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Bihar Assembly Election 2020: गांवों-कस्बों के वोटरों को अधिक पसंद आ रहा गुलाबी बटन, जानें क्यों

शहर के वोटरों की अपेक्षा गांव-कस्बों के वोटरों को नोटा का गुलाबी बटन कुछ ज्यादा ही भाता है। पिछले विधानसभा चुनावों के आंकड़े यही बताते हैं। 2015 के चुनाव में जिन 10 सीटों पर नोटा का बटन सबसे अधिक दबाया गया वह ग्रामीण या कस्बाई इलाके ही रहे।

By Akshay PandeyEdited By: Published: Fri, 16 Oct 2020 06:16 PM (IST)Updated: Fri, 16 Oct 2020 06:16 PM (IST)
गांव-कस्बों के वोटरों को नोटा का गुलाबी बटन कुछ ज्यादा ही भाता है।

पटना, जेएनएन। शहर के वोटरों की अपेक्षा गांव-कस्बों के वोटरों को नोटा का गुलाबी बटन कुछ ज्यादा ही भाता है। पिछले विधानसभा चुनावों के आंकड़े यही बताते हैं। 2015 के चुनाव में जिन 10 सीटों पर नोटा का बटन सबसे अधिक दबाया गया वह ग्रामीण या कस्बाई इलाके ही रहे। एक भी जिला मुख्यालय का शहर टॉप-10 में नहीं रहा। राज्य में वारिसनगर के वोटरों ने सबसे अधिक 9,551 बार नोटा का बटन दबाया। दरौंदा, नरकटिया, चेनारी जैसे इलाके भी नोटा का बटन दबाने में आगे रहे।

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शहरी क्षेत्र में फीसद से कम ने दवाया नोटा

वहीं सबसे कम नोटा का बटन दबाने वाले 10 विधानसभा क्षेत्रों में ज्यादातर शहरी सीटें रहीं। भभुआ के वोटरों ने सबसे कम 642 बार नोटा का बटन दबाया। टॉप-10 में गया शहरी, मुजफ्फरपुर और पटना की कुम्हरार सीट भी रही। यहां क्रमश: 670, 800 और 860 लोगों ने नोटा को वोट किया। शहरी क्षेत्र के एक फीसद से भी कम वोटरों ने नोटा बटन का इस्तेमाल किया।

नोटा ने बिगाड़ा था कई उम्मीदवारों का खेल

2015 के विधानसभा चुनाव में नोटा ने कई उम्मीदवारों का खेल बिगाड़ दिया था। तरारी विधानसभा की लोजपा उम्मीदवार गीता पांडेय महज 272 मतों से चुनाव हार गई थीं जबकि इसी सीट पर नोटा को कुल 3858 मत मिले थे। आरा विधान सभा के भाजपा उम्मीदवार अमरेन्द्र प्रताप सिंह 666 मतों से चुनाव हार गए थे जबकि नोटा के तहत कुल 3203 मत मिले थे। चुनाव में कई उम्मीदवारों के जीत का अंतर नोटा मत की संख्या की तुलना में कम रहा था। शिवहर विधान सभा के जदयू उम्मीदवार सर्फुद्दीन मात्र 461 मतों से जीत पाए जबकि नोटा के तहत 4383 मत मिले थे। हायाघाट विधानसभा में कुल वैध वोट का सर्वाधिक 6.80 फीसद मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया था।

क्या है नोटा 

वर्ष 2013 में सुप्रीम कोर्ट के दिए गए एक आदेश के बाद भारतीय निर्वाचन आयोग ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में नोटा बटन का विकल्प उपलब्ध कराया था। नोटा का बटन गुलाबी रंग का होता है। इसका मतलब होता है, नॉन ऑफ द एबव यानी इनमें से कोई नहीं। जब मतदाता अपनी विधानसभा सीट से खड़े सभी प्रत्याशियों को अपने मत के काबिल नहीं समझता है, तो नोटा का बटन दबाता है। 

यहां पड़े नोटा को सबसे अधिक वोट


 सीटें       कुल मत    फीसद


1. वारिसनगर, 9551, 5.97

2. दरौंदा, 8983, 6.29

3. नरकटिया, 8938, 5.78

4. चेनारी, 8876, 6.24

5. महिषी, 8702, 6.36

6. बेलहर, 8193, 5.48

7. सुल्तानगंज, 8165, 5.57

8. बाबूबरही, 8134, 5.24

9. हायाघाट, 7844, 6.80

10. टिकारी, 7604, 4.71         

सबसे कम नोटा दबाने वाले 10 क्षेत्र 


  सीटें       कुल मत    फीसद


1. भभुआ, 642, 0.44

2. गया शहर, 670, 0.46

3. नरकटियागंज, 740, 0.48

4. दिनारा, 789, 0.52

5. मुजफ्फरपुर, 800, 0.46

6. कुम्हरार, 860, 0.55

7. राघोपुर, 903, 0.49

8. औरंगाबाद, 910, 0.60

9. बरौली, 988, 0.65

10 गोह, 989, 0.65


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