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Bihar Assembly Election 2020 : रघुवंश ने लालू को दरकिनार कर नीतीश को लिखी चिट्ठी

Bihar Assembly Election 2020 रधुवंश के मन में एक ही समय में आया लालू से रिश्ता तोड़कर नीतीश से पत्राचार का विचार। जानिए क्‍या है उनकी नीतीश से तीन मांग और उनके महत्‍व।

By Sumita JaswalEdited By: Published: Fri, 11 Sep 2020 06:03 PM (IST)Updated: Fri, 11 Sep 2020 08:34 PM (IST)
Bihar Assembly Election 2020 : रघुवंश ने लालू को दरकिनार कर नीतीश को लिखी चिट्ठी
Bihar Assembly Election 2020 : रघुवंश ने लालू को दरकिनार कर नीतीश को लिखी चिट्ठी

पटना, राज्य ब्यूरो,  राजद प्रमुख लालू प्रसाद की अपील को दरकिनार करते हुए रघुवंश प्रसाद सिंह ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर अपनी अपेक्षा जताई है। सरकार के सामने रघुवंश ने अपनी तीन वैसी मांगें रखी हैं, जिन्हें वह अपने प्रयासों से पूरा नहीं कर पाए हैं।

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नीतीश कुमार को पांच पन्ने की लिखी चिट्ठी में रघुवंश की पहली मांग अपने संसदीय क्षेत्र वैशाली में गणतंत्र दिवस को राजकीय समारोह के रूप में मनाने की है। दूसरी मांग मनरेगा के तहत मजदूरों से आम किसानों के खेतों में भी काम कराने पर विचार करना है। भगवान बुद्ध के भिक्षा-पात्र को काबुल से वापस लाने की उनकी तीसरी मांग है। उन्होंने लिखा है कि बुद्ध के भिक्षा-पात्र का मामला वह लोकसभा में भी उठा चुके हैं, जिस पर तत्कालीन विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने वापस लाने का आश्वासन दिया था।

दिल्‍ली एम्‍स से लिखे सारे पत्र

रघुवंश का अभी दिल्ली एम्स में इलाज चल रहा है और उन्होंने वहीं से सारे पत्र लिखे हैं। पहले लालू प्रसाद को अपना इस्तीफा भेजा। फिर नीतीश कुमार के अलावा उन्होंने जदयू के वरिष्ठ नेता ललन सिंह को भी पत्र लिखा। रघुवंश ने जदयू नेताओं को सारे पत्र वैसे समय में लिखा है, जब लालू प्रसाद ने रांची जेल से पत्र लिखकर उनसे राजद में ही रहने की अपील की है। तीनों पत्रों पर 10 सितंबर की तिथि लिखी है। इसी तिथि से लालू को लिखी चिट्ठी को भी जारी किया गया है। इससे साफ है कि रघुवंश ने लालू प्रसाद से रिश्ता तोडऩे और नीतीश कुमार से पत्राचार करने का विचार एक ही समय में किया है।

तीन मांग और उनके महत्व 

सभी खेतों में हो मनरेगा से काम : मनरेगा में अभी सरकारी और अनुसूचित जाति-जनजाति की जमीन में मजदूरी का प्रावधान है। उसमें आम किसानों को भी जोड़ दिया जाए। मुखिया को नोडल एजेंसी बना दिया जाए। मुखिया ही किसानों को मजदूर उपलब्ध कराएं और मजदूर भी मुखिया से ही काम मांगें। आधी मजदूरी सरकार की ओर से दी जाए और आधी किसानों को देने का प्रावधान किया जाए।

बुद्ध का भिक्षा-पात्र वापस लाएं : भगवान बुद्ध का भिक्षा-पात्र अभी अफगानिस्तान में है। बुद्ध ने वैशाली छोडऩे के पहले अपने भक्तों को यह पात्र यादगारी (स्मृति-चिह्न) के रूप में दिया था। एएसआइ के पहले महानिदेशक कनिंघम ने 1883 में लिखी पुस्तक में इसका जिक्र किया है। दूसरी शताब्दी में राजा कनिष्क इसे पेशावर ले गए थे। अभी काबुल के संग्रहालय में है। लोकसभा में भी मामला उठाया गया था। सरकार का जवाब था कि प्रयास करके लाया जाएगा, किंतु आगे बात नहीं बढ़ी।

वैशाली में मुख्यमंत्री फहराएं राष्ट्रध्वज 

वैशाली गणतंत्र की जननी है। उसी रूप में इसकी पहचान हो। 26 जनवरी वहां राजकीय समारोह के रूप में मनाया जाए। उस दिन मुख्यमंत्री वहां राष्ट्रीय ध्वज फहराएं। इस आशय की औपचारिकताएं पहले से ही पूरी हैं। फाइल मंत्रिमंडल सचिवालय में लंबित है। केवल पुरातत्व सर्वेक्षण से अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलना बाकी था, जो आ गया है। पहले भी बिहार में 15 अगस्त को मुख्यमंत्री पटना में और 26 जनवरी को रांची में ध्वज फहराते थे। अब रांची के बदले वैशाली में फहराएं और गणतंत्र की अपनी पुरानी विरासत को सम्मान दें।


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