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Bihar Assembly Election : विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन को झटका, कांग्रेस की पूर्णिमा यादव सहित दो विधायक और राजद के भोला जदयू में शामिल

Bihar Assembly Election कांग्रेस और राजद के कई नेताओं ने जदयू की सदस्‍यता ग्रहण की। कांग्रेस विधायक पूर्व में भी नवादा से जदयू की विधायक रह चुकी हैं। भोला लालू के करीबी रहे हैं।

By Sumita JaswalEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 02:28 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 08:39 PM (IST)
Bihar Assembly Election : विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन को झटका, कांग्रेस की पूर्णिमा यादव सहित दो विधायक और राजद के भोला जदयू में शामिल
Bihar Assembly Election : विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन को झटका, कांग्रेस की पूर्णिमा यादव सहित दो विधायक और राजद के भोला जदयू में शामिल

 पटना,जेएनएन।Bihar Assembly Election :  महागठबंधन (Grand Alliance) को आज बड़ा झटका लगा है। महागठबंधन में शामिल कांग्रेस (Congress) और राजद (RJD) के कई नेताओं ने आज जदयू (JDU) की सदस्‍यता ग्रहण किया है। गोबिंदपुर से कांग्रेस की विधायक पूूर्णिमा यादव, कांग्रेस के ही बरबीघा विधायक सुदर्शन कुमार और राजद नेता भोला राय ने जदयू की सदस्यता ग्रहण कर ली। शाम चार बजे जदयू कार्यालय में आज (11 September)  आयो‍जित मिलन समारोह में जदयू नेता राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने उन्‍हें पार्टी की सदस्‍यता दिलाई।

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बता दें कि सुबह से ही कांग्रेस विधायक पूर्णिमा यादव के जदयू में शामिल होने की खबर थी। उनके प्रतिनिधि और जिला पार्षद नारायण स्वामी मोहन ने इसकी पुष्टि भी की थी। हालांकि पूर्णिमा यादव के लिए  यह घर वापसी जैसी है। पूर्व में वह नवादा सीट से जदयू की ही एमएलए (MLA) थी।

कौन हैं भोला राय

राजद नेता भोला राय लालू के करीबी माने जाते थे। उन्‍होंने 1995 में लालू यादव के लिए राधवपुर की सीट खाली की थी। लालू उसी सीट से चुनाव लड़े और जीते। भोला राय राजद की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं।

कौन हैं पूर्णिमा यादव

पूर्णिमा यादव नवादा से जदयू के विधायक कौशल यादव की पत्नी हैं। 2015 में कौशल यादव ने पूर्णिमा को कांग्रेस से टिकट दिलवाया था। 2015 में महागठबंधन से कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में गोविंदपुर सीट से जीती थीं।

दोनों नेताओं ने डूबते नाव की सवारी की है

इधर, कांग्रेस एमएलसी प्रेमचंद मिश्रा ने कहा है कि इन दोनों विधायकों के जदयू में जाने से पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। दोनों को पिछले पांच सालों से कांग्रेस की किसी गतिविधि में सक्रिय नहीं देखा गया। पार्टी में वफादार और संगठनात्‍मक पृष्‍ठभूमि वाले कार्यकर्ताओं को तरजीह देने का वक्‍त आ गया है। दोनों नेताओं ने डूबते नाव की सवारी की है। भाजपा-जदयू की इस बार विधानसभा चुनाव में हार तय है।


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