Bihar Assembly Election : नीतीश को पत्र लिखने के बाद लालू पर भी बरसे रघुवंश, टिकट बेचने व वंशवाद का लगाया आरोप
Bihar Assembly Election राजद प्रमुख लालू यादव को बताया वंशवादी संकेतों में लगाया टिकट बेचने का आरोप। नीतीश की चिट्ठी में अपने तीन अधूरे सपने को पूरा करने का किया आग्रह ।
राज्य ब्यूरो, पटनाBihar Assembly Election : राजद से रिश्ता खत्म करते ही रघुवंश प्रसाद सिंह ने पहले तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपने सपने पूरे करने की अपेक्षा जताई और शाम होते-होते लालू प्रसाद पर भी बरसे। रघुवंश ने शुक्रवार को कुल चार पत्र लिखे। तीन नीतीश और एक लालू के नाम। नीतीश की चिट्ठी में उन्होंने तीन वैसी अपेक्षाओं का इजहार किया, जिन्हें अपने प्रयासों से वह पूरा नहीं कर पाए हैं, जबकि लालू को लिखे खत में उन्होंने वंशवाद और टिकट बेचने का आरोप लगाया।
पांच महापुरुषों की जगह अब एक ही परिवार के पांच लोगों की लगती तस्वीर
रघुवंश ने लालू को महात्मा गांधी, जयप्रकाश नारायण, लोहिया, अंबेडकर एवं कर्पूरी ठाकुर की विचारधारा की याद दिलाई और कहा कि पांचों महापुरुषों ने जिन बुराइयों के खिलाफ समाजवाद को मजबूत किया, राजनीति में आज ये सारी बुराइयां आ गई हैं। राजद का नाम लिए बगैर उन्होंने लिखा कि पोस्टरों में उक्त पांचों महापुरुषों की जगह एक ही परिवार के पांच लोगों की तस्वीरें लगने लगी हैं। रघुवंश का संकेत लालू के अलावा राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव और मीसा भारती की ओर है। उन्होंने कहा कि कुछ दल तो टिकट भी बेच रहे हैं। लोकतंत्र के लिए खतरा भी।
नीतीश से अपेक्षा
इसके पहले नीतीश को पांच पन्ने की लिखी चिट्ठी में रघुवंश की पहली मांग अपने संसदीय क्षेत्र वैशाली में गणतंत्र दिवस को राजकीय समारोह के रूप में मनाने की है। दूसरी मांग मनरेगा के तहत मजदूरों से आम किसानों के खेतों में भी काम कराने पर विचार करना है। भगवान बुद्ध के भिक्षा-पात्र को काबुल से वापस लाने की उनकी तीसरी मांग है। उन्होंने लिखा है कि बुद्ध के भिक्षा-पात्र का मामला वह लोकसभा में भी उठा चुके हैं, जिस पर तत्कालीन विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने वापस लाने का आश्वासन भी दिया था।
तीन मांग और उनके महत्व
सभी खेतों में हो मनरेगा से काम :
मनरेगा में अभी सरकारी और अनुसूचित जाति-जनजाति की जमीन में ही मजदूरी का प्रावधान है। उसमें आम किसानों को भी जोड़ दिया जाए। मुखिया को नोडल एजेंसी बना दिया जाए। मुखिया ही किसानों को मजदूर उपलब्ध कराएं और मजदूर भी मुखिया से ही काम मांगें।
बुद्ध का भिक्षा-पात्र वापस लाएं
भगवान बुद्ध का भिक्षा-पात्र अभी अफगानिस्तान में है। बुद्ध ने वैशाली छोडऩे के पहले अपने भक्तों को यह पात्र यादगारी (स्मृति-चिह्न) के रूप में दिया था। एएसआइ के पहले महानिदेशक कनिंघम ने 1883 में लिखी पुस्तक में इसका जिक्र किया है। दूसरी शताब्दी में राजा कनिष्क इसे पेशावर ले गए थे। अभी काबुल के संग्रहालय में है। लोकसभा में भी मामला उठाया गया था। सरकार का जवाब था कि प्रयास करके लाया जाएगा, किंतु आगे बात नहीं बढ़ी।
वैशाली में मुख्यमंत्री फहराएं राष्ट्रध्वज
वैशाली गणतंत्र की जननी है। उसी रूप में इसकी पहचान हो। 26 जनवरी वहां राजकीय समारोह के रूप में मनाया जाए। उस दिन मुख्यमंत्री वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराएं। इस आशय की औपचारिकताएं पहले से ही पूरी हैं। फाइल मंत्रिमंडल सचिवालय में लंबित है। केवल पुरातत्व सर्वेक्षण से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलना बाकी था, जो आ गया है। पहले भी बिहार में 15 अगस्त को मुख्यमंत्री पटना में और 26 जनवरी को रांची में ध्वज फहराते थे। अब रांची के बदले वैशाली में फहराएं और गणतंत्र की अपनी पुरानी विरासत को सम्मान दें।