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रिजल्ट घोटाले में बड़ा खुलासा : बच्चा ने लालू की 'छांव' पाने को खेला था ये बड़ा 'गेम'

सत्ता की रस्सी राजद के हाथों में जाने के बाद से बच्चा राय ने ये बड़ा दांव खेला था। उसने लालू की पार्टी के तीन नेताओं का नाम जोड़ दिया था।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 16 Aug 2016 09:50 AM (IST)Updated: Tue, 16 Aug 2016 08:52 PM (IST)
रिजल्ट घोटाले में बड़ा खुलासा : बच्चा ने लालू की 'छांव' पाने को खेला था ये बड़ा 'गेम'

पटना [वेब डेस्क]। रिजल्ट घोटाले में रोज नए-नए खुलासे सामने आ रहे हैं। घोटाले के मुख्य आरोपी बच्चा राय उर्फ अमित कुमार ने इतनी साफगोई से कुछ कामों को अंजाम दिया था, जिसका अंदाजा शायद ही किसी को होगा। अब धीरे-धीरे इस घोटाले का तार प्रदेश की सत्ता के गलियारे तक भी पहुंचने लगा है।

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सत्ता की रस्सी राजद के हाथों में जाने के बाद से बच्चा राय ने ये बड़ा दांव खेला था। उसने लालू की पार्टी के तीन नेताओं का नाम जोड़ दिया था ट्रस्टियों की सूची में। नये खुलासे से पता चला है कि बच्चा राय ने इस मामले का एफआइआर दर्ज होने के एक महीने पहले ही अपनी पत्नी, चचेरा भाई और उसकी पत्नी का नाम अपने ट्रस्ट के न्यासी सदस्यों की सूची से हटा दिया था।

नई सूची में इनके स्थान पर तीन स्थानीय नेताओं का नाम जोड़ दिया। जिसमें नगीना राय, राजवंशी राय और राजद नेता विशुनदेव राय शामिल हैं।

राजद के नेता हैं विशुनदेव राय

विशुनदेव राय लालू यादव की पार्टी राजद के पूर्व एमएलसी रहे हैं और वर्तमान में पार्टी के सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। नगीना राय और राजवंशी राय भी पार्टी से जुड़े बताये जाते हैं, लेकिन इनके पास पार्टी की कोई जिम्मेदारी नहीं है। ये तीनों नेता बच्चा राय के गांव किरतपुर (भगवानपुर, वैशाली) के पास के ही रहने वाले हैं।

ऐसे सामने आया मामला

बता दें कि यह टॉपर्स घोटाला तब सामने आया, जब एक हिन्दी न्यूज चैनल द्वारा आर्ट्स व साइंस टॉपर का इंटरव्यू किया गया। जिसमें इन छात्रों को बुनियादी जानकारी की कमी पायी गई। और, इसके बाद इस मामले में परत-परत दर खुलासा होते गया। घोटाले की परत खुलने का सिलसिला 31 मई, 2016 से शुरू हुआ था।

बदल दी गयी न्यासी सदस्यों की सूची

उल्लेखनीय है कि 21 जून, 2016 को इस मामले को लेकर एफआइआर दर्ज हुई थी, जबकि इससे करीब एक महीने पहले यानी 24 मई, 2016 को ही विशुन राय इंटर कॉलेज को संचालित करने वाले ट्रस्ट 'विशुन राय मेमोरियल एजुकेशनल एंड वेलफेयर ट्रस्ट' के न्यासी सदस्यों की सूची बदल दी गयी।

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ऐसा भी हो सकता है!

इस सूची से बच्चा ने अपने तीन परिवारवालों का नाम हटाकर इनके स्थान पर तीन नेताओं को शामिल कर लिया। इस सूची से तीन लोगों के नाम को हटाते हुए नया एफिडेविट (शपथ-पत्र) बनाया गया था। हालांकि, लिखित रूप से इसमें यह कहा गया कि यह तीनों सदस्य अपनी स्वेच्छा से पद छोड़ दिया है।

इसमें पूरे मामले का किंगपिन बच्चा राय की पत्नी, चचेरा भाई और भाई की पत्नी के नाम शामिल हैं। बताया जा रहा है कि इस ट्रस्ट के अंतर्गत विशुन राय इंटर कॉलेज के अलावा चार अन्य कॉलेज भी संचालित होते हैं।

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ट्रस्ट को चलाने के लिए कम से कम पांच सदस्यों की जरुरत

जानकारी के मुताबिक बच्चा राय ने अपने नये ट्रस्ट के गठन की जानकारी 26 मई को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को भी दी थी। पहले इस ट्रस्ट के न्यासी सदस्यों की सूची में आठ लोग थे, जो वर्तमान में घटकर पांच रह गये हैं। नियमानुसार, किसी ट्रस्ट को चलाने के लिए कम से कम पांच सदस्यों की जरुरत होती है।

चाचा-भतीजा ही चलाते हैं ट्रस्ट !

ट्रस्ट के वर्तमान पांच सदस्यों में राजदेव राय (मुख्य न्यासी, अध्यक्ष) और अमित कुमार (न्यासी सचिव, सचिव) भी शामिल हैं। इन दोनों के बीच खून का रिश्ता है। बताया जाता है ये दोनों सगे चाचा-भतीजा हैं। इनके अलावा तीन न्यासी सदस्य या सदस्य सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में शामिल हैं।

हालांकि, पेश किए गए दस्तावेज में इन सबका आपस में कोई रिलेशन नहीं बताया गया है। साथ ही, इसमें मौजूद तीन अन्य न्यासी सदस्य कहने के लिए तो जरूर सामाजिक कार्यकर्ता हैं, लेकिन इनका इस इलाके में अच्छी खासी पहचान और पकड़ होने के साथ-साथ इनके कई राजनेताओं के साथ काफी अच्छे संबंध भी बताये जाते हैं।

वहीं, विशुन राय कॉलेज की प्रबंधन कमेटी की सूची में 13 लोगों के नाम हैं, जिनमें ट्रस्ट के पांच न्यासी सदस्यों के नाम भी शामिल हैं व इनके अलावा आठ अन्य लोगों के नाम शामिल हैं।

जिनका नाम लिस्ट से हटाया गया

संगीता राय : पति- अमित कुमार उर्फ बच्चा राय

संगीता कुमार : पति- जितेन्द्र कुमार

जितेन्द्र कुमार : पिता- राजदेव राय

बहरहाल, अब इसे महज संयोग कहा जाये या पूर्वाभास कि मामले की एफआइआर दर्ज होने के ठीक एक महीने पहले ही न्यासी सदस्यों की सूची आनन-फानन में बदल दी गयी। हालांकि, इस मामले में यह भी आशंका जतायी जा रही है कि अपने परिवार के सदस्यों को बचाने के लिए बच्चा राय ने बैकडेट से एफिडेविट करवा कर पूरा खेल खेला हो। इस तथ्य की फिलहाल जांच चल रही है।

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