अटल बिहारी वाजपेयी ने मैथिली को दिलाया सम्मान, हेमा मालिनी के रहे फैन; ये हैं बिहार से जुड़ीं खास यादें
Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज जयंती है। उन्होंने बिहार की मैथिली भाषा को सम्मान दिया तो कोसी महासेतु के निर्माण का भी बड़ा फैसला किया। हेमा मालिनी के फैन रहे वाजपेयी पटना में खूब फिल्में देखते थे। जानिए बिहार से जुड़ी उनकी यादें।
पटना, आनलाइन डेस्क। Atal Bihari Vajpayee Birth Anniversary: आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Atal Bihari Vajpayee) को उनकी जयंती पर देश श्रद्धांजलि दे रहा है। बिहार से उनका गहरा लगाव रहा। वाजपेयी ने ही प्रधानमंत्री रहते दिसंबर 2003 में बिहार की मैथिली (Maithili) भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची (Eight Schedule of Constitution) में शामिल कराया था। साल 1934 के विनाशकारी भूकंप के दाैरान मिथिलांचल के दरभंगा व मधुबनी तथा सहरसा व सुपौल दो भागों में बंट गए थे। वाजपेयी ने इन दो भागों को जोड़ने के लिए कोसी महासेतु (Koshi Mahasetu) के निर्माण का फैसला लिया था। उन्होंने ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) नेता शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) को बालीवुड (Bollywood) में जाने से रोककर राजनीति में जगह दी थी तो सुशील मोदी ( Sushil Modi) को राजनीति में आने का आफर दिया था। कम लोग ही जानते होंगे कि वाजपेयी बालीवुड की ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी (Hema Malini) और ट्रेजडी किंग दिलीप कुमार (Dilip Kumar) के जबरदस्त फैन थे। वाजपेयी अक्सर पटना आकर यहां के एक खास सिनेमा हाल में फिल्में देखते थे। आइए जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री की बिहार से जुड़ी कुछ खास यादें।
मैथिली को दिया संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान
अटल बिहारी वाजपेयी ने दिसंबर 2003 में बिहार की मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने का फैसला लिया। बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर (Karpoori Thakur) और डा. जगन्नाथ मिश्र (Dr. Jagannath Mishra) द्वारा भेजा गया यह प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास करीब 23 सालों से लंबित पड़ा था। बतौर प्रधानमंत्री वाजपेयी ने बिहार के मिथिलांचल (Mithilanchal) की जन भावना काे ध्यान में रखते हुए इसपर बड़ा फैसला किया।
कोसी महासेतु से मिथिलांचल को जोड़ने का फैसला
बात मिथिलांचल की हो रही है तो वाजपेयी ने इस इलाके के लिए एक और बड़ा फैसला किया। साल 1934 में बिहार में आए विनाशकारी भूकंप के दाैरान मिथिलांचल के दरभंगा व मधुबनी और सहरसा व सुपौल दो अलग-अलग भौगोलिक भागों में बंट गए थे। इससे दोनों इलाकों में आवागमन कठिन हो गया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद वाजपेयी ने मिथिलांचल के दो भागों के बीच आवागमन सुगम करने के लिए कोसी महासेतु (Koshi Mahasetu) के निर्माण का बड़ा फैसला लिया। बाद में इसके निर्माण के साथ अब मिथिलांचल का एकीकरण हो चुका है। ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर (East-West Corridor) के तहत बनी फोरलेन सड़क ने विकास के रास्ते भी खोले हैं।
बालीवुड में रोक दी थी शाहनवाज हुसैन ने एंट्री
बिहार के शाहनवाज हुसैन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे थे। फिलहाल वे बिहार की नीतीश कुमार सरकार में मंत्री हैं। लोकसभा टीवी चैनल के साथ बातचीत में एक बार शाहनवाज हुसैन ने बताया था कि केंद्रीय मंत्री रहने के दौरान उन्हकें बालीवुड में बतौर हीरो अवसर मिल रहा था। उन्होंने प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से इस बाबत मशविरा किया था। तब शाहनवाज ने बताया था कि वाजपेयी ने उन्हें पहले ठीक से देखा, फिर कहा कि वे फिल्मों की बात रहने दें, वे राजनीति में ही बेहतर हैं। इसके बाद शाहनवाज ने बालीवुड में नहीं जाने का फैसला किया।
सुशील मोदी को राजनीति में आने का आफर
वाजपेयी 13 अप्रैल 1986 को बीजेपी के राज्यसभा सांसद व तत्कालीन छात्र नेता सुशील कुमार मोदी की शादी में पटना आए थे। सुशील मोदी ने बताया था कि तब वाजपेयी ने उन्हें सक्रिय राजनीति में आने का आफर दिया था। वाजपेयी ने इसके अलावा एक बार बीजेपी नेता नंदकिशोर यादव (Nand Kishore Yadav) को भी परिश्रम करने और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन दिया था। उस वक्त नंदकिशोर यादव पटना के डिप्टी मेयर व बीजेपी के जिलाध्यक्ष थे।
बिहार में बक्सर से शुरू करते थे चुनाव प्रचार
अटल बिहारी वाजपेयी बिहार में अपना चुनाव प्रचार बक्सर से आरंभ करते थे। वह वाजपेयी के करीबी माने जाने वाले लालमुनि चौबे (Lal Muni Chaubey) का लोकसभा क्षेत्र था। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे (Ashwini Chaubey) के अनुसार वाजपेयी को भागलपुर की रेशमी शाल बेहद पसंद थी। उन्होंने बिहार में अपना अंतिम चुनाव प्रचार भागलपुर में उनके लिए किया था।
हेमा मालिनी व दिलीप कुमार के रहे बड़े फैन
कम लोग ही जानते होंगे कि वाजपेयी बालीवुड की ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी की फिल्में खूब देखते थे। खुद हेमा मालिनी ने एक कार्यक्रम में बताया था कि वाजपेयी ने 1972 में रिलीज उनकी फिल्म 'सीता और गीता' 25 बार देखी थी। अभिनेताओं में वे दिलीप कुमार के फैन थे। पटना के अशोक सिनेमा हाल के मालिक बऊआ जी से उनके मधुर संबंध रहे। पटना आने पर वे उसी हाल में सिनेमा देखते थे।