Bihar Board 10th Result: रिजल्ट को ले तनाव में बच्चे; माता-पिता रहें सावधान, रखें खास ध्यान
Bihar Board 10th Result बिहार बोर्ड का मैट्रिक रिजल्ट मंगलवार की दोपहर में आ गया। जिनके रिजल्ट खराब हुए हैं वे तनाव में हैं। जरूारी है कि माता-पिता व अभिभावक उनपर नजर रखें।
पटना, जेएनएन। Bihar Board 10th. Result: बिहार बोर्ड (Bihar Board) यानि बिहार विद्यालय परीक्षा समिति मंगलवार को मैट्रिक (10वीं) का रिजल्ट जारी कर दिया है। वैसे बच्चे तनाव व अवसाद में हैं, जिनके रिजल्ट अपेक्षा के अनुसार नहीं आए हैं। एेसे बच्चों के रिजल्ट को लेकर माता-पिता व अभिभावक भी तनाव में हैं, लेकिन वे अपना तनाव बच्चों पर जाहिर करने के बदले उन्हें सामान्य करने की कोशिश करें। उनसे बात करें, उनका मनाबल बढ़ाएं। गुस्सा न करें, उन्हें बताएं कि इसे आगे सुधारा जा सकता है। तनाव व अवसाद में बच्चे कोई गलत कदम न उठा लें, इसका ध्यान रखें।
बच्चे पर नजर रखें माता-पिता व अभिभावक
पटना की प्रसिद्ध क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह (Dr. Binda Singh) बताती हैं कि रिजल्ट के पहले से ही बच्चे तनाव में रहते हैं। परीक्षा अच्छी गई तो रैंक (Rank) की चिंता और खराब गई तो पास-फेल (Pass-Fail) व डिविजन (Division) की चिंता रहती है। परिवार व समाज (Family and Society) के लोग क्या कहेंगे, इसकी चिंता भी रहती है। ऐसे में अगर रिजल्ट खराब हो जाए तो कभी-कभी बच्चे तनाव व अवसाद में गलत कदम उठा लेते हैं।
तनाव को भांपें, इसके होते कुछ लक्षण भी
डॉ. बिंदा सिंह कहती हैं कि बच्चे को तनाव मुक्त करना माता-पिता व अभिभावक की जिम्मेदारी है। वह तनाव में है, इसे वे अच्छी तरह भांप सकते हैं। तनाव व अवसाद के कुछ सामान्य लक्षण भी होते हैं, जैसे- बार-बार बाथरूम जाना व उल्टी। माता-पिता बच्चे से बात करते रहें। उसे बताएं कि रिजल्ट को लेकर परेशान होने की जरूरत नहीं।
रिजल्ट खराब हो तो दे भावनात्मक संबल
बच्चा अगर बेहतर करे तो शाबाशी दें, लेकिन खराब करे तो अपना तनाव या गुस्सा जाहिर न करें। उसके तनाव व अवसाद को समझें तथा भावनात्मक संबल (Emotional Support) दें। बताएं कि जिंदगी में और कई इम्तहान होने हैं। आसपास के ऐसे लोगों के बारे में बताएं, जो खराब रिजल्ट करने के बावजूद आज जिंदगी में सफल हैं।
गलत कदम न उठाएं बच्चे, परिवार के बारे में भी सोचें
माता-पिता व अभिभावक इसका भी यान रखें कि बहुत संभव है कि अवसादग्रस्त बच्चा खुद को सामान्य जताने की कोशिश करे और मौका पाकर कोई गलत कदम उठा ले। उसके व्यवहार पर लगातर नजर बनाए रखें। बच्चे भी सोचें कि कि उनके किसी गलत कदम के माता-पिता व भाई-बहन सहित पूरे परिवार पर क्या बीतेगी।