टिस की रिपोर्ट: बिहार में दिल दहलाने वाले खुलासों के बीच नजीर बने ये शेल्टर होम
बिहार के शेल्टर होम्स में बच्चों से यौन हिंसा के मामले के खुलासे के बीच टिस की रिपोर्ट में ये भी खुलासा हुआ है कि कुछ एेसे शेल्टर होम्स भी हैं जो बेहतर काम कर रहे हैं।
पटना [सुमिता जायसवाल]। सूबे के शार्ट स्टे होम में अनियमितताओं, बच्चों, किशोरियों और महिलाओं के साथ शारीरिक और मानसिक प्रताडऩा की दिल दहलाने वाली खबरों के बीच कुछ राहत भरी रिपोर्ट भी आई है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टिस) की सोशल ऑडिट रिपोर्ट में कुछ ऐसे शेल्टर होम का भी जिक्र है, जो बेसहारा और मासूम बच्चों को समाज से जोडऩे का काम कर रहे हैं। कई तरह की रचनात्मक गतिविधियों के जरिए अनाथ बच्चों की जिंदगी खुशहाल बनाने के लिए नए-नए प्रयोग कर रहे हैं।
टिस की ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि दुर्भाग्य से राज्य के करीब- करीब सारे ही शेल्टर होम में बच्चों, किशोरों, युवतियों और महिलाओं की जिंदगी कैदियों के समान है। ऐसे में दरभंगा, बक्सर, सारण , नालंदा, कटिहार , भागलपुर और पूर्णिया में शार्ट स्टे होम का संचालन करनेवाले एनजीओ के अच्छे काम दूसरी एजेंसियों के लिए प्रेरक हो सकती है।
दरभंगा स्थित ऑब्जर्वेशन होम में रहवासी बच्चों और स्टाफ ने मिलकर किचन और फ्लावर गार्डेन बनाया था। इस काम से बच्चों और स्टाफ को खुशी तो मिलती ही है, खाने के लिए ताजी सब्जियां भी उपलब्ध हो जाती है। सुपरिन्टेंडेंट खुद बच्चों को पढ़ाते हैं और उनके साथ आउटडोर गेम भी खेलते हैं जिसके कारण सभी उन्हें पसंद करते हैं।
बक्सर स्थित चिल्ड्रेन होम के कर्मचारियों और बच्चों ने मिलकर लाइब्रेरी बनाई है। लाइब्रेरी के संचालन का काम और किताबों की दोस्ती बच्चों के जीवन पर सकरात्मक प्रभाव डाल रही हैं। यहां के कर्मचारी अपने नियमित जिम्मेदारियों के अलावा बच्चों को पढ़ाते और आर्ट एंड क्राफ्ट भी सिखाते हैं।
सारण की दत्तक ग्रहण एजेंसी में बच्चों की सुविधाओं के लिए पर्याप्त अधोसंरचना थी। बच्चे वहां स्वस्थ और खुश दिख रहे थे।
कटिहार स्थित चिल्ड्रेन होम में एजेंसी ने कुछ बड़े बच्चों को ही छोटे बच्चों को पढ़ाने के काम में लगाया था। इस तरह बच्चे आपस में घुलमिल कर फ्रेंडली वातावरण में शिक्षा ग्रहण करते हैं। बच्चों में नेतृत्व कौशल भी विकसित हो रहा है।
भागलपुर स्थित चिल्ड्रेन होम फॉर गल्र्स में स्टाफ अपने बच्चों के जन्मदिन की पार्टी में अनाथ बच्चों को भी प्यार से शामिल करते हैं। उन्हें एहसास दिलाते हैं कि वे समाज में अवांछित नहीं हैं। इससे बच्चियों और स्टाफ में आपस में अच्छी बॉन्डिंग है।
पूर्णिया के चिल्ड्रेन होम में बाहरी लोगों द्वारा बच्चों के लिए अक्सर शैक्षणिक , मनोरंजक और अन्य गतिविधियां संचालित की जाती है। इससे बच्चे बाहरी दुनिया और समाज से खुद को जुड़ा महसूस करते हैं।
नालंदा स्थित शांति कुटीर की युवतियों को हर शाम नजदीकी मंदिर में जाने की अनुमति है। इसके कारण युवतियों की सोच पर सकरात्मक असर पड़ा है। यहां के संचालक ने बताया कि कभी भी किसी युवती ने इस दौरान यहां से भागने की कोशिश नहीं की ।