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Bihar Assembly Elections 2020: बिहार में NDA के पास भुनाने के लिए विकास कार्यों का खजाना

राजग का चुनावी खजाना बिहार में भरने लगा है। एनडीए के पास जनता के बीच भुनाने के लिए विकास से संबंधित कार्यों की तमाम ताजा नजीर हैं।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 07 Aug 2020 06:11 PM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 01:33 PM (IST)
Bihar Assembly Elections 2020: बिहार में NDA के पास भुनाने के लिए विकास कार्यों का खजाना
Bihar Assembly Elections 2020: बिहार में NDA के पास भुनाने के लिए विकास कार्यों का खजाना

रमण शुक्ला, पटना। विधानसभा चुनाव को लेकर राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का चुनावी खजाना भरने लगा है। अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मामले में सीबीआइ जांच और राममंदिर के निर्माण के लिए भूमि-पूजन के अलावा जनता के बीच भुनाने के लिए विकास से संबंधित कार्यों की तमाम ताजा नजीर हैं। उनमें गांधी सेतु के पश्चिमी लेन का लोकार्पण और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए सवा लाख करोड़ रुपये का हिसाब-किताब भी शामिल है। शीघ्र ही कई और उपलब्धियां भी जुड़ने वाली हैं। आपदा राहत अनुपात में केंद्रांश में बढ़ोतरी बाढ़ की त्रासदी झेलने वाली आबादी के जख्मों पर यह मरहम जैसा होगा।

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पूर्वी बिहार में जदयू की तगड़ी पैठ

राज्य के उत्तरी और पूर्वी जिलों में बाढ़ का प्रकोप है, जबकि उत्तरी बिहार भाजपा के लिए सर्वाधिक उर्वरक रहा है। पूर्वी बिहार में जदयू की तगड़ी पैठ है। शीघ्र ही केंद्र सरकार से सुशांत की मौत की हकीकत हर बिहारी जानना चाहता है। बिहार के लिए सुशांत के योगदान को दरकिनार कर, जनता उन कारणों को सार्वजनिक करने की मांग करती रही है, जो एक उदीयमान अभिनेता की जान पर भारी पड़े। सड़क पर होने वाली मांग को माननीयों ने सदन (विधानमंडल) में भी उठाया। अंतत: सुशांत के पिता केके सिंह के आग्रह को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार से सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी और बिना विलंब केंद्र ने अपनी अनुमति दे दी। सीबीआइ जांच की मांग करने वालों में विपक्षी दल भी शामिल थे, फिर भी राज्य और केंद्र सरकार की मुखरता और सक्रियता से इसका श्रेय राजग के खाते में जाता है। चुनाव में अगर सवाल उठा तो अपने तर्कों से राजग बढ़त लेने की स्थिति में होगा।

राममंदिर आंदोलन में बिहार की महती भूमिका

राममंदिर निर्माण का मुद्दा सदियों पुराना रहा है। अयोध्या में भूमि-पूजन के बाद पांच दशक के संताप का शमन हो चुका है। तीन साल बाद प्रभु श्रीराम का भव्य मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था और आकर्षण का केंद्र होगा। कोई दो राय नहीं कि राजनीतिक दलों में मंदिर निर्माण का श्रेय भाजपा को जाता है। उसके दिग्गज लालकृष्ण आडवाणी द्वारा चलाए गए राममंदिर आंदोलन में बिहार की महती भूमिका रही है। रामरथ यात्रा पर निकले आडवाणी के रथ को समस्तीपुर में रोकना लालू प्रसाद के लिए व्यक्तिगत या दलीय हित में बेशक उचित निर्णय रहा हो, लेकिन भाजपा की राजनीति के लिए वह टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। बिहार में हाशिये की राजनीति से उठकर पार्टी सत्ता में साझेदार बनी। अब जबकि वह संकल्प पूरा हुआ है तो भाजपा के लिए चुनाव में उसका श्रेय लेना राजनीतिक अधिकार बन जाता है। यह ऐसा मुद्दा है, जिस पर अगड़े-पिछड़े, सवर्ण-अवर्ण में बंटे वोटों की मजबूत गोलबंदी होती है। फायदा भाजपा को होता है और भाजपा में अपने वोट को सहयोगी दलों को हस्तांतरित कराने की पूरी क्षमता है। इसका फायदा राजग के सहयोगियों को भी खूब मिलता है।

पिछले चुनाव में जदयू और भाजपा नहीं थे साथ

विधानसभा के पिछले चुनाव में भाजपा के साथ महत्वपूर्ण सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) नहीं था। तब चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के लिए सवा लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की थी। थोड़े दिनों के अंतराल के बाद राज्य की सत्ता में दोनों दल फिर से साझीदार बने। उस घोषणा का अगर क्रियान्वयन होता है तो जाहिर तौर पर उसका फायदा दोनों दलों को होगा। एक उदाहरण पटना और हाजीपुर के बीच गंगा पर गांधी सेतु है। जीर्णोद्धार के बाद इसके पश्चिमी लेन का लोकार्पण हो चुका है। केंद्र के साथ इसकी उपलब्धि राज्य में खाते में भी जाती है। ऐसे कई और पुल-सड़कें आदि हैं। बाढ़ग़्रस्त इलाकों में भी तमाम निर्माण कार्य होने हैं। उन इलाकों में राहत कार्यों पर होने वाले खर्च में केंद्र सरकार अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही है। पहले केंद्र और राज्य का योगदान 75 अनुपात 25 का था, जो अब 90 अनुपात 10 का होगा। केंद्र की यह सौगात बिहार को यकीनन भली लगेगी। 


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