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Bihar Assembly Election: बिहार में सियासी परिवारवाद का नया खेल; पिता गए लोकसभा, पुत्र को विधानसभा की आस

Bihar Assembly Election बिहार विधानसभा चुनाव में सांसदों के स्‍वजनों को टिकट की आस है। अधिकांश मामलों में सांसद पिता के बटे लाइन में लगे दिख रहे हैं। जानिए मामला।

By Amit AlokEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 01:55 PM (IST)Updated: Wed, 22 Jul 2020 11:21 PM (IST)
Bihar Assembly Election: बिहार में सियासी परिवारवाद का नया खेल; पिता गए लोकसभा, पुत्र को विधानसभा की आस
Bihar Assembly Election: बिहार में सियासी परिवारवाद का नया खेल; पिता गए लोकसभा, पुत्र को विधानसभा की आस

पटना, अरुण अशेष। Bihar Assembly Election 2020: बिहार में विधानसभा चुनाव सामने है। नई-नई पार्टियां बन रही हैं। उनसे भी अधिक नए उम्मीदवार (Candidates) मैदान में नजर आने लगे हैं। उनमें से खास हैं, ऐसे उम्मीदवार, जिनके पिता लोकसभा (Lok Sabha) की शोभा बढ़ा रहे हैं। ऐसे उम्मीदवारों की संख्या राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) में ज्यादा है। इसलिए कि राज्य में लोकसभा की 40 में से 39 सीटें एनडीए के पास हैं।

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छेदी पासवान के बेटे को टिकट की आस

सासाराम के भारतीय जनता पार्टी (BJP) सांसद छेदी पासवान (Chhedi Paswan) चेनारी और मोहनिया विधानसभा क्षेत्र के सदस्य रहे हैं। उनके पुत्र रविशंकर पासवान (Ravi Shankar Paswan) 2015 में ही उम्मीदवार थे। बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो समाजवादी पार्टी (SP) की साइकिल पर सवार हो गए। हारे तो फिर से बीजेपी में सक्रिय हो गए। उन्हें प्रदेश कार्यसमिति का सदस्य बनाया गया है। इससे पहले रवि ने आठ हजार से अधिक नए लोगों को बीजेपी का सदस्य बनाया। हालांकि, उनके दावे की दोनों सीटों पर अभी एनडीए का ही कब्जा है। रवि कहते हैं, पार्टी नेतृत्व जरूर मेरे लिए कोई रास्ता निकलेगा।

तय लग रहा अर्जित शाश्‍वत का टिकट

केंद्रीय राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे (Ashwini Choubey) के पुत्र अर्जित शाश्वत (Arjit Shaswat) पिछली बार भागलपुर विधानसभा क्षेत्र से लड़े थे। 11 हजार वोटों के अंतर से हार हुई थी। उसके बाद भी क्षेत्र में उनकी सक्रियता कायम रही। टिकट की गारंटी बतायी जा रही है। अश्विनी कुमार चौबे भागलपुर विधानसभा से पांच बार चुनाव जीत चुके हैं।

ओबरा सीट पर रामकृपाल के बेटे की नजर

पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री रामकृपाल यादव (Ram Kripal Yadav) लोकसभा में हैं। वे राज्यसभा और विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। कभी विधानसभा के सदस्य नहीं बन पाए। उसकी भरपाई की कोशिश में पुत्र अभिमन्यु (Abhimanyu) जुटे हैं। अभिमन्यु की नजर औरंगाबाद जिला की ओबरा विधानसभा सीट पर है। वे एनडीए के किसी दल से उम्मीदवार बनने की कोशिश करेंगे। यह राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) की सीट है। विधानसभा के पिछले चुनाव में जनता दल यूनाइटेड (JDU) ने अपना उम्मीदवार नहीं दिया था। एनडीए में यह राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (RLSP) के खाते की सीट थी। आरएलएसपी अब एनडीए में नहीं है। ऐसे में ओबरा पर अभिमन्यु का दावा निरापद हो सकता है।

दावेदारी नहीं करेंगे कांग्रेसी सांसदों के स्वजन

कांग्रेस (Congress) के सांसद अपने स्वजनों को विधानसभा चुनाव लड़ाने से परहेज कर रहे हैं। राज्यसभा सदस्य डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह (Dr. Akhilesh Prasad Singh) के पुत्र आकाश कुमार सिंह (Aakash Kumar Singh) लोकसभा का पिछला चुनाव पूर्वी चंपारण से लड़े थे। कामयाबी नहीं मिली। अखिलेश सिंह ने पुत्र के विधानसभा चुनाव लडऩे की संभावना को खारिज किया। कहा कि आकाश पूर्वी चंपारण लोकसभा क्षेत्र में ही अगले चुनाव के लिए मेहनत करेंगे। अभी उनके पास काफी समय है। लोकसभा के लिए चुने जाने से पहले अखिलेश अरवल से विधानसभा सदस्य थे। किशनगंज के कांग्रेस सांसद डॉ. मोहम्मद जावेद (Dr. Md. Javed) ने एलान किया है कि उनके स्वजन किशनगंज विधानसभा सीट पर दावा नहीं करेंगे। पिछले साल उनके सांसद बनने के बाद किशनगंज विधानसभा क्षेत्र में उप चुनाव हुआ था। उसमें जावेद की मां उम्मीदवार थीं, जो कि चुनाव हार गई थीं।

जेडीयू में स्वजनों के लिए होड़ नहीं

स्वजनों को उम्मीदवार बनाने की होड़ कांग्रेस के अलावा जेडीयू में भी नहीं दिख रही। माना जा रहा है कि जेडीयू सांसद अपने स्‍वजनों को विधानसभा में उम्‍मीदवार नहीं बनाने जा रहे हैं।

एलजेपी सांसद को स्‍वजन के लिए आस

लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) की सांसद वीणा देवी (Veena Devi) विधानसभा में परिवार का प्रतिनिधित्व चाहती हैं। वह खुद मुजफ्फरपुर जिला के गायघाट की विधायक रह चुकी हैं। पति दिनेश सिंह विधान परिषद के सदस्य हैं। चाह रही हैं कि गायघाट या साहेबगंज से किसी स्वजन को टिकट मिल जाए। परिवार के सभी बालिग पुरुष सदस्यों के सांसद बन जाने के कारण एलजेपी सुप्रीमो रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के स्वजन विधानसभा का चुनाव शायद ही लड़ पाएं।


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