Bihar Board की बड़ी गड़बड़ी: 500 छात्रों को संस्कृत की ऑब्जेक्टिव कैटेगरी में दे दिया Zero अंक
Bihar Board की बड़ी लापरवाही सामने अायी है। शेखपुरा के लगभग 500 छात्रों को संस्कृत विषय के ऑब्जेक्टिव कैटेगरी में Zero अंक दे दिए गए हैं। खुलासा होने पर डैमेज कंट्रोल में जुटा।
शेखपुरा, जेएनएन। बिहार बोर्ड (Bihar Board) की बड़ी चूक सामने अाया है। बोर्ड ने शेखपुरा जिले के लगभग 500 छात्रों को संस्कृत विषय के ऑब्जेक्टिव कैटेगरी में जीरो (Zero) अंक दे दिए हैं। इसका खुलासा गुरुवार को तब हुआ, जब स्कूलों में बोर्ड की ओर से भेजे गए अंकपत्र तथा अंक पत्रक पहुंचा। इसके बाद तो हंगामा मच गया। वहीं इसे लेकर संबंधित छात्र-छात्राएं काफी चिंतित हैं। हालांकि अब कहा जा रहा है कि बोर्ड ने इस त्रुटि काे माना है और इसमें जल्द सुधार करने की बात कही है। खास बात कि कई विद्यार्थियों का प्रथम या द्वितीय श्रेणी महज 5 से 10 अंक की कमी के चलते छूट गया है।
बोर्ड ने दिया आश्वासन
बताया जा रहा है कि पिछले महीने जारी बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा के परीक्षाफल में संस्कृत विषय के ऑब्जेक्टिव सवालों के अंक जोड़े ही नहीं गए थे। इसकी वजह से संबंधित छात्र-छात्राओं का रिजल्ट भी प्रभावित हुआ है। इधर जब छात्र-छात्राओं तथा उनके अभिभावकों ने इस बात को उठाया तो अब जिला का शिक्षा विभाग बिहार बोर्ड को त्राहिमाम भेजकर इस चूक को सुधारने की गुहार लगाई है। बोर्ड ने इसे गंभीरता से लेते हुए रिजल्ट को ठीक करने का आश्वासन दिया है।
कहते हैं डीइओ
इस बाबत डीइओ नंदकिशोर राम ने बताया कि इस तरह की त्रुटि जिला के मेहुस हाई स्कूल तथा पचना हाई स्कूल के छात्र-छात्राओं के परीक्षाफल में हुई है। बताया गया कि बोर्ड की इस चूक का खुलासा तब हुआ, जब बोर्ड ने इन छात्र-छात्राओं के अंकपत्र एवं अंक पत्रक स्कूलों को भेजा।
क्या है मामला
बिहार बोर्ड की 10वीं की परीक्षा में 100 अंक की संस्कृत की परीक्षा में 50 अंक का ऑब्जेक्टिव तथा 50 अंक का सब्जेक्टिव प्रश्न होते हैं। शुरू में जारी परीक्षाफल में तो बोर्ड ने सिर्फ परीक्षार्थियों के पास-फेल और डिविजन के बारे में जानकारी सार्वजनिक की। अब जब स्कूलों को छात्र-छात्राओं का अंक पत्र और अंकपत्रक जारी किया तो उक्त दो स्कूलों के छात्र-छात्राओं का वस्तुनिष्ट का नंबर ही नहीं जुटा है।
लगभग 500 छात्र-छात्राएं प्रभावित
बोर्ड की इस चूक की वजह से जिला के लगभग पांच सौ छात्र-छात्राओं का परीक्षाफल प्रभावित हो रहा है। कई विद्यार्थी मात्र 5 से 10 अंक की कमी की वजह से प्रथम और दूसरी श्रेणी लाने से चूक गए हैं। अगर इन बच्चों का संस्कृत के वस्तुनिष्ट का अंक जुड़ता है तो कई के डिविजन आगे बढ़ सकते हैं।
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