औपनिवेशिक भारतीय इतिहास लेखन के बड़े स्तंभ थे बीबी मिश्रा
डॉ. बीबी मिश्र भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के निदेशक थे
पटना। डॉ. बीबी मिश्र भारतीय लोक प्रशासन संस्थान के निदेशक थे। वे काफी समय तक दिल्ली विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष रहे। उनकी विद्वता का सम्मान करते हुए बिहार सरकार की ओर से उन्हें भागलपुर विश्वविद्यालय का कुलपति बनाया गया। रूढि़वादी परिवार में जन्म लेने के बाद भी वे रूढि़वाद के सख्त खिलाफ रहे। ये बातें गुरुवार को मंत्रिमंडल सचिवालय विभाग, बिहार राज्य अभिलेखागार निदेशालय पटना की ओर से आयोजित वेबिनार के दौरान निदेशालय के निदेशक डॉ. महेंद्र पाल ने कहीं।
डॉ. बीबी मिश्रा स्मृति व्याख्यान के तहत 'मानव अधिकारों और अवधारणा' विषय पर अतिथियों ने अपने विचार दिए। डॉ. प्रमोदानंद दास ने बताया कि बीबी मिश्रा का शोध कार्य 'ईस्ट इंडिया कंपनी का न्यायिक प्रशासन' मुख्य रूप से अभिलेखागर के स्रोतों पर आधारित है। वे नव औपनिवेशिक भारतीय इतिहास लेखन के एक बड़े स्तंभ थे। उन्होंने भारत की राजनीति, सामाजिक, प्रशासनिक एवं न्यायिक व्यवस्था पर महत्वपूर्ण शोध कार्य किए। उनकी प्रमुख पुस्तकों में 'द इंडियन मिडिल क्लासेस, ब्यूरोक्रेसी इन इंडिया, द इंडियन पॉलिटिकल पार्टी आदि प्रमुख है। ललित नारायण्ण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. रत्नेश्वर मिश्र ने कहा कि समाज में मानव अधिकारों को समझना जरूरी है। सभी पौराणिक ग्रंथों में मानव अधिकारों की चर्चा किसी न किसी रूप में अवश्य हुई है। पटना विवि के इतिहास विभागाध्यक्ष प्रो. डॉ. डेजी बनर्जी ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद मानव अधिकारों के सृजन और भारत के संविधान में भी मानव अधिकारों को स्थान दिए जाने को लेकर चर्चा की। उन्होंने कहा कि मानव होने के नाते हमारे पास मानव अधिकार है, जिसमें हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं हो सकती। मानव अधिकारों के हनन के मामले विशेष रूप से महिलाओं एवं बच्चों के संदर्भ में मिलते हैं। इन पर अंकुश लगाना जनतंत्र के लिए जरूरी है।