Move to Jagran APP

सत्‍ता संग्राम: पटना सहिब के पिच पर शत्रुघ्‍न सिन्‍हा ही मुख्‍य बल्‍लेबाज, पर तय नहीं टीम

आगामी लोकसभा चुनाव में पटना साहिब सीट पर मुख्‍य प्‍लेयर शत्रुघ्‍न सिन्‍हा ही होंगे। चुनावी पिच पर उनकी बल्‍लेबाजी तय है। हां, वे किस टीम से खेलेंगे, इसपर कयासबाजी जारी है।

By Amit AlokEdited By: Published: Wed, 25 Jul 2018 09:01 AM (IST)Updated: Wed, 25 Jul 2018 10:29 PM (IST)
सत्‍ता संग्राम: पटना सहिब के पिच पर शत्रुघ्‍न सिन्‍हा ही मुख्‍य बल्‍लेबाज, पर तय नहीं टीम
सत्‍ता संग्राम: पटना सहिब के पिच पर शत्रुघ्‍न सिन्‍हा ही मुख्‍य बल्‍लेबाज, पर तय नहीं टीम

पटना [अरविंद शर्मा]। पटना साहिब संसदीय क्षेत्र की सारी चर्चाएं और संभावनाएं जहां से शुरू होती हैं, वहीं आकर खत्म भी होती हैं। बड़ा सवाल है कि आए दिन पीएम मोदी की नीतियों की अालोचना करते रहे बिहारी बाबू (शत्रुघ्‍न सिन्‍हा) अगली बार किस तरफ से बैटिंग करेंगे, निशाना किधर होगा और गेंद किस तरफ जाएगी? फील्ड में उनके सवा चार वर्षों का प्रदर्शन अपनी ही पार्टी पर भारी पड़ा है। फिर भी वह सुकून में हैं तो इसका जरूर कोई संकेत है। वरना इतने ही जुर्म में कीर्ति झा आजाद को निलंबित कर दिया गया है। साफ है, शत्रु जबतक भाजपा के साथ खड़े हैं, तबतक राजग में कोई भी सिर्फ दावा ही कर सकता है।

loksabha election banner

इनकी भी है दावेदारी

कायस्थों और वैश्यों की बहुलता वाले इस क्षेत्र के लिए भाजपा की ओर से सबसे बड़े दावेदार केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद हैं। उनके पिता ठाकुर प्रसाद का भाजपा से पुराना रिश्ता था। पटना पश्चिम से विधायक चुने जाते थे। पुत्र का दावा स्वाभाविक है। शत्रुघ्न सिन्हा के डबल रोल से उनके सपने को पंख लगते दिख रहे हैं।

हालांकि, रविशंकर की दावेदारी में सबसे बड़ी बाधा उनकी राज्यसभा सदस्यता है। अभी पांच साल का कार्यकाल बाकी है। नेतृत्व विचार नहीं भी कर सकता है। ऐसे में सांसद आरके सिन्हा के पुत्र ऋतुराज की लॉटरी भी खुल सकती है। पिता का प्रताप काम आ सकता है। वैसे, विधायक नितिन नवीन, अरुण सिन्हा और विधान पार्षद संजय मयूख को भी चमत्कार का इंतजार है। ऊंट किसी भी करवट बैठ सकता है।

राजग में अन्य किसी दल का दावा मजबूत नहीं है। फिर भी जदयू के रणवीर नंदन और अजय आलोक को भी प्रतीक्षा है। अजय के पिता गोपाल प्रसाद पिछली बार खुद को जदयू से आजमा भी चुके हैं।

महागठबंधन भी गुणा-गणित कर रहा है। राजद की नजर में भी भाजपा वाले शत्रुघ्न सिन्हा ही सुपर स्टार हैं। मनेर निवासी पूर्व मंत्री बुद्धदेव यादव के पुत्र कुणाल सिंह पिछली बार कांग्रेस के टिकट पर शत्रुघ्न के सामने आए थे, किंतु कुछ कर नहीं पाए। दोबारा चांस मिलने में संदेह है।

शत्रुघ्न अगर भाजपा से बेटिकट नहीं हुए तो राजद की ओर से तैलिक साहू समाज के प्रदेश अध्यक्ष रणविजय साहू का नाम भी बढ़ सकता है। रणविजय पिछले 15 वर्षों से राजद से जुड़े हैं। उन्हें तेजस्वी यादव का करीबी माना जाता है।

बहरहाल, तमाम कयासों के बीच पटना साहिब में सिर्फ इतना तय माना जा सकता है कि 2014 की तरह 2019 में भी चुनावी पिच पर शत्रुघ्न सिन्हा ही बैट्समैन होंगे, लेकिन किस टीम की तरफ से खेलेंगे, यही तय नहीं है। फिलहाल बिहारी बाबू दोनों तरफ से खेल रहे हैं। गोल अपने खेमे में मार रहे हैं, तालियां दूसरे खेमे से बटोर रहे हैं।

अतीत की राजनीति

यह क्षेत्र शुरू से कांग्रेस, भाकपा और भाजपा का गढ़ रहा है। पहले सांसद थे सारंगधर सिन्हा। 1962 में रामदुलारी सिन्हा ने कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया था। तीन बार भाकपा के रामवतार शास्त्री सांसद हुए। इंदिरा विरोधी लहर में 1977 में यहां से लोकदल के महामाया प्रसाद सिन्हा को रिकार्ड 77 फीसद वोट मिला था। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी सीपीआइ के रामावतार शास्त्री को महज 12 फीसद से ही संतोष करना पड़ा था। सीपी ठाकुर ने एक बार कांग्रेस और दो बार भाजपा के लिए इसे जीता।

एक बार शैलेंद्र नाथ श्रीवास्तव का पराक्रम भी काम आया। रामकृपाल यादव भी तीन बार राजद के टिकट पर सांसद बने। परिसीमन के बाद से शत्रुघ्न सिन्हा का कब्जा है।

2014 के महारथी और वोट

शत्रुघ्न सिन्हा : भाजपा : 4,85,905

कुणाल सिंह : कांग्रेस : 2,20,100

गोपाल प्रसाद सिन्हा : जदयू : 91,024

विधानसभा क्षेत्र

बख्तियारपुर (भाजपा), दीघा (भाजपा), बांकीपुर (भाजपा), कुम्हरार (भाजपा), पटना साहिब (भाजपा), फतुहा (राजद)


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.