Coronavirus: अलर्ट के बीच 'कोरोना बम' बना घूमता रहा युवक, सवाल यह कि कितनों को दे गया संक्रमण
Coronavirus कोरोना बिहार में पहुंच चुका है। आते ही इसने एक जान ले ली। लेकिन मौत के पहले तक मरीज के संक्रमण की जानकारी नहीं थी। इस दौरान वह सैकड़ों लोगों के संपर्क में आया।
पटना/ भागलुपर, जागरण टीम। Coronavirus: बिहार में शनिवार तक कोरोना (Corona) का एक भी मामला सामने नहीं आया था, लेकिन रविवार को एक-एक कर तीन मामलों के उजागर होने व एक की मौत के बाद हड़कम्प मच गया है। इस बीच बड़ी खबर कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत के मामले में लापरवाही (Negligence) की है। मृतक बिहार के मुंगेर का रहने वाला था। कदम-कदम पर लापरवाही के कारण बीमार होने से मौत एवं अंतिम संस्कार तक वह 'कोराना बम' (Corona Bomb) बनकर समाज में रहा। इस दौरान वह कितने लोगों के संपर्क में आया, और उनमें से कितने की जांच हुई, यह बड़ा सवाल है।
कोरोना संक्रमण से मुंगेर के युवक की मौत
बिहार में कोरोना संक्रमित मरीज की पहली मौत मुंगेर के एक युवक की हुई। बीते कई दिनों से बीमार उस युवक की शनिवार को मौत तक उसके कोरोना पॉजिटिव होने की जानकारी नहीं थी। उसे अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में किडनी के इलाज के लिए भर्ती किया गया, जहां से उसका सैंपल कोरोना की जांच के लिए भेजा गया। एम्स लेकिन जांच रिपोर्ट आने में विलंब हुआ। रिपार्ट आने के पहले ही उसकी मौत हो गई। हद तो तब हो गई, जब जानकरी मिलने के बावजूद मृतक के मोहल्ले में प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई नहीं की। स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मृतक के मुंगेर स्थित घर के तीन किलोमीटर के दायरे को सील करने की कार्रवाई सोमवार को की।
कदम-कदम पर की गई लापरवाही
एम्स पटना के निदेशक डॉ. प्रभात कुमार सिंह ने बताया कि मरीज किडनी रोग से ग्रसित था और उसकी मौत के बाद विलंब से रिपोर्ट आई। कदम-कदम पर व्यवस्था में इसी विलंब या लापरवाही के कारण युवक संक्रमण से लेकर मौत के बाद तक 'कोरोना बम' बना रहा। कोरोना संक्रमित युवक विदेश से आने के बावजूद स्वास्थ्य जांच से कैसे बचा, यह सवाल है। अगर उसकी स्वास्थ्य जांच हुई जो यह कैसी जांच थी, कि संक्रमण का संदेह तक नहीं हुआ? विदेश से आने व कोरोना संक्रमण के लक्षणों के बावजूद मुंगेर से लेकर पटना तक इलाज के दौरान किसी भी डॉक्टर ने समय रहते कोरोना की जांच क्यों नहीं करायी?
एम्स में कोरोना का संदेह होने के बावजूद जांच रिपोर्ट मिले बिना शव को परिजनों के हवाले क्यों किया गया, यह सवाल भी है। हालांकि, एम्स के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीएम सिंह कहते हैं कि शव को पूरी सुरक्षा व भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार स्वजनों को सौंपा गया।
स्वास्थ्य विभाग का हैरान करने वाला दावा
विभिन्न स्तरों पर लापरवाही के कारण मृत युवक के माध्यम से कितने लोगों में कोरोना वायरस फैला होगा, इसका आकलन किया जा सकता है। जहां तक स्वास्थ्य विभाग की बात है, वह मृतक के माेहल्ले के तीन किलोमीटर के दायरे में स्क्रीनिंग कर रहा है। स्वास्थ्य विभाग का हैरान कर देने वाला दावा तो यह है कि मृतक के संपर्क में केवल 35 लोग आए थे, जिनके स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। लेकिन इनमें इलाज करने वाले स्वास्थ्य कर्मी व अस्पतालों में संपर्क में आए लोग शामिल हैं या नहीं, इसकी जानकारी नहीं दी जा रही है। शव को एम्स से मुंगेर ले जाने वाले एंबुलेंस चालक की कोरोना जांच हुई या नहीं, इसकी जानकारी भी नहीं है।
अंतिम संस्कार में शामिल परिजनों की जांच नहीं
लापरवाही की हद तो यह है कि मृतक के अंतिम संस्कार में लखीसराय से सूर्यगढ़ा से गए उसके रिश्तेदारों की कोरोना जांच नहीं की गई। जब गांव वालों ने इसे लेकर हंगामा किया तो परिवार के सात लोगों को लखीसराय सदर अस्पताल में एम्बुलेंस से सदर अस्पताल भेजा गया, लेकिन वे रात में ही बिना जांच के ही अस्पताल से भाग गए। अंतिम संस्कार में शामिल हुए परिवार के इन सदस्यों की जांच को ले पड़ोस के लोग सोमवार को परेशान रहे। लोगों से जिलाधिकारी व सिविल सर्जन को भी फोन किया, लेकिन मेडिकल टीम सुस्त रही। मृतक के अंतिम संस्कार में शामिल रिश्तेदारों के अस्पताल से भागने की पुष्टि अस्पताल प्रबंधक नंदकिशोर भारती ने की, लेकिन सिविल सर्जन डॉ. सुरेश शरण से कुछ भी बताने से इन्कार किया। जिलाधिकारी ने भी व्यस्तता बता बात करने में असमर्थता जताई।