हाथरस दुष्कर्म व हत्या मामले में प्रियंका गांधी पर सुशील मोदी का हमला, बोले- बंद कीजिए गंदी राजनीति
उत्तर प्रदेश के हाथरस दुष्कर्म व हत्या मामले में बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कांग्रेस व प्रियंका गांधी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस को राजस्थान बिहार व मुंबई की ऐसी घटनाओं पर भी अपना स्टैंड क्लियर करना चाहिए।
पटना, राज्य ब्यूरो। उत्तर प्रदेश (UP) के हाथरस दुष्कर्म व हत्या के मामले को लेकर विपक्ष याेगी आदित्यनाथ सरकार पर हमलावर है। इसपर बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी (Sushil Modi) ने प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) को निशाने पर लिया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस (Congress) की संवेदना का ज्वार घटना की गंभीरता नहीं, सत्ता का चेहरा और जाति-धर्म देख कर तय होता है। उत्तर प्रदेश की घटना पर शोर मचा रही कांग्रेस राजस्थान में नाबलिग बहनों से सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर चुप है तथा बिहार में उस राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के साथ है, जिसका एक विधायक दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहा है ताे दूसरा फरार चल रहा है।
सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर राजनीति कर रही कांग्रेस
अपने तंज भरे ट्वीट में सुशील मोदी ने सवाल किया है कि 18 वर्ष की बेटी की मां प्रियंका गांधी को महाराष्ट्र-राजस्थान में दुष्कर्म और हत्या की घटनाएं विचलित क्यों नहीं करतीं? उन्हें हाथरस के राजनीतिक पर्यटन पर जाने से पहले बिहार में उस राष्ट्रीय जनता दल के साथ नाता तोड़ना चाहिए, जिसका एक विधायक छात्रा से दुष्कर्म के मामले में विधानसभा की सदस्यता खो चुका है और दूसरा फरार चल रहा है। उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस यूपी में सामूहिक दुष्कर्म की घटना पर सिर्फ राजनीति कर रही है, जबकि वहां की योगी सरकार एसआइटी गठित कर पीडि़त परिवार को शीघ्र न्याय दिलाने में लगी है।
राजस्थान व मुबई की घटनाओं पर क्यों है चुप्पी
सुशील मोदी ने एक अन्य ट्वीट में लिखा कि कांग्रेस शासित राजस्थान में 10 दिन पहले दो नाबालिग बहनों के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ, लेकिन राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने घटना पर न बयान जारी किया और न ही अशोक गहलोत से बात की। उन्होंने आगे लिखा, महाराष्ट्र की राजधानी में बिहार के सुशांत सिंह राजपूत और उनकी मैनेजर दिशा सालियान की मृत्यु पर भी चुप्पी साध ली। जबकि, दिशा को सामूहिक दुष्कर्म के बाद 14 मंजिल से फेंक कर मारे जाने का संदेह है। कांग्रेस की संवेदना का ज्वार घटना की गंभीरता नहीं, सत्ता का चेहरा और पीडि़त का जाति-धर्म देख कर तय होता है।