख्यमंत्री बनते हैं तो यह अपने आप में एक रिकॉर्ड होगा। यह तीसरा माैका होगा जब राघोपुर का विधायक बिहार का नेतृत्व करेगा। इससे पहले तेजस्वी के माता-पिता लालू प्रयाद यादव और राबड़ी देवी राघोपुर से विधायक रह चुके हैं। दोनों जब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर थे तो राघोपुर का ही प्रतिनिधित्व करते थे।
एग्जिट पोल के नतीजे से राघोपुर का उत्साह दोगुना
राघोपुर के मतदाताओं ने ईवीएम का बटन दाबकर अपने इरादे का इजहार कर दिया है। लालू एवं राबड़ी के रूप में दो मुख्यमंत्री देने वाले इस इलाके ने इस बार चुनाव में विधायक की नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई लड़ी है। मतदान के बाद से तेजस्वी यादव के समर्थकों के उत्साह को एक्जिट पोल के अनुमान ने दोगुना कर दिया है। महागठबंधन के साथ के लोग तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनता देख रहे हैं। वहीं इस जंग में एनडीए के समर्थक आखिरी वक्त में भी नीतीश कुमार की मजबूत सरकार की फिर से वापसी की चाहत के साथ डटे हैं।
पहली बार लालू-राबड़ी की गैर-मौजूदगी में तेजस्वी ने अकेले लड़ी लड़ाई
बीते दो दशक में यह पहला मौका है जब लालू-राबड़ी की गैर मौजूदगी में इलाके ने तेजस्वी के साथ अकेले चुनाव लड़ा है। वहीं पहला चुनाव है जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राघोपुर चुनाव प्रचार करने नहीं पहुंचे। साथ ही जदयू का कोई स्टार प्रचारक भी यहां चुनाव प्रचार में नहीं पहुंचा। यहां केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद ने पूरे चुनाव प्रचार का मोर्चा संभाले रखा। राष्ट्रीय नेताओं में सिर्फ रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह यहां चुनाव प्रचार में आए थे। चुनाव के दौरान इन बातों का अलग-अलग मायने-मतलब निकाले जाने के बावजूद इलाके ने एक ओर तेजस्वी के नेतृत्व में पूरी मजबूती के साथ मुख्यमंत्री की कुर्सी पाने तो दूसरी ओर सतीश को जीताकर मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने की चाहत के साथ चुनाव लड़ा है।
53 वर्षों के चुनावी इतिहास में यहां यदुवंशी ही चुनाव जीतते रहे
राघोपुर विधानसभा के 53 वर्षों के चुनावी इतिहास में यहां अब तक यदुवंशी ही चुनाव जीतते रहे हैं। इलाके ने मुख्यमंत्री के रूप में 1995 में पहली बार लालू प्रसाद को बतौर मुख्यमंत्री अपना विधायक चुना। राघोपुर में 1952 से लेकर 2015 तक के चुनावी इतिहास में सबसे अधिक मतों से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड लालू के नाम ही दर्ज है। लालू की यहां 54 हजार 603 मतों के अंतर से जीत हुई थी। दूसरी बार 2000 में लालू यहां से चुनाव जीते। 2005 के फरवरी एवं अक्टूबर में हुए चुनाव में बतौर राबड़ी देवी यहां से चुनाव जीतीं। 2010 के चुनाव में राबड़ी को जदयू से खड़े सतीश ने पराजित कर दिया था। 2015 के चुनाव में अपनी पुस्तैनी सीट की वापसी सतीश से करते हुए तेजस्वी ने उन्हें 22 हजार 733 मतों के अंतर से पराजित कर दिया था।
इलाके में आज तक नहीं खिल सका है कमल
इलाके में आज तक कमल नहीं खिल सका है। सतीश को यहां से 2010 के विधानसभा चुनाव में एक बार मौका भी मिला तो जदयू से ही। बीते चुनाव में कमल के साथ उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा था। आसन्न चुनाव में फिर एक बार यहां लालटेन का कमल से सीधा मुकाबला है। दो धाराओं के बीच चुनाव में देखना दिलचस्प होगा कि इस बार यहां लालटेन का राज कायम रहता है या फिर भाजपा का कमल खिलता है ?\
एक्जिट पोल के अनुमान के बाद राघोपुर में खुशी की लहर
राघोपुर के लोग वैसे तो तेजस्वी प्रसाद यादव के नेतृत्व में पहले से ही मुख्यमंत्री की कुर्सी की लड़ाई लड़ रहे थे। राघोपुर में तेजस्वी की करीब आधा दर्जन सभाएं चुनाव के दौरान हुई थी और सभी सभाओं में महागठबंधन के समर्थकों की भारी भीड़ काफी उत्साहित दिख रही थी। यहां तक की तेजस्वी ने अपने आखिरी दौर की सभाओं में अपनों से यह स्पष्ट कह दिया था कि हम सरकार बनाने जा रहे हैं। किसी को भ्रम में नहीं रहना है। विरोधियों के बहकावे में नहीं आना है। तेजस्वी की इन बातों ने उनके समर्थकों को आखिरी वक्त में भी काफी उत्साहित रखा। मतदान के बाद जो रूझान आए, तेजस्वी समर्थकों के चेहरे पर खुशी ज्यादा दिखाई दे रही है। अब तो आखिरी चरण के मतदान के बाद शनिवार की एक्जिट पोल के रिपोर्ट आए उसने तो इलाके को गदगद कर दिया है। इलाका झूम रहा है। मतगणना को लेकर बेचैनी काफी बढ़ गई है।