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बिहार बजट विशेष: सेहत में सुधार, शिक्षा और किसानों की आय बढ़ानेवाला होगा बजट 2021-22

तीन दिन बाद बिहार सरकार वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेगी। सरकार के सामने नए शहरों में आधारभूत संरचनाओं का विकासअस्पतालों में संसाधनों की आपूर्ति खाली पदों को भरने शिक्षकों की नियुक्ति प्रोन्नति व किसानों की आमदनी बढ़ाने के साथ सात निश्चय-2 को रफ्तार देने की बड़ी चुनौती होगी

By Sumita JaiswalEdited By: Published: Thu, 18 Feb 2021 06:29 PM (IST)Updated: Fri, 19 Feb 2021 07:05 PM (IST)
बिहार बजट विशेष: सेहत में सुधार, शिक्षा और किसानों की आय बढ़ानेवाला होगा बजट 2021-22
चुनाव और कोरोना बाद नई सरकार अपना पहला बजट पेश करेगी, सांकेतिक तस्‍वीर ।

पटना, राज्य ब्यूरो । तीन दिन बाद प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष 2021-22 का बजट पेश करेगी। कोरोना की चुनौतियों को देखते हुए जनहित से जुड़े विभागों की राशि बढ़ाए जाने के आसार हैं। स्वास्थ्य, शिक्षा और कृषि पर ज्यादा जोर रहेगा। राज्य सरकार के सामने नए शहरों में आधारभूत संरचनाओं का विकास, अस्पतालों में संसाधनों की आपूर्ति, खाली पदों को भरने, नई शिक्षा नीति को लागू करने, शिक्षकों की नियुक्ति, प्रोन्नति व किसानों की आमदनी बढ़ाने की चुनौती है। इसके अलावा सात निश्चय-2 समेत पहले से लागू विभिन्न योजनाओं को रफ्तार देने के लिए भी सरकार को अतिरिक्त पैसे की जरूरत पड़ेगी।

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पुलिस आधुनिकीकरण की प्रक्रिया भी जारी है। प्रदेश में नए पर्यटन केंद्रों का भी विकास करना है। बोधगया और राजगीर समेत कई शहरों में नागरिक सुविधाएं बढ़ानी हैं। राजगीर में प्रस्तावित अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, स्पोट्र्स कॉम्प्लेक्स के साथ खेल और कला विश्वविद्यालय के लिए भी बजट की जरूरत पड़ेगी।

नई शिक्षा नीति का रोडमैप तैयार

बिहार में नई शिक्षा नीति का क्रियान्वयन नए वित्तीय वर्ष से होना है। रोडमैप बना लिया गया है, जिसमें प्रारंभिक से लेकर उच्च शिक्षा में गुणात्मक सुधार की तैयारी है। इसके लिए बजट में वृद्धि जरूरी है। तमाम कार्यक्रमों को लागू करने के लिए 25 हजार करोड़ की जरूरत पड़ेगी। विभाग पर खर्च का भार मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना के चलते भी बढऩा तय माना जा रहा है, क्योंकि इंटर पास बच्चियों की प्रोत्साहन राशि को 10 हजार से बढ़ाकर 25 हजार कर दिया गया है। स्नातक पास लड़कियों को अब 25 हजार के बदले 50 हजार मिलेगा। व्यवस्था इसी सत्र से होनी है।

हर शहर को मिलेगी नई सड़क की सौगात

अगले वित्तीय वर्ष के दौरान बिहार के सौ से अधिक शहरों को नई सड़क की सौगात मिलने जा रही है। चार सौ किमी नई सड़क बनाने की तैयारी है। कम से कम 10 किमी बिल्कुल नई सड़क बनाने की योजना ग्रामीण कार्य विभाग ने तैयार की है। पहले चरण में अनुमंडल, ब्लॉक और थानों के लिए नई सड़क बननी है। जिलों से प्रस्ताव भी मांग लिया गया है। शीघ्र ही जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू करने संबंधित प्रस्ताव जिलों को भेजने का निर्देश दिया गया है।

तालाबों की हिफाजत के साथ मछली पालन भी

जल-जीवन-हरियाली योजना को विस्तार देना है। तालाबों के रखरखाव की कमान अब मछली पालन के लिए जीविका दीदियों के हवाले होगी। ग्रामीण विकास विभाग ने तैयारी शुरू कर दी है। बजट में पैसे का प्रावधान किया जा रहा है। मकसद है कि तालाबों की सुरक्षा के साथ-साथ जीविका दीदियों की आय भी बढ़ेगी। इसी बहाने तालाबों को अतिक्रमण से भी बचाया जा सकेगा। किनारे की जमीन पर फल-सब्जी भी उगाई जा सकेंगी। इसके लिए दीदियों को प्रशिक्षण भी दिलाया जाएगा।

नए शहरों और मेट्रो के लिए चाहिए बड़ी राशि

राज्य में 111 नए नगर निकायों के गठन के बाद शहरों की संख्या दोगुनी हो गई है। ऐसे में इस बार नगर विकास एवं आवास विभाग के बजट में बड़ी वृद्धि तय है। पिछली बार नगर विकास एवं आवास विभाग का बजट 5158 करोड़ रुपये था जो कुल बजट का 2.57 फीसद था। पुनर्गठन के बाद नगर निगम 12 से बढ़कर 17, नगर परिषद 49 से बढ़कर 95 और नगर पंचायत 82 से बढ़कर 185 हो गए हैं। इनमें आधारभूत संरचनाओं का विकास किया जाना है। इसके अलावा नए निकायों में ग्रामीण की जगह अब शहरी योजनाएं शामिल होंगी। ऐसे में योजना आकार बढऩा तय है। शहरी विकास के लिए केंद्र से अधिक हिस्सेदारी मिलने से बिहार का शहरीकरण भी तेजी से होगा। पटना मेट्रो को लेकर भी बजट में राशि का आवंटन किया जाएगा।

स्वास्थ्य के सामने बड़ी चुनौती, कई नई योजनाएं होंगी शुरू

कोरोना काल में सबसे ज्यादा असर अगर किसी विभाग पर पड़ा है तो वह स्वास्थ्य है। इसलिए इसके बजट में अच्छी वृद्धि के आसार हैैं। दो साल पहले स्वास्थ्य विभाग का बजट 5149.49 करोड़ का था, जो कुल बजट का 5.15 फीसद था। इसे 2020-21 में बढ़ाकर 5610 करोड़ का किया गया। इस बार भी स्वास्थ्य बजट में तकरीबन 10 फीसद वृद्धि का प्रस्ताव है। इस हिसाब से स्वास्थ्य का बजट छह हजार करोड़ तक हो सकता है। सरकार को कोरोना समेत कई तरह की चुनौतियों को देखते हुए ग्रामीण अस्पतालों में आधुनिक सुविधाएं देनी है। स्वास्थ्य उपकेंद्रों-केंद्रों, जिला एवं अनुमंडल अस्पतालों के साथ मेडिकल कॉलेजों को भी महामारी से लडऩे में सक्षम बनाना है। डॉक्टरों, नर्सों के साथ ही पारा मेडिक्स के पद भी भरे जाने हैैं। सात निश्चय-2 के तहत बाल हृदय योजना, टेली-मेडिसीन सेवा की भी शुरुआत नए वित्तीय वर्ष में होगी।


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