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Bihar Lok Sabha Election Phase 6: भोजपुरी भाषियों पर पकड़ बना अहम फैक्‍टर, दांव पर NDA की साख

बिहार में लोकसभा चुनाव के पांच चरणों की वोटिंग हो चुकी है। अगले दो चरणों में भोजपुरी भाषियों पर पकड़ अहम फैक्‍टर होगा।

By Rajesh ThakurEdited By: Published: Sat, 11 May 2019 11:08 PM (IST)Updated: Sun, 12 May 2019 07:47 PM (IST)
Bihar Lok Sabha Election Phase 6: भोजपुरी भाषियों पर पकड़ बना अहम फैक्‍टर, दांव पर NDA की साख
Bihar Lok Sabha Election Phase 6: भोजपुरी भाषियों पर पकड़ बना अहम फैक्‍टर, दांव पर NDA की साख

पटना [राजेश ठाकुर]। बिहार में लोकसभा चुनाव के पांच चरणों की वोटिंग हो चुकी है। अगले दो चरणों में भोजपुरी भाषियों पर पकड़ अहम फैक्‍टर होगा। चुनाव के छठे व सातवें चरणों में जिन 16 सीटों पर मतदान होना है, उनमें 10 भोजपुरी भाषी क्षेत्र हैं। भोजपुरी सीटों में वाल्‍मीकिनगर, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, गोपालंगज, सिवान और महाराजगंज में चुनाव छठे चरण में है, तो सासाराम, आरा, काराकाट और बक्सर सीटों पर चुनाव सातवें चरण में है। खास बात यह कि इन सभी सीटों पर गत लोकसभा चुनाव में एनडीए के उम्मीदवार जीते थे। इन क्षेत्रों में इस बार महागठबंधन को खोने के लिए कुछ नहीं है, जो सीटें मिल जाए, वह बोनस ही होगा। और हां, इन क्षेत्रों में नेताजी भोजपुरी में भी भाषण देने से नहीं चुकते हैं।  

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वाल्‍मीकिनगर 

वाल्मीकिनगर में भोजपुरी भाषा इलाके का प्रमुख लोकसभा क्षेत्र है। यहां से 2014 में मोदी लहर में सतीश चंद्र दूबे भाजपा के टिकट पर चुनाव जीते थे। उस समय जदयू के वैद्यनाथ प्रसाद महतो तीसरे नंबर पर रहे थे। लेकिन इस बार समीकरण बदल गया है। यह सीट एनडीए के तहत जदयू के खाते में चली गई है। जदयू ने वैद्यनाथ महतो पर ही भरोसा जताया है। महतो का मुकाबला कांग्रेस प्रत्‍याशी शाश्वत केदार से है। यहां सीधा मुकाबला है। शाश्‍वत के दादा केदार पांडेय बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। शुरू में सतीश चंद्र नाराज चल रहे थे, लेकिन बाद में वे मान गए हैं।  

पूर्वी चंपारण 

पूर्वी चंपारण भी भोजपुरी भाषी क्षेत्रों में एक है। यहां से 2014 में राधामोहन सिंह ने जीत दर्ज की थी और पांचवीं बार सांसद बने थे। एक बार फिर भाजपा ने राधामोहन सिंह पर भरोसा कर अपना उम्‍मीदवार बनाया है। उनका मुकाबला पहली बार चुनाव लड़ रहे आकाश कुमार सिंह से है। पूर्व केंद्रीय मंत्री अखिलेश सिंह के बेटे हैं आकाश सिंह। आकाश महागठबंधन के तहत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक समता पार्टी (रालोसपा) के टिकट पर लड़ रहे हैं। यहां भी आमने-सामने का मुकाबला है। 

पश्चिमी चंपारण 

भोजपुरी इलाकों में पश्चिमी चंपारण भी बहुत महत्वपूर्ण सीट है। पश्चिमी चंपारण सीट पर लड़ाई साफ है। दो बार सांसद बने एनडीए प्रत्याशी डॉ. संजय जायसवाल हैट्रिक लगाने को बेताब हैं, जबकि महागठबंधन की ओर से रालोसपा के टिकट पर मैदान में आए बृजेश कुमार कुशवाहा के लिए यह पहली लड़ाई है। नेपाल और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे पश्चिम चंपारण लोकसभा क्षेत्र में कोई तीसरा कोण नहीं है। 23 मई को ही पता चलेगा कि कौन कितना दम लगाया! 

