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देखरेख के अभाव में पटना म्यूजियम की धरोहर हो रही खराब, गल रहा जानवरों का चमड़ा Patna News

पटना म्यूजियम की हालत खराब हो गई है। देखरेख के अभाव में म्यूजियम में रखी गई धरोहर बर्बाद हो रही है। देखें क्या हो गया है म्यूजियम का हाल।

By Edited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 09:50 AM (IST)
देखरेख के अभाव में पटना म्यूजियम की धरोहर हो रही खराब, गल रहा जानवरों का चमड़ा Patna News
देखरेख के अभाव में पटना म्यूजियम की धरोहर हो रही खराब, गल रहा जानवरों का चमड़ा Patna News

अंकिता भारद्वाज, पटना। पटना म्यूजियम की नेचुरल हिस्ट्री गैलरी का बुरा हाल है। देखरेख के अभाव में म्यूजियम में रखी गई धरोहर बर्बाद हो रही है। इस गैलरी में प्रमुख तौर पर जीव-जंतुओं की ममी बनाकर संरक्षित की गई है। गैलरी की स्थापना 1930 में यहां आने वाले पर्यटकों को जैव विविधता की जानकारी देने के लिए की गई थी। यहां बहुत से ऐसे जानवरों की ममी को सुरक्षित रखा गया है, जिनकी तादाद लगातार कम हो रही है।


इसे इस तरह से तैयार किया गया था कि जानवर देखने में बिल्कुल असली लगते हैं। म्यूजियम की नेचुरल हिस्ट्री गैलरी में मगरमच्छ, बंदर, चिंपैंजी, बारहसिंघा, जंगली भैंसा, शेर, बाघ, मोर, हंस जैसे जानवरों के साथ ही गौरैया और कोयल जैसे पक्षी तो दिखते ही हैं, तितली की ममी बनाकर भी यहां संरक्षित की गई है। इन्हें बनाने के लिए विशेष प्रक्रिया और रसायनों का इस्तेमाल किया गया है। इनको लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए भी विशेष देखभाल की जरूरत पड़ती है। जानवरों की ममी को संरक्षित करने के लिए इनकी नियमित सफाई और रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है।


गल रहा जानवरों का चमड़ा
मौजूदा स्थिति यह है कि यहां संरक्षित जानवरों की ममियां खराब होने लगी हैं। कुछ की हालत तो ऐसी हो गई है कि अगर जल्द उनके देखभाल की व्यवस्था नहीं की गई तो वो देखने लायक भी नहीं रहेंगी। वातावरण में नमी के कारण जानवरों का चमड़ा खराब होते जा रहा है। कुछ का चमड़ा तो गलने भी शुरू हो चुका है।

सफेद हो रहा चील का पंख, गल रहा बंदर का हाथ
समय की मार मगरमच्छ से लेकर चील तक पर पड़ रही है। चील का पंख नीचे से सफेद होना शुरू हो गया है तो वही मगरमच्छ का चमड़ा भी रूखड़ा हो रहा है। शेर के चमड़े में अब चमक नहीं रह गई है। वही कई चिड़ियों के पंख भी सफेद हो रहे हैं। म्यूजियम में रखे चूहे और तितली का भी यही हाल है। बंदर का हाथ गल रहा है। हंस का गला भी गलने की स्थिति में है।



देखभाल के लिए अलग विभाग
यह हाल तब है जब इनकी देखभाल के लिए पटना म्यूजियम में अलग से एक विभाग बनाया गया है। हर छह महीने पर इन जानवरों की ममी को विशेष केमिकल की मदद से सुरक्षित किया जाता है। वातावरण की नमी के कारण उनके चमड़े जल्दी खराब नहीं हों और इनकी चमक भी बनी रहे, इसके लिए इनके बॉक्स में सिलिका जेल रखा जाता है।


जरूरी रसायन भी नहीं उपलब्ध
म्यूजियम से जुड़े सूत्रों की मानें तो नेचुरल हिस्ट्री गैलरी की देखरेख के लिए समुचित व्यवस्था नहीं है। इसके लिए अलग विभाग तो है, लेकिन विशेषज्ञ नहीं है। जानवरों की ममी को संरक्षित रखने के लिए जरूरी रसायन की भी यहां कमी है। हालांकि अधिकारी इस बात को स्वीकार नहीं करते।


 

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लखनऊ की टीम के साथ म्यूजियम का हुआ समझौता
नेचुरल हिस्ट्री गैलरी की देखरेख के लिए लखनऊ की एलआरएलसी टीम और पटना म्यूजियम के बीच समझौता हुआ है। म्यूजियम के अधिकारियों का कहना है कि अगस्त महीने के अंतिम हफ्ते से चयनित एजेंसी अपना काम शुरू कर देगी।

जल्द स्थिति होगी बेहतर
पटना म्यूजियम के निदेशक विमल तिवारी ने कहा कि म्यूजियम में रसायन सहायक की बहाली कर ली गई है। अब नेचुरल हिस्ट्री गैलरी में रखे सामान को अच्छे तरीके से रखा जा सकेगा। हाल के दिनों में ही एक बार इनकी सफाई की गई है, जिससे बाद हालत में थोड़ा सुधार भी हुआ है।


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