Bihar Assembly Election 2020 : जदयू से सीधी जंग में राम विलास पासवान के न भतीजा जीत पाए न दामाद
Bihar Assembly Election 2020 पिछली बार विधानसभा चुनाव में जदयू से जहां भी टक्कर हुई लोजपा को हार का ही सामना करना पड़ा। रामविलास पासवान के करीबी भी जीत नहीं पाए थे।
पटना, भुवनेश्वर वात्स्यायन। Bihar Assembly Election 2020 : बिहार में 2015 के विधानसभा चुनाव में रिश्ते-नाते नहीं, बल्कि नीतीश कुमार का चेहरा असरदार रहा था। जदयू और लोजपा के बीच कुछ प्रमुख मुकाबलों की बात करें तो यही स्पष्ट होता है। जहां भी सीधी जंग हुई, मतदाताओं ने न तो रिश्ते को तवज्जो दी और न ही वे चाशनी वाली बातों पर फिदा हुए।
समस्तीपुर जिला में कल्याणपुर विधानसभा क्षेत्र की चर्चा सबसे पहले होती है। लोजपा इसे अपनी पारंपरिक सीट मानती रही है। लोजपा सांसद रामचंद्र पासवान के पुत्र और रामविलास पासवान के भतीजे प्रिंस राज यहां से चुनाव लड़ रहे थे। उनके सामने नीतीश कुमार के चेहरे के साथ जदयू के महेश्वर हजारी चुनावी मैदान में थे। परिणाम यह रहा कि प्रिंस राज 37,686 मतों से हार गए। मतदाताओं ने रिश्ते को कोई अहमियत नहीं दी।
कुशेश्वरस्थान विधानसभा क्षेत्र में भी इसी तरह का वाकया दिखा। रामविलास पासवान के दामाद मृणाल यहां से लोजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में थे। जदयू से शशिभूषण हजारी थे। मतदाताओं ने रामविलास पासवान के दामाद मृणाल को 19,850 मतों से हरा दिया। रामविलास के एक और दामाद अनिल साधु मुजफ्फरपुर शहर की एक सीट से चुनाव लड़ रहे थे। उनका हश्र यह हुआ कि वह मुकाबले में भी नहीं रहे। रिश्तों की कड़ी को अगर और आगे बढ़ाएं तो सहरसा के सिमरी बख्तियारपुर सीट का जिक्र भी सामने आता है। यहां लोजपा के बड़े नेता के पुत्र यूसुफ सलाहउद्दीन मैदान में थे। उन्हें जदयू के दिनेशचंद्र यादव ने 37,806 मतों से पराजित किया था।
मंत्रियों के सामने नहीं बन पाई बात
जदयू के मंत्रियों के साथ सीधी भिड़ंत में भी लोजपा के प्रत्याशी चेहरे के चलते टिक नहीं पाए। आलमनगर नें नरेंद्र नारायण यादव ने लोजपा के चंदन सिंह को 43,876 मतों से हरा दिया था। बाबूबरही में कपिलदेव कामत ने लोजपा के विनोद कुमार सिंह को 20,267 मतों से हरा दिया। गौराबौराम से मदन सहनी ने लोजपा के विनोद सहनी को चौदह हजार मतों से हराया। जमालपुर से शैलेश कुमार ने लोजपा के हिमांशु राय को 15,476 मतों से हरा दिया था।
मीठी बातें रहीं असरहीन
त्रिवेणीगंज विधानसभा की सुरक्षित सीट है। वहां लोजपा प्रत्याशी अनंत कुमार भारती की सीधी भिड़ंत जदयू की प्रत्याशी वीणा भारती से थी। सुरक्षित सीट रहने की वजह से चुनाव के आरंभिक दिनों में यह बात थी कि रामविलास पासवान की बातों का असर दिख सकता है, लेकिन इस सीट की जंग में चेहरा हावी हो गया। नीतीश कुमार के नाम के साथ मैदान में उतरीं वीणा भारती 52,400 वोटों से चुनाव जीत गईं। 2015 के विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से जिन सीटों पर जीत-हार हुई, उस सूची में यह सीट भी शामिल हो गई।