CAA-NRC को ले CM नीतीश ने कही बड़ी बात- अब सुप्रीम कोर्ट में तय होगा CAA संवैधानिक या नहीं
जेडीयू ने संसद में सीएए का समर्थन किया। लेकिन पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार अब इसपर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मानेंगे कि यह संवैधानिक है या नहीं। पूरी जानकारी के लिए पढ़ें खबर।
पटना [स्टेट ब्यूरो]। संसद में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का समर्थन करने वाले जनता दल यूनाइटेड (JDU) सुप्रीमो व बिहार के मुख्यमंत्री (CM) नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने मंगलवार को इसके बारे में बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि सीएए का मामला अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में है। सुप्रीम कोर्ट को तय करना है कि यह संवैधानिक है या असंवैधानिक। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का इंतजार करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) को बिहार में लागू करने का सवाल ही नहीं है तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NRC) के नए प्रावधानों का कोई मतलब नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में हो जाएगा सीएए पर निर्णय
मुख्यमंत्री ने कहा कि सीएए के विरोध या समर्थन का सभी को अपना-अपना अधिकार है। यह राज्य सरकार का कानून तो है नहीं। जब सुप्रीम कोर्ट में मामला चला गया है तो वहां से निर्णय हो जाएगा। इस मसले पर समाज में ऐसा वातावरण नहीं पैदा करना चाहिए कि लोग अलग-अलग हो जाएं। समाज में एकजुटता और सद्भावना का माहौल रहना चाहिए।
एनपीआर में संशोधन का कोई मतलब नहीं
एनपीआर के संबंध में मुख्यमंत्री ने कहा कि यह तो 2011 से चला आ रहा है। 2020 में इसका रिव्यू हुआ। एनपीआर में जो कुछ नयी चीजें जुड़ी हैैं, उसे लेकर लोगों में भ्रम है। मसलन आपके माता-पिता कहां और कब पैदा हुए? मुझसे ही कोई मेरी मां की जन्मतिथि के बारे में पूछ ले तो मुझे इसकी जानकारी नहीं। ग्रामीण क्षेत्रों में पहले इन सब चीजों के बारे में कहां ध्यान रहता था। गरीब लोगों को तो और परेशानी है। लोगों के मन में भ्रम का भाव नहीं रहना चाहिए। इसलिए पुराने प्रावधानों पर ही एनपीआर का काम आगे बढऩा चाहिए। आधार व अन्य चीजों के जो नंबर मांगे जा रहे हैैं वह तो पहले ही रिकार्डेड है।
2011 में प्रावधानों पर हो एनपीआर का काम
राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) पर बोलते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि इसके नए प्रावधानों का कोई मतलब नहीं है। इसके चार नए प्रावधानों पर जेडीयू को आपत्ति है। वर्ष 2011 में एनपीआर को ले जो प्रावधान हैं, उन्हीं पर काम आगे बढऩा चाहिए।
होनी चाहिए जाति आधारित जनगणना
नीतीश कुमार ने अगली जनगणना को जाति आधारित करने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि फरवरी 2019 में बिहार विधानसभा और विधान परिषद ने सर्वसम्मति से यह संकल्प पारित हो चुका है। जेडीयू की बैठक में भी इस पर सहमति बनी है। 1931 के बाद जाति आधारित जनगणना नहीं हुई है। जाति आधारित जनगणना से समाज में हाशिए पर जो लोग हैैं, उनके लिए योजना बनाने में सुविधा होगी।