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महाराष्ट्र में लॉकडाउन से बिहार के कारोबारी और श्रमिक परेशान, वापस लौटने का आदेश

महाराष्ट्र में लगे लॉकडाउन की वजह से बिहार के कारोबारी और श्रमिक परेशान हो उठे हैं। एक ओर संपूर्ण लॉकडाउन की वजह से कारखानों-दुकानों के शटर गिर गए हैं वहीं श्रमिकों को अपने शहर लौटने के लिए कहा जा रहा है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Tue, 06 Apr 2021 02:05 PM (IST)Updated: Wed, 07 Apr 2021 05:40 PM (IST)
महाराष्ट्र में लॉकडाउन से बिहार के कारोबारी और श्रमिक परेशान, वापस लौटने का आदेश
पिछले साल महाराष्ट्र में लगे लॉकडाउन के बाद पैदल घर लौटते श्रमिक। जागरण आर्काइव।

जागरण संवाददाता, पटना: महाराष्ट्र में लगे लॉकडाउन की वजह से बिहार के कारोबारी और श्रमिक परेशान हो उठे हैं। एक ओर संपूर्ण लॉकडाउन की वजह से कारखानों-दुकानों के शटर गिर गए हैं, वहीं श्रमिकों को अपने शहर लौटने के लिए कहा जा रहा है। कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने कहा है कि इस संबंध में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से हमारी मांग है कि इसे गंभीरता से लें, और राहत दें। 

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कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के बिहार के चेयरमैन कमल नोपानी और अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा ने कहा है कि महाराष्ट्र में 30 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि यह साप्ताहांत के लिए है या पूरे माह के लिए है। भ्रम की स्थिति के बीच वहां 25 लाख कारोबारी परेशान हैं, जिसमें हजारों कारोबारी बिहार से हैं। श्रमिकों को कहा जा रहा है कि अपने शहर लौट जाओ। यह भी उचित नहीं हैं।

कैट ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखा पत्र

कैट ने इस संबंध में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र भी भेजा है। इसमें सुझाव दिया गया है कि संपूर्ण कारोबारी गतिविधियों को रोकने की जगह समय सीमा निर्धारित कर लॉकडाउन लगाया जाए। साथ ही संपूर्ण मानकों का भी पालन हो। उन्होंने कहा है कि ऐसे फैसले को लेते समय व्यावसायिक संघों से भी मशविरा कर लेना चाहिए। कैट के महासचिव डॉ. रमेश गांधी ने कहा है कि पत्र में यह भी सुझाव दिया गया है कि दुकानों को 11 बजे से शाम पांच बजे तक बिक्री करने की छूट मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि व्यापार बंद करने से आपूर्ति चेन बिगड़ जाएगी। सामानों की आपूर्ति बाधित होते ही आवश्यक वस्तुओं की किल्लत हो जाएगी। इससे बाजार संतुलन बिगड़ जाएगा। अशोक कुमार वर्मा ने कहा है कि अगर श्रमिक पलायन कर गए तो उत्पादन प्रभावित होगा और उत्पादों की किल्लत का भी सामना करना पड़ सकता है।


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