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Bihar Assembly Elections: कांग्रेस में एक और टूट की चर्चा, तीन और विधायक अलविदा कहने को तैयार

बिहार में कांग्रेस को पहला झटका लग गया है। पार्टी के दो विधायक सुदर्शन और पूर्णिमा यादव ने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए जदयू का दामन थाम लिया है।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 10:08 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 10:08 PM (IST)
Bihar Assembly Elections: कांग्रेस में एक और टूट की चर्चा, तीन और विधायक अलविदा कहने को तैयार
Bihar Assembly Elections: कांग्रेस में एक और टूट की चर्चा, तीन और विधायक अलविदा कहने को तैयार

पटना, जेएनएन। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस को पहला झटका लग गया है। पार्टी के दो विधायक सुदर्शन और पूर्णिमा यादव ने कांग्रेस को अलविदा कहते हुए जदयू का दामन थाम लिया है। इनके जाने के साथ ही इस बात की चर्चा जोर पकड़ रही है कि अभी कांग्रेस के कुछ और विधायक पार्टी को अलविदा कह सकते हैं। हालांकि कांग्रेस को इन दो विधायकों के पार्टी से जाने का कोई मलाल नहीं। 

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सेहत पर नहीं पड़ने वाला असरः प्रेमचंद मिश्रा 

पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधान पार्षद प्रेमचंद मिश्रा कहते हैं कि इनके जाने से पार्टी की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ने वाला। पिछले पांच साल के दौरान पार्टी की किसी गतिविधि में इन दोनों को नहीं देखा गया। उन्होंने कहा कि अब वक्त आ गया है कि पार्टी में वफादार और संगठनात्मक पृष्ठभूमि वाले कार्यकर्ताओं को तरजीह दी जाए। 

पहले ही पड़ गई थी टूट की बुनियाद

बताते चलें कि बिहार कांग्रेस में टूट की बुनियाद उसी दिन पड़ गई थी जिस दिन पार्टी के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अशोक चौधरी को आलाकमान के दबाव के बाद कांग्रेस छोड़ जदयू के साथ जाना पड़ा था। पार्टी की नीतियों से आहत डॉ. चौधरी उस वक्त अधिकांश जीते हुए विधायकों को अपने साथ लेकर जाने की रणनीति भी बना चुके थे। पर 18 विधायकों की संख्या अंत तक पूरी नहीं हो पाई। बहुत प्रयास के बाद डॉ. चौधरी के प्रस्ताव पर 15 विधायकों ने ही हस्ताक्षर किए। बाद में मजबूरी में चौधरी तीन अन्य पार्षदों के साथ कांग्रेस को छोड़ गए, मगर उनके पीछे तोडफ़ोड़ की रणनीति जारी रही। 

कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले फिर सक्रिय

अब जबकि चुनाव सिर पर हैं ऐसे में कांग्रेस का साथ छोड़ने वाले फिर सक्रिय हो गए हैं। पार्टी के सूत्र बताते हैं कि सुदर्शन और पूर्णिमा के अलावा तीन विधायक भी पार्टी छोडऩे को बेचैन हैं। जदयू जैसे ही इन्हें इशारा करेगा, पार्टी को एक और टूट से दो-चार होना पड़ेगा। प्रेमचंद मिश्रा कहते हैं जो लोग पार्टी छोड़ रहे हैं और जदयू के साथ जा रहे उन्हें एहसास नहीं कि वे डूबती नाव पर सवारी को गए हैं, क्योंकि जनता इस बार भाजपा-जदयू सरकार को हराने का मन बनाए बैठी है। 


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