रिजल्ट घोटाला : गिरफ्तार फर्जी टॉपर राहुल कुमार ने किए आश्चर्यजनक खुलासे
रिजल्ट घोटाले में गिरफ्तार फर्जी टॉपर राहुल कुमार ने घोटाले का पर्दाफाश किया है। उसने कई एेसी बातें बताईं जिसे इस घोटाले के कई और परत भी खुलकर सामने आए हैं।
पटना [वेब डेस्क]। रिजल्ट घोटाले में बुधवार को गिरफ्तार किए गए इंटर साइंस के थर्ड टॉपर राहुल कुमार ने खुलासा किया है कि उसे साइंस टॉपर बनाने के लिए उसने खुद विशुनराय कॉलेज के डायरेक्टर बच्चा राय ने पांच लाख रूपये की मांग की थी लेकिन जब उसने कहा कि टॉपर नहीं बनना, मुझे टॉप 20 में जगह चाहिए, जिसके बाद 2.5 लाख रुपये में सौदा तय हुआ।
बुधवार को एसआइ टी की टीम ने राहुल कुमार को वैशाली से गिरफ्तार किया था। पटना लाकर उससे गहन पूछताछ की गई, जिसमें उसने कई खुलासे किए। उसने कहा कि इस मामले में परीक्षा से पूर्व बच्चा को एक लाख रुपये दिए थे और परीक्षा समाप्त होने के बाद बाकी रकम दे दी थी। राहुल ने बताया कि उसने खुद बच्चा राय से सौदा किया था।
एनआइटी में प्रवेश के लिए बनना चाहता था टॉपर
राहुल कुमार एनआइटी (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में दाखिला पाने के लिए इंटर साइंस का टॉपर बनना चाहता था। टॉप 20 में नाम आने के बाद और जेईई के अंक मिलाकर उसका देश के किसी एनआइटी में आसानी से नामांकन हो जाता। यही वजह थी कि उसके पिता ने कॉलेज के संचालक सह प्राचार्य अमित कुमार उर्फ बच्चा राय से टॉपर बनने के लिए सौदा किया।
दोस्तों ने दी जानकारी, टॉपर बनाता है बच्चा
राहुल ने स्वीकार किया कि वह बालिग है। उसकी जन्मतिथि 12 अक्टूबर 1996 है। उसने वर्ष 2012 में मुजफ्फरपुर के डीएसपी स्कूल से दसवीं की परीक्षा पास की थी। दो वर्ष तक वह घर पर ही तैयारी करता रहा। उसे एनआइटी में दाखिला लेने के लिए अच्छे अंक की जरूरत थी। इसी बीच उसके दोस्तों ने वैशाली के विशुन राय कॉलेज के प्राचार्य से मुलाकात करने की सलाह दी। बताया कि इस कॉलेज के प्राचार्य ने कई छात्रों से मोटी रकम लेकर बिना परीक्षा दिए उन्हें अच्छे अंक दिलाए हैं।
पढ़ेंः Result Scam: लालकेश्वर ने बच्चा को कहा घोटालेबाज, पत्नी ने जड़ा थप्पड़
दाखिला के वक्त दिए थे 10 हजार
राहुल ने वर्ष 2014 में वीआर कॉलेज में बच्चा राय से मुलाकात की थी। कॉलेज में नामांकन के वक्त उसने दस हजार रुपये जमा किए थे। प्रैक्टिकल के लिए उससे अलग से पांच हजार रुपये लिए गए। बारहवीं में पंजीयन कराने के लिए उसने फिर पांच हजार रुपये दिए। परीक्षा से दो माह पहले बच्चा ने टॉपर बनाने की राशि मांगी थी। उससे कहा गया था कि इंटर की परीक्षा में उन्हीं प्रश्नों को हल करना, जिनके जवाब तुम्हें मालूम हो।
रद्द हो गया था राहुल का रिजल्ट
इससे पहले बिहार बोर्ड ने राहुल कुमार का रिजल्ट रद्द कर दिया था। राहुल इंटर साइंस में तीसरा टॉपर था।एसआईटी की प्राथमिकी में सौरभ श्रेष्ठ को इंटर साइंस का सेंकेंड टॉपर और राहुल कुमार को चतुर्थ टॉपर बताया गया था।
साइंस की टॉप-10 मेधा सूची में शामिल राहुल बच्चा राय के कॉलेज वीआर कॉलेज, कीरतपुर, भगवानपुर, वैशाली का छात्र था। विवाद के बाद बिहार बोर्ड के रिजल्ट वेबसाइट पर से सौरभ श्रेष्ठ व राहुल कुमार के साथ ही शालिनी रॉय के मार्क्सशीट से उनके सभी विषयों के अंक हटा दिये गये थे।
पढ़ेंः Result Scam: लालकेश्वर की काली कमाई का सच, छह साल में कमाए दस करोड़
धोखाधड़ी का आरोपी है राहुल का पिता
