बिहार विधान परिषद चुनाव को लेकर लालू के बड़े संकेत, बड़ा सवाल- क्या खुल सकेगी महागठबंधन की गांठ?
बिहार विधान परिषद चुनाव को लेकर आरजेडी सुप्रीमाे लालू प्रसाद यादव ने महागठबंधन में सुलह के बड़े संकेत दिए हैं। इसके साथ बीते विधानसभा उपचुनाव के वक्त आरजेडी व कांग्रेस के बीच आई दरार को पाटे जाने की संभावना बनती दिख रही है।
पटना, अरुण अशेष। Bihar MLC Election: स्थानीय निकाय कोटे से होने वाला विधान परिषद चुनाव (Bihar Legislative Council Election) महागठबंधन (Mahagathbandhan) की गांठ खोलने वाला साबित होगा। गांठ कुशेश्वरस्थान और तारापुर विधानसभा क्षेत्र के उप चुनाव (Bihar Assembly By-Election) के समय पड़ी थी। कथित गठबंधन धर्म का उल्लंघन करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और कांग्रेस (Congress) ने दोनों सीटों पर अपने उम्मीदवार दे दिए थे। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) ने उसी समय कांग्रेस के बिहार प्रभारी भक्त चरण दास (Bhakta Charan Das) को भकचोन्हर (Bhakchonhar) कह दिया था। दोनों दल प्रतिद्वंद्वी की तरह उप-चुनाव लड़े। दास ने कहा था कि उप चुनाव के बाद आरजेडी के साथ कांग्रेस अपने गठबंधन की समीक्षा करेगी। इधर, लालू ने विधान परिषद की 24 सीटों पर कांग्रेस के साथ साझे में चुनाव लड़ने की घोषणा कर साफ कर दिया कि उप-चुनाव की कटुता उनकी ओर से खत्म हो गई है। कांग्रेस ने भी कटुता का प्रदर्शन नहीं किया है। प्रदेश अध्यक्ष डा. मदन मोहन झा ने कहा- हम साझे में चुनाव लड़ने की संभावना से इनकार नहीं कर सकते हैं। हां, अंतिम निर्णय आलाकमान के हाथ में है।
चिराग के लिए छोड़ी जा सकती हैं जेडीयू कोटे की कुछ सीटें
साल 2015 के चुनाव की तुलना करें तो महागठबंधन (Mahagathbandhan) के दलों के पास लड़ने के लिए काफी सीटें हैं। उस समय जनता दल यूनाइटेड (JDU) महागठबंधन का हिस्सा था। उसे 10 सीटें मिली थीं। लालू प्रसाद यादव ने संकेत किया था कि इन 24 सीटों के चुनाव में कुछ नए दोस्त भी शामिल हो सकते हैं। उनका इशारा चिराग पासवान की अगुआई वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) [LJP (Ramvilas)] की ओर था, जिसे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) से सीट मिलने की उम्मीद नहीं है। रणनीति यह हो सकती है कि महागठबंधन उन सीटों पर उम्मीदवार न दे, जहां एलजेपी (रामविलास) की स्थिति मजबूत है। एनडीए में रहने के दौरान एलजेपी को चार सीटें (हाजीपुर, नालंदा, सहरसा और आरा) मिली थीं। सहरसा में एलजेपी की जीत हुई थी। लालू प्रसाद यादव का संकेत यह है कि जेडीयू के कोटे की सीटों में से कांग्रेस और एलजेपी (रामविलास) के लिए कुछ सीटें छोड़ी जा सकती हैं।
चुनाव में सीपीआइ व सीपीआइ एम-एल की भी है दिलचस्पी
महागठबंधन की सहयोगी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) चार सीटों पर लड़ने की योजना बना रही है। मधुबनी, भागलपुर और चंपारण की दोनों सीटें उसकी सूची में हैं। पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय ने बताया कि इस मुद्दे पर वे आरजेडी से बातचीत करेंगे। 1990 से संसदीय राजनीति में शामिल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माले) (CPI M-L) पहली बार विधान परिषद चुनाव में दिलचस्पी दिखा रही है। पार्टी की केंद्रीय कमेटी के सदस्य धीरेंद्र झा ने बताया कि आरजेडी से प्रारंभिक दौर की बातचीत हुई है। इस चुनाव में धन का चलन है। लिहाजा, हम अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने के बारे में नहीं सोच सकते हैं। हां, सांकेतिक रूप में पार्टी किसी एक सीट पर चुनाव लड़ सकती है। अंतिम निर्णय 11 जनवरी को होनेवाली स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में लिया जाएगा।
साल 2015 के वुनाव में महागठबंधन में इस तरह बंटी थीं सीटें
- जेडीयू (10): नालंदा, गया, नवादा, मुजफ्फरपुर, बांका (इन पर जीत हुई थी), रोहतास, सारण, मधुबनी, बेगूसराय और पटना।
- आरजेडी (10): आरा, वैशाली, सीतामढ़ी, मुंगेर (इन पर जीत हुई थी।), औरंगाबाद, सिवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, दरभंगा एवं समस्तीपुर।
- कांग्रेस (03): पश्चिमी चंपारण (कांग्रेस की जीत हुई थी।), सहरसा और पूर्णिया।
- एनसीपी (01): कटिहार।