गोपालंगज 

गोपालगंज में एनडीए और महागठबंधन, दोनों के उम्मीदवार नए हैं। इस सीट से 2014 में भाजपा उम्‍मीदवार जनक राम की जीत हुई थी। लेकिन इस बार यह सीट एनडीए के तहत जदयू के खाते में चली गई। दोनों प्रत्याशी नए हैं। जदयू के आलोक कुमार सुमन और राजद के सुरेंद्र राम के बीच आमने-सामने की लड़ाई है। जहां जरूरत पड़ती है दोनों नेता भोजपुरी में ही वोट मांगते नजर आए। 

सिवान 

सिवान में इस बार सीधी लड़ाई है। यहां से महागठबंधन के तहत राजद ने शहाबुद्दीन की पत्‍नी हिना शहाब को टिकट दिया है। हालांकि हिना शहाब 2009 तथा 2014 में भाजपा के ओमप्रकाश यादव से हार चुकी हैं। वे तीसरी बार फिर से अपनी किस्‍मत आजमा रही हैं। लेकिन इस बार भाजपा ने ओमप्रकाश यादव का टिकट काट दिया है। सिवान से एनडीए की ओर से जदयू ने अपना उम्‍मीदवार कविता सिंह को उतारा है। यहां छठे चरण में वोटिंग होगी। वहीं 23 मई को ही पता चलेगा कि एनडीए की साख बची या इस बार महागठबंधन की किस्‍मत चमकी।   

महाराजगंज 

भोजपुरी क्षेत्रों में महाराजगंज सीट भी काफी महत्‍वपूर्ण है। 2014 के चुनाव में यहां से भाजपा उम्‍मीदवार जर्नादन सिंह सिग्रीवाल ने कब्‍जा जमाया था। इस बार भी भाजपा ने सिग्रीवाल पर ही कब्‍जा जमाया है। 2009 में इस सीट पर राजद ने कब्‍जा जमाया था। तब यहां से उमाशंकर सिंह जीते थे। उनके निधन के बाद 2013 में हुए उपचुनाव में इलाके के कद्दावर नेता प्रभुनाथ सिंह राजद के टिकट पर जीते थे। लेकिन प्रभुनाथ सिंह हत्‍या मामले में सजायाफ्ता होने के कारण हजारीबाग जेल में बंद हैं और उनकी जगह पर बेटे रंधीर सिंह किस्‍मत आजमा रहे हैं। 23 मई को ही पता चलेगा कि वे भाजपा की झोली से इस सीट को निकाल पाए या नहीं। 

सासाराम 

सासाराम भी महत्वपूर्ण सीट है। यहां से बाबू जगजीवन राम आठ बार सांसद बने हैं। इस बार उनकी बेटी मीरा कुमार यहां से कांग्रेस के टिकट पर चौथी बार किस्मत आजमा रही हैं। इसके पहले मीरा कुमार यहां से 2004 और 2009 में चुनाव जीत चुकी हैं, जबकि 2014 में वे मोदी लहर में हार गयीं। उन्हें भाजपा के उम्मीदवार छेदी पासवान ने हराया। इस बार दोनों के बीच प्रतिष्ठा और हैट्रिक की लड़ाई है।

आरा 

आरा का चुनाव सातवें चरण में है। आरा से 2014 में चुनाव जीते भाजपा उम्मीदवार आरके सिंह फिर से यहां से किस्मत आजमा रहे हैं। यहां से उनका मुकाबला सीपीआई माले के राजू यादव से है। माले उम्मीदवार राजू यादव को राजद कोटे से टिकट दिया गया है और महागठबंधन का समर्थन प्राप्त है। देखना दिलचस्प होगा कि भोजपुरी भाषी वाले इस इलाके में आरके सिंह कुर्सी को बरकरार रख पाते हैं या राजू यादव का सिक्का चलता है।  

काराकाट 

काराकाट संसदीय क्षेत्र 2009 में अस्तित्व में आया। यह क्षेत्र चावल उत्पादन के लिए जाना जाता है। 2014 के चुनाव में एनडीए के घटक रहे रालोसपा अध्‍यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने राजद प्रत्याशी व पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह को शिकस्त देकर जीत दर्ज की थी। लेकिन इस बार समीकरण बदल गया है। वे अब महागठबंधन खेमे में हैं और रालोसपा से लड़ रहे हैं। इस बार उनका मुकाबला जदयू के महाबली सिंह से है। 

बक्सर 

भोजपुरी भाषी इलाकों में बक्‍सर सीट भी काफी महत्‍वपूर्ण है। यहां से 2014 में मोदी लहर में भागलपुर के विधायक रह चुके अश्विनी चौबे ने किस्‍मत आजमायी और वे जीत भी गये। उन्‍हें केंद्रीय मंत्री बनाया गया। एक बार फिर वे मैदान में आ गए हैं। इस बार उनका मुकाबला राजद के जगदानंद सिंह है। जगदानंद सिंह भी इस इलाके में कद्दावर नेता माने जाते हैं। मुकाबला आमने-सामने का है। देखना दिल्‍चस्‍प होगा कि जनता किसके साथ जाती है। 23 मई को ही इसका पता चलेगा।

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