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मुगल बादशाह औरंगजेब ने तैयार कराया था हिंदी का पहला शब्‍दकोष, पटना की खुदाबख्‍श लाइब्रेरी में ऐसी ढेरों नायाब किताबें

पटना की खुदाबख्‍श लाइब्रेरी नायाब किताबों का अनूठा ठिकाना है। यहां आपको हिंदी की पहली डिक्‍शनरी मिल जाएगी जिसे औरंगजेब ने बेटे को हिंदी सिखाने के लिए तैयार कराया था 1674 ईस्वी में तैयार करायी थी हिंदी डिक्शनरी

By Shubh Narayan PathakEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 07:40 AM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 07:40 AM (IST)
मुगल बादशाह औरंगजेब ने तैयार कराया था हिंदी का पहला शब्‍दकोष, पटना की खुदाबख्‍श लाइब्रेरी में ऐसी ढेरों नायाब किताबें
पटना की खुदाबख्‍श लाइब्रेरी में ढेरों नायाब किताबें। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। देश के राष्ट्रीय पुस्तकालयों में शुमार खुदाबख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी  प्राचीन पांडुलिपियों और दस्तावेजों के विशाल संग्रह के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है। लाइब्रेरी इस्लामी एवं भारतीय विद्या-संस्कृति के संदर्भ का प्रमुख केंद्र है। लाइब्रेरी में कई दुर्लभ पांडुलिपियों में एक पांडुलिपि औरंगजेब के शासन काल की भी है। इसे हिंदी की पहली डिक्शनरी होने का गौरव प्राप्त है। लाइब्रेरी की निदेशक डा. शाइस्ता बेदार की मानें तो मुगल शासक औरंगजेब को अपनी मातृभूमि की एक-एक चीज से प्रेम था। उसने अपने बेटे को भारत की भाषा और संस्कृति से अवगत कराने के लिए अपने दरबार में गुरु की नियुक्ति की थी। गुरु मिर्जा खान बिन फखरुद्दीन मोहम्मद ने भारतीय भाषा और संस्कृति के गहन अध्ययन के बाद औरंगजेब के आदेशानुसार हिंदी डिक्शनरी तैयार की थी।

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लाइब्रेरी की निदेशक बताती है कि औरंगजेब द्वारा हिंदी की यह डिक्शनरी वर्ष 1674 में तैयार की गई थी। इसकी पांडुलिपियां लाइब्रेरी में सुरक्षित रखी थीं। इन पांडुलिपियों में हिंदी शब्दकोश के साथ फारसी का भी जिक्र किया गया है, जिससे औरंगजेब के बेटे को हिंदी के साथ अपनी भाषा फारसी को भी समझने में आसानी हो सके। दुर्लभ पांडुलिपियों को लाइब्रेरी की ओर से पुस्तक के रूप में तैयार कर इसी वर्ष 2021 में प्रकाशित की गई है।

डिक्शनरी में हिंदी -फारसी में बताया गया अर्थ

इस दुर्लभ शब्दकोश में हिंदी के 3,162 शब्द है। इसमें फारसी में भी शब्दों का अर्थ बयां किया गया है। निदेशक ने बताया कि यह शब्दकोष काफी खास है। इसे लोग देखने आते हैं। लाइब्रेरी की ओर से लगने वाली प्रदर्शनी में इसका खास महत्व है।

हिंदू धर्म बयां करती शाद अजीमाबादी की पुस्तक

लाइब्रेरी की तरफ से शाद अजीमाबादी की पांडुलिपियों को पुस्तक के रूप में तैयार कराया गया है। अजीमाबादी की पुस्तक 'हिंदू धर्म बिहार में' में एक मुस्लिम लेखक व कवि ने हिंदू धर्म की महत्ता को बखूबी लिखा है। पुस्तक में 1846-1927 तक की बात कही गई है। लाइब्रेरी की ओर से इसे उर्दू में प्रकाशित किया गया है। जल्द ही इसे हिंदी में भी प्रकाशित किया जाएगा।


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