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बिहार में भाजपा के मंत्री ने कहा- पाकिस्‍तान चले गए थे अल्‍लामा इकबाल, तो जदयू को मिला राजद का साथ

Bihar Politics अल्‍लामा इकबाल के मसले पर भाजपा और जदयू हुए आमने-सामने कृषि मंत्री और भाजपा के विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह के बयान के बाद जदयू ने जताया ऐतराज तो राजद के विधायकों ने मेज थपथपाकर किया स्‍वागत

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 01:48 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 11:52 PM (IST)
बिहार में भाजपा के मंत्री ने कहा- पाकिस्‍तान चले गए थे अल्‍लामा इकबाल, तो जदयू को मिला राजद का साथ
मशहूर शायर अल्‍लामा इकबाल की फाइल फोटो

पटना, जागरण टीम। अल्‍लामा इकबाल (Allama Iqbal) उर्फ मुहम्मद इकबाल मसऊदी अविभाजित हिंदुस्‍तान के मशहूर शायर तो रहे ही हैं। हिन्‍दुस्‍तान के साथ ही पाकिस्‍तान में भी उनके चाहने वाले खूब हैं। उर्दू और फारसी में उनकी शायरी का कोई जोड़ नहीं है। लेकिन उनके साथ विवाद भी कम नहीं रहे। अल्‍लामा वो शायर हैं जिन्‍होंने पहले तराना-ए-हिंद 'सारे जहां से अच्‍छा हिंदोस्‍तां हमारा...' जैसा शानदार तराना गाया तो बाद में उन्‍होंने तराना-ए-मिली 'चीन ओ अरब हमारा, हिंदोस्तां हमारा; मुस्लिम हैं हम वतन है, सारा जहां हमारा' भी गाया। मशहूर शायर इकबाल मंगलवार को बिहार विधानसभा (Bihar Vidhansabha Budget Session) में चर्चा का विषय बन गए।

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बिहार के कृषि मंत्री ने कहा- बंटवारे के बाद पाकिस्‍तान चले गए थे अल्‍लामा

बिहार विधान परिषद में मशहूर शायर अल्लामा इकबाल को लेकर भाजपा और जदयू के सदस्य ही आमने-सामने हो गए। जदयू के गुलाम गौस ने उर्दू के बड़े नाम का जिक्र करते हुए मशहूर शायर इकबाल का नाम लिया। इस पर कृषि मंत्री व भाजपा नेता अमरेंद्र प्रताप सिंह (Bihar Agriculture Minister Amrendra Pratap Singh) ने कहा कि इकबाल ने 'सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा... जरूर लिखा मगर वह बंटवारे के बाद पाकिस्तान चले गए।

जदयू के सदस्‍यों ने सदन में आई जानकारी को दुरुस्‍त किया

उनके इस बयान का सदन में जदयू के सदस्यों ने ही विरोध किया। खालिद अनवर और तनवीर अख्तर ने कहा कि इकबाल के पाकिस्तान जाने की बात गलत है। इकबाल का निधन तो आजादी के पहले ही 1938 में हो गया था। इस पर विरोधी दल के सदस्यों ने भी मेज थप-थपाकर समर्थन दिया।

पहले खांटी हिंदुस्‍तानी, लेकिन बाद में बदल गए थे अल्‍लामा के विचार

सच्‍चाई यही है कि अल्‍लामा जब तक जिंदा थे, पाकिस्‍तान बना ही नहीं था। वह देश की आजादी और विभाजन के पहले ही दिवंगत हो गए थे। हाला‍ंकि बाद के दिनों में उनके विचारों में आमूल-चूल बदलाव हुआ था। शुरुआती दिनों में पक्‍के हिंदुस्‍तानी अल्‍लामा बाद के दिनों में मजहब को लेकर ज्‍यादा फिक्रमंद हो गए थे। उनका झुकाव भी मुस्लिम राष्‍ट्र के प्रति हो गया था। कहा जाता है हिंदुस्‍तान के विभाजन और पाकिस्‍तान की स्‍थापना का विचार सबसे पहले उन्‍होंने ही लाया था। उनका जन्‍म सियालकोट में जबकि निधन लाहौर में हुआ था।


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