बिहार चुनाव 2020ः कांग्रेस बोली-नीतीश कुमार की हताशा शुभ संकेत नहीं, भाकपा ने बयान को बताया 'इमोशनल कार्ड'
नीतीश कुमार का बयान सियासी गलियों में लगातार चर्चा बटोर रहा है। कांग्रेस ने इसे शुभ संकेत न होना बताया है। भाकपा ने कहा है कि नीतीश कुमार चाहे सत्ता में बने रहने के लिए जितना जोर लगा लें लेकिन बिहार की जनता बदलाव को तैयार है।
पटना, जेएनएन। पूर्णिया में गुरुवार को चुनाव प्रचार के आखिरी दिन नीतीश कुमार का बयान सियासी गलियों में लगातार चर्चा बटोर रहा है। कांग्रेस ने इसे शुभ संकेत न होना बताया है। भाकपा के प्रभारी राज्य सचिव रामबाबू कुमार ने शुक्रवार को कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहे सत्ता में बने रहने के लिए जितना जोर लगा लें, लेकिन बिहार की जनता बदलाव को तैयार है। चुनाव में भाजपा-जदयू की हार को देखते हुए नीतीश कुमार ने 'इमोशनल कार्ड' खेलने की कोशिश की है, जिसके झांसे में जनता नहीं आने वाली है।
उन्होंने कहा कि जनता भाजपा और जदयू के कुशासन से बिल्कुल त्रस्त है और परिवर्तन चाहती है। खास बात है कि जनता ने महागठबंधन और वामदलों पर अपना विश्वास जताया है। नीतीश सरकार ने 15 साल के शासन में कोई भी ऐसा उल्लेखनीय कार्य नहीं किया है। बिहार अब इस परिस्थिति से अपने को उबारना चाहता है और नया विकल्प देना चाहता है। महागठबंधन और वामदल जनता की पहली पसंद बन चुके हैं और वे विश्वसनीय विकल्प भी दे रहे हैं।
नीतीश ने सत्ता की मलाई बहुत खाई: कांग्रेस
चुनाव प्रचार के आखिरी दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा अपनी अंतिम चुनाव की घोषणा करने पर कटाक्ष करते हुए कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने कहा कि नीतीश ने सत्ता की मलाई बहुत खाई। अब उन्हेंं विपक्ष में जन सेवा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विपक्ष का भी सम्मान करना जानती है। संभावित हार से भयभीत होकर नीतीश कुमार हताशा और निराशा से घिर गए हैं। लगातार सत्ता में बने रहने के कारण उनको लोकतंत्र में विपक्ष की सकारात्मक भूमिका का ज्ञान नहीं रहा है। कोई भी जनता का प्रतिनिधि जो जनता का असली हितैषी होगा वो सत्ता ही नहीं, विपक्ष में रहकर भी जनसेवा कर सकता है। राजेश राठौड़ ने आगे कहा कि नीतीश कुमार की हताशा लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है।