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घूसखोरी में गिरफ्तार लोकसेवकों का स्पीडी ट्रायल कराएगी सरकार

राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी 'जीरो टॉलरेंस' की नीति को और अधिक धार देने की तैयारी में है। आर्म्स एक्ट की तर्ज पर अब निगरानी ब्यूरो के हत्थे चढ़े भ्रष्ट लोकसेवकों का स्पीडी ट्रायल कराकर सरकार उन्हें सजा दिलाने की कवायद में तेजी लाने वाली है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2016 10:45 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2016 10:57 AM (IST)
घूसखोरी में गिरफ्तार लोकसेवकों का स्पीडी ट्रायल कराएगी सरकार

पटना। राज्य सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी 'जीरो टॉलरेंस' की नीति को और अधिक धार देने की तैयारी में है। आर्म्स एक्ट की तर्ज पर अब निगरानी ब्यूरो के हत्थे चढ़े भ्रष्ट लोकसेवकों का स्पीडी ट्रायल कराकर सरकार उन्हें सजा दिलाने की कवायद में तेजी लाने वाली है। विधि विभाग को पत्र लिखकर इसकी तैयारी करने का निगरानी विभाग आग्रह करेगा।

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पिछले 10 वर्षों के दौरान ही राज्य में रिश्वत लेते करीब साढ़े छह सौ से अधिक लोकसेवकों को गिरफ्तार किया जा चुका है, लेकिन उन्हें न्यायालय से सजा दिलाने के मोर्चे पर कोई खास कामयाबी नहीं मिल रही है।

राज्य में निगरानी की विशेष अदालतों की संख्या में भी बढ़ोतरी कर दी गई है, परंतु निगरानी की इन 10 विशेष अदालतों में से केवल तीन विशेष अदालत ही अभी काम कर रहे हैं और बाकी के शेष सात विशेष अदालतों में निगरानी के विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति नहीं की गई है। ऐसे में भ्रष्टाचार संबंधी मामलों की सुनवाई की गति काफी धीमी हो गई है।

बता दें कि पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार निगरानी विभाग की समीक्षा कर रहे थे, तभी उन्होंने विभाग के पदाधिकारियों को निर्देश दिया था कि भ्रष्टाचार के मामले में चल रही कार्रवाई में तेजी लाई जाए। मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद निगरानी विभाग ने भ्रष्ट लोकसेवकों को सजा दिलाने के मोर्चे को मजबूती देने की कवायद शुरू कर दी है।

निगरानी विभाग से जुड़े सूत्र बताते हैं कि ट्रैपिंग के मामलों में भ्रष्ट लोकसेवकों को सजा दिलाने का काम विभाग के लिए उतना ही सरल है, जितना आम्र्स एक्ट के मामलों में अवैध हथियार रखने वालों को। दरअसल, ट्रैपिंग के मामलों में गवाहों की भूमिका काफी सीमित होती है।

ऐसे मामलों में पहला गवाह तो खुद शिकायतकर्ता होता है, जबकि बाकी के गवाह निगरानी अन्वेषण ब्यूरो के ही अधिकारी और कर्मचारी होते हैं। अगर इन मामलों की स्पीडी ट्रायल शुरू होती है तो चंद महीने में ही सैकड़ों भ्रष्ट लोकसेवकों को सजा दिलाई जा सकती है।

निगरानी विभाग ने विधि विभाग को पत्र लिखकर ट्रैपिंग के मामलों में यथाशीघ्र कार्रवाई शुरू करने का आग्रह किया है। विधि विभाग से यह भी आग्रह किया गया है कि वह राज्य सरकार की तरफ से पटना हाईकोर्ट से गुजारिश करे कि ट्रैपिंग मामलों में स्पीडी ट्रायल शुरू करने के लिए निगरानी की उन सभी सात विशेष अदालतों में विशेष न्यायाधीश की नियुक्ति की कार्यवाही तेज की जाए।


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