Bihar Board Matric Result 2020: रिजल्ट के तनाव के होते गंभीर परिणाम, माता-पिता दें ध्यान
Bihar Board Matric Result 2020 रिजल्ट का तनाव हर बच्चे में होता है जिसपर माता-पिता व अभिभावकों को नजर रखनी चाहिए। वे रिजल्ट के पहले से लेकर बाद तक बच्चे को सहज रखें।
पटना, जेएनएन। बिहार बोर्ड (Bihar Board) मैट्रिक (10वीं) का रिजल्ट कभी भी जारी कर सकता है। बीते तीन दिनों से इसे लेकर जारी अटकलों के बीच विद्यार्थी (Students) तनाव (Tension) में हैं। इस तनाव में बच्चा कोई गलत कदम न उठा लें, इसे लेकर माता-पिता (Parents) व अभिभावकों (Guardians) को भी सतर्क (Alert) रहने की जरूरत है। रिजल्ट के पहले से लेकर बाद तक माता-पिता व अभिभावक बच्चों से बात करते रहें। उनका मनोबल बढ़ाएं। रिजल्ट खराब होने पर समझाएं कि इसे आगे सुधारा जा सकता है।
माता-पिता व अभिभावक बच्चों पर रखें नजर
पटना की क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ. बिंदा सिंह (Dr. Binda Singh) कहतीं हैं कि रिजल्ट को लेकर हर बच्चा कम या अधिक तनाव में रहता है। जिनकी परीक्षाएं अच्छी गई है वो रैंक (Rank) को लेकर तनाव में रहते हैं तो जिनकी खराब गई है वो पास-फेल (Pass-Fail) व डिविजन (Division) की चिंता में रहते हैं। परिवार-समाज (Family and Society) की प्रतिक्रियाओं की भी चिंता रहती है। ऐसे में माता-पिता को बच्चे पर नजर रखनी चाहिए।
रिजल्ट के पहले से बच्चे को रखें तनाव मुक्त
बच्चा तनाव में है, इसे माता-पिता बेहतर महसूस कर सकते हैं। वैसे, बार-बार बाथरूम जाना व उल्टी के लक्षण भी बताते हैं कि वह तनाव में है। डॉ. बिंदा सिंह कहती हैं कि माता-पिता को चाहिए कि बच्चे को रिजल्ट के पहले से ही तनाव मुक्त रखें। उससे बात करें और बताएं कि जो भी हो, परेशान होने की जरूरत नहीं है। रिजल्ट के पहले से ही बच्चे के तनाव मुक्त करना बेहद जरूरी है।
तनाव में भावनात्मक संबल देना न भूलें
बच्चे को सहज (Normal) रखने की कोशिश करें। अगर रिजल्ट बेहतर है तो शाबाशी दें, अगर खराब है तो तनाव की स्थिति में उसे भावनात्मक संबल (Emotional Support) दें। उसे बताएं कि यह जिंदगी का अंतिम रिजल्ट नहीं है। जीवन में और अनेक इम्तहान बाकी हैं। उसे समाज के ऐसे लोगों के उदाहरण दें, जो परीक्षाओं में कम अंक पाने के बावजूद जिंदगी में सफल रहे हैं। बच्चे को बताएं कि उसपर माता-पिता व परिवार का विश्वास है, वे उसके साथ हैं।
बच्चे पर दें खास ध्यान, रखें लगातार नजर
हो सकता है कि बच्चा इंर से टूट चुका होने के बावजूद खुद को सामान्य जताने की कोशिश करे। इसलिए सतर्कता रखें। उसपर लगातार नजर रखें। व्यवहार में किसी तरह का बदलाव दिखे तो उसे कतई नजरअंदाज न करें। डिप्रेशन की स्थिति में कई बच्चे आत्महत्या तक कर चुके हैं, इसलिए बच्चे का खास ध्यान रखना जरूरी है।
गलत कदम उठाने के पहले बच्चे भी सोचें ये बात
खबरा रिजल्ट के कारण तनाव व अवसाद (Depression) में बच्चे कइ बार गलत कदम उठा लेते हैं। इस दौरान वे केवल अपने बारे में सोचते हैं। बच्चों को सोचना चाहिए कि उनके किसी गलत कदम के माता-पिता व भाई-बहन सहित पूरे परिवार पर क्या बीतेगी।