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Bihar Board 10th Toppers: साधारण घरों से निकले ये गुदड़ी के लाल, इंजीनियर बन देश सेवा का है जुनून

Bihar Board 10th Toppers बिहार बोर्ड के टॉपर व सेकेंड टॉपर तथा गर्ल्‍स टॉपर साधारण घरों से ताल्‍लुक रखते हैं। तीनों पढ़-लिखकर इंजीनियर बन देश की सेवा करना चाहते हैं। आइए जानें।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 04:17 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 12:07 PM (IST)
Bihar Board 10th Toppers: साधारण घरों से निकले ये गुदड़ी के लाल, इंजीनियर बन देश सेवा का है जुनून
Bihar Board 10th Toppers: साधारण घरों से निकले ये गुदड़ी के लाल, इंजीनियर बन देश सेवा का है जुनून

पटना, जागरण टीम। बिहार बोर्ड की मैट्रिक (10वीं) परीक्षा के टॉपर हिमांशु राज सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं। उन्‍हें टॉप 10 में जगह बनाने की उम्‍मीद तो थी, लेकिन टॉपर बन जाएंगे, ऐसा नहीं सोचा था। कुछ ऐसा ही कहना है सेकेंड टॉपर दुर्गेश कुमार तथा गर्ल्‍स टॉपर जूली कुमारी का। आत्‍मविश्‍वास से भरे तथा साधारण घरों से निकले इन तीनों गुदड़ी के लालों में देश सेवा का जुनून है।

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टॉपर हिमांशु को टॉप 10 में आने की थी उम्‍मीद

स्टेट टॉपर हिमांशु राज रोहतास जिले के दिनारा प्रखंड के तेनुअज पंचायत के नटवार कला गांव के निवासी हैं। किसान पिता सुभाष सिह सब्जी आदि का उत्पादन कर परिवार का भरण पोषण करते हैं। माता मंजू देवी गृहिणी हैं। टॉप 10 में जगह बना लेगे, इसकी आशा तो थी, लेकिन टॉप कर जाएंगे, उन्‍होंने ऐसा नहीं सोचा था।

प्रतिदिन पढ़ते थे 14-15 घंटे

हिमांशु ने बताया कि वे रोजाना 14-15 घंटे पढ़ते थे। केवल एक ट्यूशन लेते थे। पिता जी से भी पढ़ते थे। उन्‍होंने स्‍वाध्‍याय को सवोत्‍तम बताया। कहा कि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति में 18 व 19 मई को उनका रिव्‍यू टेस्‍ट हुआ था। इसके बाद से ही वे रिजल्‍ट का इंतजार कर रहे थे।

बनना है सॉफ्टवेयर इंजीनियर

हिमांशु ने कहा कि आगे 11वीं में वे साइंस पढ़ेंगे। वे बड़ा होकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन देश की सेवा करना चाहते हैं। देश के तकनीकी विकास में उनका भी योगदान हो, यह उसका सपना है।

स्‍वाध्‍याय को सर्वोत्‍तम मानते सेकेंड टॉपर दुर्गेश

बिहार बोर्ड के सेकेंड टॉपर दुर्गेश कुमार ने समस्‍तीपुर के एसके हाई स्कूल (जितवारपुर) से मैट्रिक की परीक्षा दी थी। वे उजियारपुर प्रखंड के मालती के रहने वाले हैं। पिता जयकिशोर सिंह खेती-किसानी करते हैं। जबकि, मां फूलकुमार गृहिणी हैं। दुर्गेश अपनी सफलता का श्रेय स्‍वजनों व शिक्षकों को देते हैं। वे रोजाना 14-15 घंटे पढ़ते थे। जूनियर छात्रों को भी वे अधिक से अधिक पढ़ने की सलाह देते हैं। साथ ही स्‍वाध्‍याय को सर्वोत्‍तम बताते हैं।

बोले: अभी तय करनी लंबी दूरी

दुर्गेश भी 11वीं में साइंस पढ़ना चाहते हैं। वे भी बड़ा होकर आइआइटी से इंजीनियर बनकर देश की सेवा करना चाहते हैं। कहते हैं कि भारत को वैसे कुशल इंजीनियरों की जरूरत है, जो अाधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर देश को अग्रणी रख सकें। आत्‍मविश्‍वास से भरे दुर्गेश जानते हैं कि मैट्रिक का परिणाम तो शुरुआत है, वहां तक पहुंचने के लिए अभी लंबी दूरी तय करनी है।

पढ़ लिखकर इंजीनियर बनना चाहतीं गर्ल्‍स टॉपर जूली

मैट्रिक की गर्ल्‍स टॉपर जूली कुमारी आवेरऑल रैंकिंग में थर्ड टॉपर हैं। वे अरवल प्रखंड के बैदराबाद निवासी शिक्षक मनोज कुमार सिन्हा की बेटी हैं। मां लालती देवी गृहणी हैं। उन्‍होंने अरवल के बालिका उच्च विद्यालय से मैट्रिक की परीक्षा दी थी। उन्‍हें विश्‍वास था कि वे टॉप 10 में जगह बना लेंगी। जूली पढ़-लिखाकर इंजीनियर बनना तथा देश की सेवा करना चाहती हैं। वे अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता को देती हैं।


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