Bhore Election 2020: भोरे सुरक्षित सीट पर जदयू से भाकपा माले की टक्कर, लोजपा के आने से फंसा पेच, 54.18 फीसद हुआ मतदान
Bhore Election News 2020 भोरे सुरक्षित विधानसभा सीट पर इस बार मुकाबले का स्वरूप बदला हुआ है। जदयू उम्मीदवार के रूप में पूर्व डीजी सुनील कुमार उतरे हैं। उनके सामने भाकपा माले के प्रत्याशी खड़े हैं। लोजपा के आने से यहां मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है।
गोपालगंज, जेएनएन। भोरे विधानसभा सीट सुरक्षित है। यह गोपालगंज लोकसभा में आती है। यहां से 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। मंगलवार को यहां 54.18 फीसद मतदान हुआ। साल 1952 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चंद्रिका राम विधायक बने थे। 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के अनिल राम ने भाजपा के इंद्रदेव मांझी को पराजित किया था। इस बार महागठबंधन में यह सीट भाकपा माले को चली गई है। इस कारण अनिल राम चुनाव नहीं लड़ रहे। हालांकि उनके भाई पूर्व डीजी सुनील कुमार जदयू के प्रत्याशी बने हैं। भाकपा माले ने जितेंद्र पासवान को मैदान में उतारा है। लोजपा की प्रत्याशी पुष्पा देवी की चाल जदयू के चुनावी गणित पर असर डालती दिख रही है।
11 प्रत्याशी डटे हैं चुनाव मैदान में
विधानसभा क्षेत्र में पुरुष वोटरों की संख्या 1 लाख 74 हजार 400 जबकि महिला वोटरों की संख्या 1 लाख 63 हजार 935 है। ये कुल 11 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला करेंगे।
ये हैं प्रत्याशी
सुनील कुमार- जदयू
जितेंद्र पासवान- भाकपा माले
पुष्पा देवी- लोजपा
अजय कुमार भारती- भारतीय जननायक पार्टी
जितेंद्र कुमार राम- बहुजन मुक्ति पार्टी
विशाल कुमार भारती- दी प्लूरल्स
मनोज कुमार बैठा- जनअधिकार पार्टी
रिंकी देवी- जनसंघर्ष दल
विनोद बैठा- शिवसेना
जितेंद्र राम- निर्दलीय
दुलारचंद राम- निर्दलीय
प्रमुख मुद्दे
1 जलजमाव- इस विधानसभा के भोरे, विजयीपुर तथा कटेया में जलजमाव की समस्या विकट बनी हुई है। बारिश होने पर भोरे प्रखंड मुख्यालय के सभी कार्यालय से लेकर सड़केंं जलमग्न हो जाती हैं।
2. सिंचाई- इस विधानसभा क्षेत्र में किसानों के लिए सिंचाई अभी भी महंगा सौदा बना हुआ है। कुछेक इलाकों में नहरों की सुविधा है। लेकिन यह सुविधा किसानों के लिए समस्या ही बनी रहती है। नहरों से खेतोंं तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था नहीं की गई है।
3. छात्र-छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा है समस्या- इस विधानसभा क्षेत्र में छात्र-छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा एक बड़ी समस्या है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में भोरे में ही एक डिग्री कॉलेज है। उच्च शिक्षा संस्थान नहीं होने से खास कर छात्राओं की पढ़ाई इंटर के बाद छूट जाती है।
4 सड़कों की बदहाल स्थिति- यहां सड़कों की बदहाल स्थिति भी समस्या बन गई है। वर्षों पूर्व धनौती से पकहा जाने वाली बाईपास सड़क में सड़क कम गड्ढा ज्यादा दिखाई देते हैं। कटेया प्रखंड को विजयीपुर प्रखंड से जोडऩे वाली कटेया- विजयीपुर पथ अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है ।
5. रोजी-रोजगार के लिए पलायन- इस विधानसभा क्षेत्र में रोजी-रोजगार के लिए पलायन समस्या बनी हुई है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में कल कारखाने तथा उद्योग के नाम पर कुछ नहीं है। खेती किसान या खुद का व्यवसाय ही यहां के लोगों के जीविका का साधन बना हुआ है।
कौन जीते: कौन हारे
2010: इंद्रदेव मांझी, भाजपा: बच्चन दास, राजद
2015: अनिल कुमार, कांग्रेस: इंद्रदेव मांझी, भाजपा