मुजफ्फरपुर के शाहपुर पट्टी निवासी राहुल के पिता संजय कुमार डाक विभाग में सहायक पोस्टमास्टर हैं। उसकी मां जिला परिषद चुनाव की उम्मीदवार रही हैं। पुलिस के मुताबिक संजय कुमार पर नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का आरोप रहा है। मुजफ्फरपुर में उसके खिलाफ धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज है।
पिता को निर्दोष बता रहा राहुल
राहुल ने अपने पिता को निर्दोष बताया है। कहा, मेरे पिता न कभी कॉलेज गए और न ही कभी बच्चा राय से मुलाकात की। मैंने फोन पर बच्चा राय से अपने पिता बात करवाई थी। मैंने ही बच्चा राय को रुपये दिए थे। मुझे 80 फीसद अंक चाहिए थे। बच्चा कैसे अंक दिलवाता था, इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
11 आरोपियों की तलाश में छापेमारी
एसएसपी मनु महाराज ने कहा कि राहुल से पूछताछ जारी है जिसके बाद उसके पिता की गिरफ्तारी भी सुनिश्चित की जायेगी। फर्जी टॉपरों में से दो छात्रों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। अभी दो टॉपर और तीन टॉपरों के पिता सहित अन्य आरोपी फरार चल रहे हैं। एसआइटी उनकी तलाश में छापेमारी कर रही है।
मेरिट घोटाला में अब तक 23 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है। फरार 11 आरोपियों की तलाश में एसआइटी की दो टीमें लगातार छापेमारी कर रही है। साक्ष्य मिलने पर अन्य कॉलेजों के संचालक और बोर्ड के कई कर्मचारियों की गिरफ्तारी तय है।
मनु महाराज, एसएसपी।
डेढ़ माह में तीन बार बदला ठिकाना
पूछताछ में राहुल ने बताया कि सात जून को जब अखबार में आरोपियों के साथ नाम छपा देखा तो मोतिहारी में चाचा के घर चला गया। वहां 15 दिन रहा। एसआइटी की ओर से लगातार दबिश और गिरफ्तारी की खबर सुनने के बाद डर गया और फिर मुजफ्फरपुर में छिपा रहा। वहां से फिर वैशाली के आजमपुर में छिपकर रह रहा था।
इंटरनेट पर ढूंढता था बचने के तरीके
राहुल ने कहा कि एसआइटी की कार्रवाई की खबर पढऩे के बाद उसने कई बार आत्मसमर्पण की सोची। उसके वकील ने बार-बार भरोसा दिलाया कि अग्रिम जमानत मिल जाएगी, लेकिन जब जमानत नहीं मिली तो वह छिपकर रहने लगा।
राहुल एसआइटी से बचने के लिए हर दिन इंटरनेट और अखबार में खबर पढ़ता था कि आरोपी किस गलती से पकड़े जा रहे हैं। वह उन गलतियों से बचने की कोशिश करता। उसे पता था कि पुलिस उस तक पहुंचने के लिए सर्विलांस का इस्तेमाल करेगी इसलिए वह सिम बदलकर बात करता था, वो भी बहुत कम। अपने रिश्तेदारों से बात करने के लिए भी वह उनके पड़ोसियों के यहां फोन करता था।
टावर लोकेशन से मिला सुराग
चार दिन पूर्व एसआइटी को सूचना मिली थी कि इंटर साइंस का फर्जी टॉपर राहुल कुमार वैशाली में देखा गया है। राहुल ने चार दिन पहले अपने किसी रिश्तेदार से मोबाइल पर बात की थी जिसका लोकेशन वैशाली के महनार मे मिला। जांच में मालूम हुआ कि महनार के आजमपुर गांव में राहुल रिश्तेदार दुर्गेश सिंह के यहां छिपा है। दुर्गेंश इलाके का दबंग है। मंगलवार की रात एसआइटी ने राहुल को उसके रिश्तेदार के घर में देख लिया। बुधवार को सुबह छापेमारी कर गिरफ्तार कर लिया गया।
दो आरोपी छात्र अब भी फरार
मेरिट घोटाले में कोतवाली थाना पुलिस ने इंटर साइंस और आर्ट्स के चार टॉपर छात्रों को अभियुक्त बनाया है। एसआइटी ने इंटर आर्ट्स की फर्जी टॉपर को पहले ही दबोच लिया था जबकि इंटर साइंस के तीन फर्जी टॉपर फरार चल रहे थे। इसमें राहुल पकड़ा गया है। अब भी दो आरोपी छात्र फरार हैं। करीब दो माह से अभियुक्तों की तलाश की जा रही है। मेरिट घोटाले में अब तक दो दर्जन आरोपियों को जेल भेजा जा चुका है।