Move to Jagran APP

बिहार बजट सत्र में पक्ष-विपक्ष के एक्शन-रिएक्शन के बीच सदन की गरिमा और मर्यादा दोनों सिसक पड़ीं

यह सत्र खत्म हो गया अब देखना है अगले सत्र तक तेजस्वी अपनी बात पर अड़े रह पाते हैं या नहीं। बिहार सशस्त्र पुलिस अधिनियम (2021) के विरोध में सदन में हाथापाई के बाद विपक्षी दल के विधायकों को जबरन बाहर करते जवान।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 27 Mar 2021 09:31 AM (IST)Updated: Sat, 27 Mar 2021 09:32 AM (IST)
बिहार बजट सत्र में पक्ष-विपक्ष के एक्शन-रिएक्शन के बीच सदन की गरिमा और मर्यादा दोनों सिसक पड़ीं
मुख्यमंत्री इस कार्रवाई को सही बता रहे हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष, जांच न होने तक विपक्ष के वाकआउट पर अड़े।

पटना, आलोक मिश्र। तारीखें महत्वपूर्ण होती हैं। उनकी पहचान होती है, लेकिन सभी अपनी पहचान नहीं बना पातीं। उसमें कुछ याद रहती हैं और कुछ वक्त के साथ खो जाती हैं। यादें कड़वी भी हो सकती हैं और मीठी भी। इन्हीं यादों के गुलदस्ते से बीते वक्त की महक आती है। बिहार विधानमंडल का बजट सत्र भी ऐसी ही कुछ यादें दे गया है, जो याद करने लायक न होने के बाद भी चर्चा में रहेंगी। ये तारीखें हैं बजट सत्र के आखिरी दो दिनों की जिसमें पक्ष-विपक्ष के एक्शन-रिएक्शन के बीच सदन की गरिमा और मर्यादा दोनों सिसक पड़ीं। इसके लिए पक्ष ने विपक्ष को जिम्मेदार ठहराया और विपक्ष ने पक्ष को। सही-गलत को लेकर समर्थकों के पाले बने और माननीय सदन से बाहर व पुलिस पहुंच गई भीतर।

loksabha election banner

बिहार में बजट सत्र 19 फरवरी को शुरू हुआ था। पहले दिन आर्थिक सर्वेक्षण रखा गया। उसके बाद बजट और उस पर विभागवार चर्चा। यही तय था और इसी अनुसार सदन चलना था। जो कुछ दिन तो ठंडा चला, लेकिन उसके बाद धीरे-धीरे विपक्ष के कारण गरम होता चला गया। बजट पर चर्चा तो खामोशी से गुजर गई, लेकिन तू-तू, मैं-मैं, धक्का-मुक्की, व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप ने सत्र के समापन तक आते-आते ऐसे माहौल का निर्माण कर डाला, जिससे आखिरी के दो दिन (मंगलवार व बुधवार) याद न रखने लायक न होने के बावजूद यादगार बन गए। इसमें सड़क से शुरू हुआ विरोध विधानसभा अध्यक्ष को बंधक बनाए जाने, मार्शल द्वारा धकियाए जाने से होता हुआ परिसर में पुलिस के पहली बार प्रवेश और फिर जूतम-लात का गवाह बना। विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए प्रत्याशी उतारने के बाजवूद 124 वोटों (बहुमत के लिए 122) के मुकाबले जीरो वोट (बहिर्गमन के कारण) पाकर विपक्ष की हार और सदन में पुलिस के प्रवेश पर जांच न होने तक विपक्ष के वाकआउट जैसे तेजस्वी के बयान भी महत्वपूर्ण रहे।

इस घटनाक्रम के पीछे की कहानी कुछ यूं है। सोमवार को बिहार सैन्य पुलिस को नई पहचान व अधिकार देने के लिए बिहार सशस्त्र पुलिस विधेयक 2021 पेश होना था। राज्य सरकार के अनुसार इसमें केवल बिहार सैन्य पुलिस का नाम बदला गया है, अस्तित्व स्वतंत्र किया गया है, किसी भी राज्य की पुलिस के साथ मिलिट्री शब्द न जुड़ा होने के कारण बिहार भी ऐसा ही कर रहा है। अब इसकी भूमिका केवल कानून व्यवस्था नियंत्रित करने में राज्य पुलिस की मददगार के रूप तक सीमित नहीं रहेगी। अब संदेहास्पद व्यक्ति की तलाशी व गिरफ्तारी की शक्ति भी उसके पास होगी। सरकार इसे बेहतर कदम बता रही है, लेकिन विरोध के बहाने ढूंढने में लगे विपक्ष ने इसे हथियार के रूप में ले लिया। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अपनी टीम के साथ यह कहकर कूद पड़े कि इससे तो बिना वारंट पुलिस कहीं भी घुस जाएगी जिससे डर पैदा होगा। इस विधेयक के सदन में रखे जाने के दौरान तेजस्वी व तेजप्रताप अपनी टीम के साथ विधानसभा घेरने सड़क पर उतर आए। खूब बवाल काटा। इन्हें नियंत्रित कर, विधानसभा जाने से रोकने के लिए पुलिस को पानी की बौछार व लाठियों का सहारा लेना पड़ा।

सड़क पर इस ट्रेलर के बाद क्लाइमेक्स विधानसभा में हुआ। आसन की तौहीन करने में विपक्ष ने कोई कसर नहीं छोड़ी। बिल की प्रतियां अध्यक्ष के हाथ से लेकर फाड़ दी गईं और फिर उनका चैंबर घेर लिया गया। अगली पंक्ति में महिला विधायकों को ढाल के रूप में रखा गया। इस उपद्रव को रोकने के लिए मार्शलों का सहारा लिया गया, लेकिन स्थिति नहीं संभली। हारकर अध्यक्ष को पुलिस बुलानी पड़ी। पुलिस ने अपने तरीके से काम किया। उठा-उठाकर विधायकों को बाहर फेंक दिया। किसी-किसी पर हाथ भी साफ कर दिया। इसके बाद विपक्ष की हाय-तौबा यह शुरू हुई कि परिसर में पुलिस कैसे आई? किसने आदेश दिया? यह तो गरिमा के खिलाफ है। विपक्ष बाहर निकल गया और दोनों सदनों में विधेयक पास हो गया। यही नहीं बहिर्गमन के कारण विधानसभा उपाध्यक्ष के लिए सत्ता पक्ष की तरफ से उतारे गए महेश्वर हजारी के खिलाफ भूदेव चौधरी को प्रत्याशी बनाने के बावजूद उन्हें वोट नहीं पड़ सके। मुख्यमंत्री इस कार्रवाई को सही बता रहे हैं, जबकि नेता प्रतिपक्ष, जांच न होने तक विपक्ष के वाकआउट पर अड़े हैं।

[स्थानीय संपादक, बिहार]


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.