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Bihar Chhath: 16 अप्रैल से कई शुभ संयोग में आरंभ होगा चार दिवसीय महापर्व छठ, जानें व्रत की महिमा

चार दिवसीय महापर्व छठ पर ग्रह-गोचरों का शुभ संयोग बन रहा है। 17 अप्रैल को शोभन योग में छठ व्रती खरना का प्रसाद ग्रहण करेंगे । 18 अप्रैल को सुकर्मा योग में व्रती सायांकालीन अर्ध्‍य देंगे। 19 अप्रैल को व्रती प्रातकालीन अर्घ्‍य देकर व्रत का पारण करेंगे।

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 02:51 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 01:45 PM (IST)
Bihar Chhath: 16 अप्रैल से  कई शुभ संयोग में आरंभ होगा चार दिवसीय महापर्व छठ, जानें  व्रत की महिमा
छठ घाट पर खरना का प्रसाद बनाते व्रती, फाइल फोटो।

पटना, जागरण संवाददाता।  अप्रैल माह में कई पर्व और त्याेहार हैं। आस्था का महापर्व चैती छठ भी 16 अप्रैल को नहाय-खाय से आरंभ होने वाला है। नहाय-खाय से आरंभ होकर चैती छठ का समापन उगते सूर्य को व्रती अर्घ्‍य देकर संपन्न करेंगे। चार दिवसीय महापर्व के मौके पर ग्रह-गोचरों का भी शुभ संयोग बन रहा है। ग्रह-गोचरों के शुभ संयोग में व्रतियों पर छठी मइया की कृपा बरसेगी। वर्ष में दो बार लोक आस्था का पर्व छठ व्रत मनाने की परंपरा रही है। जिसमें पहला चैत मास में एवं दूसरा कार्तिक मास में लोक आस्था का महापर्व मनाया जाता है। चैत मास में शुक्ल चतुर्थी 16 अप्रैल शुक्रवार को नहाय-खाय से आरंभ होकर 19 अप्रैल सोमवार को उगते सूर्य को अर्घ्‍य देकर संपन्न होगा। व्रती प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर की उपासना कर आरोग्यता का वरदान मांगते हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार छठी मइया सूर्य देव की बहन हैं। छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माता प्रसन्न होकर परिवार में सुख,शांति व धन्य-धान्य से परिवार को पूर्ण करती हैं।

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ग्रह-गोचरों का बन रहा है शुभ संयोग 

छठ महापर्व को लेकर ग्रह-गोचरों का भी शुभ संयोग बन रहा है। पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि 16 अप्रैल को रवियोग तथा सौभाग्य योग के युग्म संयोग में नहाय-खाय के साथ छठ महापर्व का चार दिवसीय अनुष्ठान शुरू होगा। 17 अप्रैल शनिवार को शोभन योग में खरना का पूजा होगा। व्रती खरना का प्रसाद शाम में ग्रहण कर निर्जला व्रत रखते हुए 19 अप्रैल को उगते सूर्य को अर्घ्‍य  देकर पारण करने के साथ पर्व को संपन्न करेंगे। 18 अप्रैल को व्रती भगवान भास्कर को सायंकालीन अर्घ्‍य  सुकर्मा योग में व प्रात:कालीन अर्घ्‍य  देकर व्रत को पूरा करेंगे। छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से चली आ रही है।

आरोग्यता व संतान के लिए उत्तम है छठ व्रत

सूर्य षष्ठी का व्रत आरोग्यता, सौभाग्य व संतान के लिए किया जाता है। स्कंद पुराण के मुताबिक राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत रखा था। उन्हेंं कुष्ठ रोग हो गया था। भगवान भास्कर से इस रोग की मुक्ति के लिए उन्होंने छठ व्रत किया था। स्कंद पुराण में प्रतिहार षष्ठी के तौर पर इस व्रत की चर्चा है।

नहाय-खाय एवं खरना के प्रसाद से दूर होते कष्ट

 छठ महापर्व के प्रथम दिन नहाय-खाय में लौकी की सब्जी , अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चटनी के सेवन का विशेष महत्व बताया गया है। वैदिक मान्यता के अनुसार नहाय-खाय का प्रसाद ग्रहण करने से शरीर निरोग होता है। वहीं खरना के प्रसाद में ईख के कच्चे रस, गुड़ के सेवन से त्वचा रोग, आंख की पीड़ा समाप्त होती है।

प्रत्यक्ष देव भास्कर को प्रिय है सप्तमी तिथि

 प्रत्यक्ष देव भगवान भास्कर को सप्तमी तिथि अत्यंत प्रिय है। विष्णु पुराण के अनुसार तिथियों के बंटवारे के समय सूर्य को सप्तमी तिथि प्रदान की गई। इसलिए उन्हेंं सप्तमी का स्वामी कहा जाता है। सूर्य भगवान अपने इस प्रिय तिथि पर पूजा से अभिष्ठ फल प्रदान करते हैं।


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