Bihar Assembly Election 2020: वार रूम से बाहर मिशन पर निकली BJP, अब क्षेत्र में कैंप करेंगे संभावित प्रत्याशी
Bihar Assembly Election 2020 बीजेपी विधानसभा चुनाव के मिशन पर निकल गई है। प्रदेश कार्यसमिति के धुरंधर संगठन के मोर्चे पर लगाए गए हैं। संभावित प्रत्याशी क्षेत्र में कैंप करेंगे।
पटना, रमण शुक्ला। Bihar Assembly Election 2020: वर्चुअल रैली (Virtual Rally) के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) में चुनाव की तैयारियां दिखने लगी हैं। प्रदेश नेतृत्व ने विधायकों, पूर्व विधायकों और भावी प्रत्याशियों को प्रदेश कार्यकारिणी व सांगठनिक जिम्मेदारियों से मुक्त कर क्षेत्र में कूच करने का फरमान सुनाया है। वहीं, प्रदेश कार्यसमिति में शामिल धुरंधरों को संगठन के मोर्चे पर लगाया है।
जिला प्रभारी और विधानसभा प्रभारी की जिम्मेदारी अब कार्यसमिति के सदस्यों को दी जा रही है। बिहार प्रभारी व राष्ट्रीय महामंत्री भूपेंद्र यादव के पटना में कैंप करने का असर कार्यकर्ताओं के बीच दिखने लगा है। नेतृत्व का निर्देश मिलते ही सरकार में शामिल मंत्री भी सत्ता के गलियारे का मोह त्याग भविष्य संवारने के लिए क्षेत्र में निकल रहे हैं।
हाईटेक अभियान के लिए तैयारी
राष्ट्रीय मुख्यालय के निर्देश पर बिहार का चुनाव हाईटेक तरीके से लडऩे की तैयारी है। इस मद्देनजर नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक को भाजपा टेक्नो-फ्रेंडली बनाने में जुटी है। जनता से जीवंत संपर्क के लिए पार्टी पदाधिकारियों के साथ विधायक डिजिटल कनेक्टिविटी के तमाम विकल्प तलाश रहे हैं।
बूथ प्रबंधन पर विशेष फोकस
चुनावी तैयारियों के लिहाज से बीजेपी पहले ही हर विधानसभा क्षेत्र के लिए प्रभारियों की नियुक्ति कर चुकी है। बूथ प्रबंधन पर विशेष फोकस है। सप्तर्षियों के जरिए हर बूथ पर सामाजिक समीकरण को साधने की कोशिश हो रही। लक्ष्य है कि हर बूथ पर सभी वर्गों का वोट सुनिश्चित किया जाए। आधी आबादी को रिझाने के लिए बूथ कमेटी में कम से कम एक महिला को शामिल किया गया है।
पन्ना प्रमुख को जीत का मंत्र
पार्टी शीघ्र ही पन्ना प्रमुखों को जीत का मंत्र भी देने वाली है। उन्हें बूथ प्रभारी से सीधा संवाद कर एक-एक वोट सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी जानी है। इसी उद्देश्य से क्षेत्रीय बैठक का सिलसिला शुरू हुआ है।
जीत की गारंटी वाले उम्मीदवारों का आकलन
सबसे महत्वपूर्ण उम्मीदवारों का चयन है। आकलन का एक दौर पूरा हो चुका है। किसी भी सीट का फैसला चेहरा या व्यक्ति पसंद के आधार पर नहीं होगा, बल्कि जीत की गारंटी वाले उम्मीदवार को तरजीह मिलेगी। लोकप्रियता, क्षेत्र में सक्रियता सहित तमाम बिंदुओं पर संभावित उम्मीदवार को परखा जा रहा है। जातिगत समीकरण को देखते हुए कुछ बड़े व पुराने विधायकों को सीट बदलने को भी कहा जा सकता है। अहम यह कि आखिरी मौके पर दूसरे दलों से आने वाले जिताऊ उम्मीदवारों को भी गले लगाया जा सकता है। बावजूद इसके ऐसे किसी बाहरी या भीतरी नेता को टिकट मिलना मुश्किल है, जिसकी छवि दागी या आपराधिक हो।