बड़ा फैसला, अब ग्राम कचहरी में भी होगी माता-पिता की अनदेखी की सुनवाई
बिहार सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। अब वृद्ध माता-पिता अपने वारिस की अनदेखी की शिकायत गांव में भी ग्राम कचहरी में कर सकते है। अब उन्हें कहीं और जाने की जरुरत नहीं।
पटना [भुवनेश्वर वात्स्यायन]। अपने वारिस की अनदेखी से त्रस्त माता-पिता अपनी शिकायत अब गांव में भी कर सकेंगे। शिकायत के लिए उन्हें अपने से संबद्ध एसडीओ के दफ्तर में आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। समाज कल्याण विभाग के अंतर्गत वृद्धों के लिए कार्यरत सीनियर सिटीजन काउंसिल की बोर्ड की बैठक ने इस आशय का फैसला लिया है। बैठक विभागीय मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित की गई थी ।
ग्राम कचहरी में ही होगी सुनवाई
वृद्ध माता-पिता की अनदेखी की शिकायत पर विधिक रूप से कार्रवाई का प्रावधान है। दस हजार रुपए तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। विधिक रूप से यह निर्देश दिए जाने का प्रावधान है कि वृद्ध दंपति का वारिस अपने मां-बाप की देखभाल के लिए आर्थिक व्यवस्था भी करें। ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में इस तरह की शिकायतें आने लगी हैैं कि मां-बाप को रामभरोसे छोड़कर पूरा परिवार शहर चल गया है।
समाज कल्याण विभाग की देखरेख में गठित सीनियर सिटीजन काउंसिल ने यह फैसला लिया है कि ऐसे मामले ग्राम कचहरी के स्तर पर भी सुने जाएंगे। सरपंच द्वारा आदेश जारी किया जा सकेगा। अभी तक ऐसे मामलों की सुनवाई का अधिकार अनुमंडलाधिकारी को है।
सिविल कोर्ट की जगह अब डीएम के स्तर पर की जा सकेगी अपील
समाज कल्याण विभाग ने वृद्ध जनों को अपनी देख-रेख के मामले में कोर्ट कचहरी जाने के झंझट से भी मुक्ति दिला दी है। वर्तमान में यह प्रावधान है कि रख रखाव के मामले में अगर वृद्ध जनों को एसडीओ कोर्ट से मदद नहीं मिलती है यानी उनके पक्ष में फैसला नहीं होता है तो वे सिविल कोर्ट में अपील कर सकते थे।
अब नए प्रावधान यह किए गए हैैं कि अगर किसी वृद्ध को एसडीओ कोर्ट के फैसले से संतुष्टि नहीं है तो वह डीएम के पास अपील कर सकेगा। डीएम के स्तर पर उसके मामले की सुनवाई होगी। कई मामलों में वृद्ध का कोई अपना पुत्र या पुत्री नहीं हो और उसकी संपत्ति का घोषित वारिस उनकी देख रेख में कोताही करें तो उसके खिलाफ विधिक कार्रवाई होगी।