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VIDEO: बिहारी गायिका नेहा सिंह राठौर का जबरदस्‍त सियासी तंज- राजा बरहौ मास घूमेले बिदेसवा, बिकसवा ना जनमले हो..

गायिका नेहा सिंह राठौर ने अपने ताजा लोकगीत के माध्‍यम से देश की सियासत को निशाने पर लिया है। गीत के बोल राजा बरहौ मास घूमेले बिदेसवा बिकसवा ना जनमले हो... में किसी का नाम नहीं है लेकिन सबकुछ स्‍पष्‍ट हो जाता है।

By Amit AlokEdited By: Published: Sun, 04 Apr 2021 06:55 PM (IST)Updated: Mon, 05 Apr 2021 01:39 PM (IST)
VIDEO: बिहारी गायिका नेहा सिंह राठौर का जबरदस्‍त सियासी तंज- राजा बरहौ मास घूमेले बिदेसवा, बिकसवा ना जनमले हो..
बिहारी गायिका नेहा सिंह राठौर। तस्‍वीर: गायिका के फेसबुक पेज से साभार

पटना, बिहार ऑनलाइन डेस्‍क। बिहार की लोक गायिका नेहा सिंह राठौर (Neha Singh Rathore) अपने राजनीतिक व्‍यंग्‍य (Political Satire) से भरे लोक गीतों के लिए जानी जातीं हैं। नेहा एक बार फिर नया गीत लेकर आईं हैं। गीत के बोल में किसी का नाम नहीं है, सबकुछ इशारों में ही, लेकिन स्‍पष्‍ट है। अपने गीत में वे कहतीं हैं- ''राजा बरहौ मास घूमेले बिदेसवा, बिकसवा ना जनमले हो...।'' इंटरनेट मीडिया में वायरल हो चुके इस गीत के बोल बिलकुल स्‍पष्‍ट हैं। इसे नेहा ने गाया तो है हीं, लिखा भी खुद ही है।

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विवाहिता की संतान की इच्‍छा के माध्‍यम से कटाक्ष

अपने गीत में नेहा सिंह राठौर एक महिला के 'विकास' नाम की संतान की इच्‍छा पाने के दर्द को बयां करते हुए जबरदस्‍त कटाक्ष करतीं हैं। कहतीं हैं कि साल 2014 में शादी हुई, 2019 में गौना हुआ। शादी के छह साल बीत गए, लेकिन 'विकसवा' (संतान) नहीं हुआ। इसका कारण बताते हुए वे कहतीं हैं कि राजाजी (पति) जनवरी में जापान तो फरवरी में जर्मनी जाते हैं। वे सालोंभर विदेश घूमते रहते हैं। ऐसे में 'बिकसवा' का जन्‍म कैसे हो?

पति कभी धूनी रमाते, कभी जोगी-फकीर बन जाते

अपने गीत में वे और स्‍पष्‍ट होते हुए कहतीं हैं कि 'विकसवा' का जन्‍म नहीं होने पर बिहार, बंगाल, केरल व असम के डॉक्‍टरों से दिखाया, व उत्‍तर प्रदेश में आझा से भी दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पति कभी धूनी रमा लेते हैं तो कभी जोगी या फकीर बन जाते हैं। वे आगे कहतीं हैं कि विवाहिता की उम्र 16 साल है तो पति 70 साल के हैं। ऐसे में 'विकसवा' का जन्‍म कैसे हो।

गीत के बोल में कहां इशारा, आप खुद समझें

नेहा के गीत के बोल एक विवाहिता के संतान न हो पाने के दर्द के आसपास घूमते हुए जबरदस्‍त राजनीतिक तंज कसते हैं। गीत के बोल में किसी का नाम नहीं आता, लेकिन चेहरे स्‍पष्‍ट हो जाते हैं। यही इस गीत की खासियत है, इसलिए इसे हम नहीं बताएंगे। आप खुद सुनिए और समझिए।


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