बिहार में फिर से मिले जानलेवा ब्लैक फंगस के मरीज, कोरोना की तीसरी लहर के बीच बढ़ा एक और खतरा
Bihar Black Fungus Update बिहार में कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के आगमन और संक्रमण की तीसरी लहर के साथ ही एक और खतरा मंडराने लगा है। राज्य में ब्लैक फंगस संक्रमण के मरीज भी मिलने लगे हैं। इस संक्रमण ने दूसरी लहर में काफी नुकसान पहुंचाया था।
पटना, जागरण संवाददाता। Bihar Omicron Update: बिहार में ओमिक्रोन वैरिएंट की दस्तक के साथ ही कोरोना वायरस (Bihar Coronavirus Update) की तीसरी लहर शुरू हो चुकी है। इसके साथ अब तक दो ऐसे मरीज आ चुके हैं जो कोरोना के साथ ब्लैक फंगस (Bihar Black Fungus Update) से भी पीडि़त थे। इनमें से एक का अभी आइजीआइएमएस (IGIMS Patna) में इलाज चल रहा है जबकि दूसरा एम्स (Patna AIMS) से ठीक होकर डिस्चार्ज हो चुका है। डाक्टर इसका कारण किसी गंभीर रोग के कारण मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होने या हल्के लक्षणों में भी बिना डाक्टरी सलाह के स्टेरायड दवाओं के सेवन को मान रहे हैं।
ब्लैक फंगस संक्रमण के तीन कारण
एनएमसीएच में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष सह कोरोना नोडल पदाधिकारी डा. अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के साथ या बाद में ब्लैक फंगस होने के तीन कारण दूसरी लहर में सामने आए थे। इनमें से पहला था कैंसर, किडनी या अन्य किसी क्रोनिक रोग के कारण मरीज की इम्यून पावर का काफी कमजोर हो जाना, मध्यम या गंभीर आइसीयू में भर्ती रोगियों को धड़ल्ले से स्टेरायड दवाएं देना, हल्के लक्षणों में लोगों के खुद से स्टेरायड लेना और इंडस्ट्रियल आक्सीजन रोगी को दिया जाना।
- कोरोना संग मिल रहे ब्लैक फंगस के रोगी, खुद से न लें स्टेरायड
- ब्लैक फंगस युक्त एक कोरोना संक्रमित आइजीआइएमएस में भर्ती
- कुछ दिन पहले एम्स में भी भर्ती हुआ था ऐसा एक मरीज
अब इंडस्ट्रियल आक्सीजन और अस्पतालों में कोरोना उपचार के दौरान रेमडेसिविर, टाक्सलीजुमैब और इटोलिजुमैब जैसे स्टेरायड का इस्तेमाल काफी कम हो चुका है। ऐसे में आमजन को यह ध्यान देना होगा कि वे खुद से कोरोना होते ही स्टेरायड टैबलेट का सेवन नहीं करें। दूसरे जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता किसी रोग के कारण बहुत कम हो चुकी है वे लोग कोरोना संक्रमण से बचाव पर विशेष ध्यान दें।
अध्ययन में साबित हो चुका है कि खुद से एंटीवायरल और स्टेरायड सेवन से कोरोना के लक्षण और गंभीर हो सकते है। स्टेरायड शरीर में वायरस की सक्रियता को बढ़ा सकता है। शुरुआती दौर में इसके अध्ययन से अधिक नुकसान होता है।